भोपाल। एशियाई शेरों को गुजरात से मध्यप्रदेश के पालपुर कुनो में स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर मोदी सरकार विचार कर रही है।
इस संदर्भ में गुजरात के महाधिवक्ता समेत कानूनी विशेषज्ञों से भी राय मांगी गई है। उधर एशियाई शेरों की प्रजाति को बचाने के लिए अन्य स्थलों पर उन्हें स्थानांतरित करने की सिफारिश करने वाले जीव विज्ञानी रवि चेल्लम को इस विवाद के चलते सासण गीर छोड़ना पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के समक्ष वर्ष 2009 से एशियाई शेरों के स्थानांतरण का मामला लंबित था, गुजरात सरकार लगातार इस बात का विरोध कर रही थी कि मध्यप्रदेश के पालपुर कुनो का वातावरण एशियाई शेरों के लायक नहीं है। इससे पहले मप्र में स्थानांतरित किए गए बाघ भी अधिक समय तक जिंदा नहीं रह पाए थे।
गुजरात सरकार का मानना है कि सासण गीर का पारिस्थितिकी तंत्र एशियाई शेरों के लायक है। कभी राज्य में 12 एशियाई शेर ही बचे थे, जिनकी 2010 में संख्या 411 तक पहुंच गई है।
गुजरात सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई, जिसमें एशियाई शेरों को मप्र जाने से रोके जाने के पहलुओं पर विचार हुआ।
बैठक में अदालत के आदेश के सामने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के साथ इस मुद्दे पर कानूनी विशेषज्ञों की राय भी मंगाई गई है। एशियाई शेरों की प्रजाति को बचाने के लिए सासण गीर से स्थानांतरित कर अन्य राष्ट्रीय पार्क में रखने की सलाह देने वाले जीव विज्ञानी रवि चेल्लम को सिंह सदन छोड़ना पड़ा है।
एशियाई शेरों के पारिस्थितिकी तंत्र विषय पर पीएचडी करने वाले रवि चेल्लम ने ही इस प्रजाति को सुरक्षित रखने के लिए किसी अन्य जगह पर भी इनका बसेरा बनाने की सलाह दी थी।