अनिल शुक्ला। सतना से खबर आ रही है कि वहां ईउपार्जन के दौरान किसानों को उनकी फसल के बदले में दिए गए चैक बैंकों से अभी तक क्लीयर होकर नहीं आए हैं। किसान परेशान हैं, समझ नहीं पा रहे कि ये नई व्यवस्था उनके लिए सुविधा है या दुविधा।
मध्यप्रदेश सरकार की ई उपार्जन व्यवस्था किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने की एक प्रभावकारी व्यवस्था के रुप में किसानों के बीच अपनी पैठ बना पाती इसके पूर्व ही यह व्यवस्था दम तोडने की कगार पर है।
किसान अपनी साल भर की कमाई उपार्जन केन्द्रों में देने के बाद राशि प्राप्त करने की प्रत्याशा में उपार्जन केन्द्रों तथा बैंकों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो रहे हैं। कमोवेश यही हाल सतना जिले के किसानों का भी है, हजारों किसानों कों चेक प्राप्त होने के बाद भी क्लियरेन्स के नाम पर बैंको में अटके पडे हैं।
आखिर किसान के साथ ही ऐसा वर्ताव क्यों किया जाता है, समझ से परे है। एक तरफ किसान को अन्नदाता की उपाधि से नवाजा जाकर उसका महिमा मंडन किया जाता है, दूसरी तरफ किसान का बेटा किसानी की पढाई भी भारी भरकम पीएटी परीक्षा को पास किए बिना नहीं कर सकता। इसे देश और प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। साथ ही गहन चिन्तन की आवश्यकता है।
सतना जिले के किसान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री का ध्यान भेपाल समाचार.कॉम के माध्यम से आकृष्ट कर विनम्र अपील करते हैं कि किसानों के उपार्जित गेहूं की राशि का भुगतान अतिशीघ्र कराने का कष्ट करें।
- समाचार प्रेषक श्री अनिल शुक्ला मैहर न्यायालय में प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं।