दमोह। ठेठ गांव का आठवीं पास कमलेश रजक जब पुलिस की वर्दी पहनता था, तो वह एसआई सतीश तिवारी बन जाता था। इसके बाद वह अपने पिता को भोपाल में पदस्थ एआईजी बताता था और मां को पन्ना जिले का एसडीएम। फिर लोगों को पुलिस की नौकरी देने के नाम पर 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक ऐंठ लेता था।
भरोसा कायम रहे, इसके लिए वह सागर से पुलिस की वर्दी तैयार करवाकर अपने शिकार को पहना देता था और अपने साथ घुमाना शुरू कर देता था। इस काम में उसका गुरू गुलजार आदिवासी उर्फ पंडा मदद करता था, जो ग्राहक खोजने से लेकर सौदा कराने तक की पूरी योजना में शामिल रहता था।
बटियागढ़ थाना क्षेत्र से लेकर दमोह देहात थाना क्षेत्र में पिछले एक साल से फर्जी सब इंसपेक्टर बनकर गरीब बेरोजगार युवकों को पुलिस में भर्ती कराने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का पुलिस ने खुलासा कर दिया है।
एसपी एके पांडे ने पुलिस कंट्रोल रूम में मीडिया के सामने इस गिरोह का खुलासा किया। फर्जी सब इंसपेक्टर सतीश तिवारी नाम से ग्राम भगवां में रतिराम पटेल के घर किराए से रह रहे आरोपी कमलेश रजक और उसको सहयोगी आरोपी गुलजार आदिवासी उर्फ पंडा निवासी उमराव थाना पथरिया को पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद पूरे मामले की गुत्थी सुलझा ली है।
आरोपी कमलेश रजक लोगों से ठगी करते-करते इतना शातिर हो गया था कि वह न सिर्फ पुलिस चौकी का निरीक्षण करने लगा था, बल्कि सरकारी अधिकारियों से बाहर जाने के लिए वाहन भी लेने लगा था। आरोपी कमलेश लोगों से ठगी करने के बाद अपने लिए सभी विलासिता का सामान खरीदता था। उसने एक बजाज डिस्कवर मोटर साइकिल, एक पल्सर मोटर साइकिल खरीदने के बाद टीवी सेट, डीटएच, अलमारी, पलंग-गद्दे, पहनने के ब्रांडेड मोबाइल, कपड़े सहित घर-गृहस्थी का सामान खरीद रखा था।
पुलिस ने आरोपी के पास से मोटर साइकिल सहित करीब 2 लाख 30 हजार रुपए का सामान और 60 हजार रुपए नगद जब्त किए हैं। इसके अलावा उसके पास से पुलिस ने मप्र पुलिस की वर्दी, सिपाही की वर्दी में लगने वाले बैज, कैप, बैल्ट सहित फर्जी नियुक्ति पत्र, बेरोजगारों के फोटोग्राफ, वायोडाटा सहित बड़ी मात्रा में फर्जी नियुक्ति संबंधी दस्तावेज बरामद किए हैं।