भोपाल। मध्यप्रदेश का बहुचर्चित रीवा राइस मिल कांड एक बार फिर विधानसभा में गूंज उठा। शिवराज सिंह सरकार के मंत्री के भाई की इस राइस मिल में 4 फरवरी को छत व दीवार गिरने से 10 आदिवासी मजदूरों की मौत हो गई थी। इस मामले में जबर्दस्त प्रेशर के बाद प्रकरण दर्ज हो सका था। सदन में भी विधानसभा अध्यक्ष ने आरोपी को फेवर देने का प्रयास किया।
यह मामला ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह, आरिफ अकील और रामनिवास रावत ने उठाया था। अकील ने कहा कि वे मजिस्ट्रीयल जांच से संतुष्ट नहीं हैं। जांच सीबीआई या विधानसभा की समिति से कराई जाए। अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने आरोपी को फेवर देते हुए कहा कि जांच का निष्कर्ष आने दीजिए। निर्माण कराने वाले का भाव 10 लोगों को मारने का नहीं था, दुर्घटना हो जाती है। सनद रहे कि इस तरह घटिया निर्माण के बाद होने वाले हादसों को दुर्घटना की श्रेणी में नहीं लिया जाता, बल्कि लापरवाही के कारण हत्या का मामला दर्ज होता है।
इससे पहले गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि जिला दंडाधिकारी रीवा दो सदस्यीय टीम गठित कर जांच करा रहे हैं। मिल मालिक ने निर्माण की सभी अनुमतियां ली थीं। ठेकेदार महेंद्र शुक्ला, इंजीनियर अनिल सिंह परिहार को गिरफ्तार किया गया। मृतकों के परिजनों को दो दो लाख रुपए की सहायता दी गई है। गंभीर घायलों को 50 हजार और साधारण घायलों को 25 हजार रुपए की सहायता दी गई है।
रावत ने कहा कि ठेकेदार से भी राशि दिलाई जाना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे। जबाव से असंतुष्ट अकील ने सदन से वाकआउट किया। इसके बाद रामनिवास रावत और फिर कांग्रेस विधायक दल के उपनेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने वाकआउट की घोषणा कर दी।
बसपा विधायक दल के नेता रामलखन सिंह बार-बार यह कहते रहे कि भोपाल में टंकी हादसे पर सदन में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी जबकि रीवा मामले में उनका स्थगन प्रस्ताव नहीं लिया गया। अध्यक्ष ने कहा कि जिस ध्यानाकर्षण पर चर्चा हुई है, वे भी उसमें शामिल हो सकते थे, लेकिन ध्यानाकर्षण की सूचना सिंह ने दी ही नहीं थी।