भोपाल। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हर विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की संख्या कम करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत अब हर विश्वविद्यालय से केवल 100 कॉलेज ही संबद्ध रहेंगे। बड़े और सुविधा संपन्न कॉलेजों को स्वशासी का दर्जा दिया जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए मप्र विवि अधिनियम में बदलाव करने जा रहा है। उच्च शिक्षा आयुक्त वीएस निरंजन का कहना है कि किसी भी बदलाव से पहले विवि अधिनियम में संशोधन जरूरी है, इसीलिए एक्ट के साथ ही कॉलेजों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है। दरअसल विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों की अकादमिक गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान (रूसा) शुरू किया है। इसमें हर विवि से अधिकतम १क्क् कॉलेजों की ही संबद्धता की बात कही गई है। प्रदेश में फिलहाल 18 कॉलेजों को स्वशासी का दर्जा प्राप्त है।
रूसा की सूची में मप्र के तीन विवि
रूसा की रिपोर्ट के अनुसार देश में 20 विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जिनसे सबसे ज्यादा कॉलेज संबद्ध हैं। इस सूची में मप्र की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि और माखनलाल यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
ज्यादा कॉलेजों से ये परेशानी
जानकारों का कहना है कि यूनिवर्सिटी से ज्यादा कॉलेज संबद्ध होने पर शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उनका अधिकांश समय परीक्षा कराने में ही निकल जाता है। इससे अध्ययन व अनुसंधान परध्यान ही नहीं दिया जाता। इस समस्या से निपटने के लिए शिक्षाविदों ने एक विश्वविद्यालय से 100 से अधिक कॉलेजों को संबद्ध नहीं देने का सुझाव दिया है। जिसे लेकर यूजीसी भी गंभीर है।
विवि और संबद्ध कॉलेजों की संख्या
- माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि, भोपाल ५४९
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि, भोपाल ४६७
- बरकतउल्ला विवि, भोपाल ३८६
- जीवाजी विवि, ग्वालियर २५0
- देवी अहिल्या विवि, इंदौर १६७
- रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर १७८
- एपीएस विवि, रीवा, १२७
- विक्रम विवि, उज्जैन 101
- डॉ.हरीसिंह गौर विवि, सागर ७७
(आंकड़े उच्च शिक्षा विभाग रिपोर्ट के अनुसार)