भोपाल। स्वास्थ्य संचालक योगीराज शर्मा। याद आया यह नाम, जी हां वहीं जिनके यहां आयकर के छापे के दौरान बिस्तरों से नोट निकले थे। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी गई है। सीएम के सिग्नेचर मिलने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में डॉ. शर्मा के यहां पर आयकर छापा पड़ा था। संभवत: वे प्रदेश के पहले अफसर थे जिनके यहां पर एक करोड़ 75 लाख र. नकद मिले थे, उक्त छापे में तकरीबन 50 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ था। इस छापे के बाद राज्य सरकार ने डॉ. शर्मा को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद वे अपनी बहाली के हाईकोर्ट से ले आए। राज्य सरकार ने उनका निलंबन समाप्त करने के साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी थी। बताया जाता है कि विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद राज्य सरकार ने डॉ. शर्मा को बर्खास्त करने की कवायद की जा रही है।
अभियोजन की मंजूरी
स्वास्थ्य महकमे के दूसरे भ्रष्ट अफसर अशोक शर्मा को भी राज्य सरकार निलंबित करने जा रही है। इनके खिलाफ हाल ही में 14 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने अभियोजन की मंजूरी दे दी है।
लोकायुक्त पुलिस जल्द ही शर्मा के विरुद्ध विशेष न्यायालय में चालान पेश करने जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. शर्मा पर नियमों के विरद्घ 32 लाख से ज्यादा की एण्टी टीबी ड्रग खरीदी का आरोप है। लोकायुक्त पुलिस ने 2009 में दवा खरीदी के मामले में स्वास्थ्य संचालक डॉ. शर्मा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था।
उन पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रीय टीवी प्रोग्राम के तहत दी जाने वाली दवा की खरीदी राज्यमद से कर डाली थी। जबकि ये दवाएं केन्द्र सरकार प्रोग्राम के तहत मुहैया कराती थी। स्ट्रेपटोमाइसिन नामक इस दवा के एक ग्राम डोज खरीदे गए थे। जबकि इलाज में .75 ग्राम दवा का ही उपयोग किया जाता है। जब केन्द्र सरकार के अधिकारी दौरे पर प्रदेश आए तो उन्होंने दवा खरीदी पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
घोटालेबाजों का विभाग!
स्वास्थ्य महकमे में 2005 से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू होने के बाद से यहां के अफसर करोड़ों में खेलने लगे हैं। यही वजह है कि पिछले नौ सालों से स्वास्थ्य विभाग की पहचान आम आदमी की नजर में घोटालेबाजों के विभाग रूप में बनी है। इस अवधी में भ्रष्ट अफसरों के यहां आयकर, लोकायुक्त को लगभग 500 करो़ड से अधिक की बेनामी संपत्ति मिली है। सबसे पहले 2007 में तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा, इसके बाद 2008 में स्वास्थ्य संचालक बने डॉ. अशोक शर्मा और पिछले साल डॉ. अमरनाथ मित्ताल के यहां पर करोड़ों रुपए नकद और बेहिसाब बेनामी संपत्ति मिली है।