अब मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में खुलेंगी सस्ती दवाओं की दुकानें

भोपाल। जन औषधि (जेनरिक मेडिसिन) को निजी दवा कंपनियों के चंगुल से बाहर निकालने के लिए सरकार की मध्यप्रदेश सहित कई बड़े राज्यों में सस्ती दवा की दुकानें खोलने की योजना है।

पांच वर्ष पूर्व शुरू की गई जन औषधि योजना के तहत केवल 11 राज्यों में ही दुकानें संचालित हो रही हैं. अब उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में इन दुकानों के खोलने का खाका तैयार किया गया है.

दरअसल निजी क्षेत्र की दवा कंपनियों व डाक्टरों की मिलीभगत के चलते सस्ती होने के बावजूद जन औषधि आम लोगों में लोकप्रिय नहीं हो पा रही है. सन 2008 में जोरशोर से शुरू की गई यह योजना अभी भी पूरे देश में लागू नहीं हो पाई है।

जिन राज्यों में दुकानें खुली भी हैं, वहां पर डाक्टरों व निजी दवा कंपनियों की साठगांठ के चलते आम मरीज जन औषधियों को नहीं खरीद पा रहा है जबकि निजी दवा कंपनियों की दवाओं के मुकाबले जन औषधियों के मूल्यों में आधे से भी ज्यादा का अंतर है और गुणवत्ता में भी उन्हें बेहतर बताया जाता है।

बहरहाल अब फार्मास्युटिकल विभाग ने इन दवाओं को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ आम लोगों तक इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक योजना तैयार की है जिसके तहत बड़े राज्यों के सरकारी मेडिकल कालेजों व अस्पतालों के इर्दगिर्द जन औषधि दवा केंद्रों को खोला जाएगा. बड़े राज्यों में पहले ही चरण में उक्त दवा केंद्र खुलने थे, मगर राज्य सरकारों व स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का सहयोग न मिलने व निजी दवा कंपनियों व डाक्टरों के विरोध के चलते इन राज्यों में अभी तक दुकानें नहीं खुल पाईं।

उदाहरण के तौर पर तत्कालीन रसायन मंत्री राम विलास पासवान ने जब यह योजना शुरू की थी तो उनके गृह राज्य बिहार में भी जन औषधि केंद्र खुलने थे, मगर तब से आज तक बिहार में ये दुकानें नहीं खुल पाई हैं. अब तीसरे चरण में बिहार को शामिल किया गया है.
पहले चरण में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उड़ीसा, राजस्थान, एवं आंध्रप्रदेश सहित 7 राज्यों में 42 जन औषधि केंद्र खुले थे. दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, जम्मू- कश्मीर व हिमाचल प्रदेश को जन औषधि दवाओं के नेटवर्क में शामिल किया गया था. इस समय 11 राज्यों में 112 दुकानें संचालित हैं।

अब तीसरे चरण में जिन बड़े राज्यों में जन औषधि दुकानें खोलने की योजना है उनमें ज्यादातर दुकानें सरकारी अस्पतालों में खुलेंगी और इन दुकानों का प्रबंधन वहां के अस्पताल चिकित्सा अधीक्षकों व मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों के पास होगा।

यदि निजी इलाकों में दुकानें खोली जाएंगी तो उनका लाइसेंस रजिस्टर्ड फाम्रेसिस्टों के नाम पर होगा. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र राज्यों में इन दुकानों की प्रस्तावित संख्या तीन सौ से ज्यादा होगी. नए राज्यों में जब जन औषधि दवा केंद्र खुल जाएंगे तो आम जनमानस को जागरूक करने के लिए उनका प्रचार प्रसार भी किया जाएगा.

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