अध्यापकों की हड़ताल: मध्यप्रदेश में कहां क्या हुआ

सतना में आत्महत्या, सतवांस में आमजन भी हुए रैली में शामिल

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रही अध्यापकों की हड़ताल में इधर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही और उधर हड़ताली अध्यापकों को आमजन का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। एक ब्लॉक सतवासा में 2000 से ज्यादा आमजन ने अध्यापकों की रैली में भाग लिया।

इसके अलावा राजधानी में आज नीरज मालवीय ने भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इधर सिवनी मालवा में भी आमरण अनशन शुरू हो गया है। राजगढ़ में एक महिला एवं दो पुरुष अध्यापकों ने अनशन शुरू किया एवं शाजपुर में खून से खत लिखा गया।

भोपालसमाचार.कॉम के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार पेटलावद में अनशनकारी अध्यापक विनोद पाटीदार को हटाने का प्रयास किया गया परंतु ​अनशनकारियों ने इस प्रयास को बिफल कर दिया। छिंदवाड़ा के चौरई में अनशन पर बैठे अध्यापक भवानी सिंह डेहरिया की तबीयत बिगड़ने लगी है एवं शिवपुरी में तनाव के चलते बीमार हुए एक अध्यापक की मौत के समाचार मिल रहे हैं।

सतना में हड़ताली कुंज बिहारी ने खाया जहर

प्रांताध्यक्ष मुरलीधर पाटीदार ने बताया कि सतना में हड़ताली अध्यापक कुंज बिहारी सिंह ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। वो 18 फरवरी से हड़ताल पर थे। श्री पाटीदार ने बताया कि उनके बाद उनके परिवार में बूढ़े माता पिता के अलावा दो मासूम बच्चे भी हैं, उनकी पत्नि की तबीयत लगातार खराब चल रही थी, आर्थिक तंगी के कारण उनका भी इलाज नहीं कराया जा पा रहा है। श्री सिंह के पास कुछ जमीन हुआ करती थी, परंतु वो भी कुरवा नहर योजना में चली गई।

इसके अलावा भोपालसमाचार को मिले अपडेट इस प्रकार हैं:-

मुख्यमंत्री को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिए किया यज्ञ


चैरईः- छिन्दवाड़ा जिले के चैरई विकास खंड में संयुक्त मोर्चा के बैनर तले अध्यापक, संविदा शाला शिक्षक, गुरुजी का आन्दोलन आज 15 वें दिन भी जारी है। आज आन्दोलनकारियों ने प्रदेश के मुखिया को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिए यज्ञ किया और लगभग 150 शिक्षकों ने आहुति डाली।

इधर 5 दिन से आमरण अनशन पर बैठे भवानी प्रसाद डेहरिया की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। डा.अंशु लांबा ने उन्हें चिकित्सा के बाद अस्पताल में भर्ती होने हेतु कहा लेकिन श्री डेहरिया ने अस्पताल में भर्ती होने से साफ इन्कार कर दिया है।

पेंशनर्स समाज संगठन, शिक्षक कांग्रेस, म.प्र.शिक्षक संघ , पटवारी संघ और अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर अपना नैतिक समर्थन प्रदान किया। इनके अलावा वर्तमान विधायक,पूर्व विधायक, जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, नगरपालिका अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अपना नैतिक समर्थन देकर मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर मांगों के संबध में अपना समर्थन देने की बात कही है।

आन्दोलनकारियों ने दिनांक 5 मार्च को कपुर्दा में मां षष्ठी देवी को समान कार्य समान वेतन का ज्ञापन सौंपने का निर्णय भी लिया है। सुर्दसन पालीवाल ,आनन्द डेहरिया, ज्ञानदास धुर्वे, महेन्द्र अवस्थी,अजय रघुवंषी राकेष राय, राकेष मालवीय, महेष रघंुवंषी, अनिल रघुवंषी, केषराम कनोजिया ने धरने को संबोधित करते हुए अपील की कि अब हमें समान कार्य समान वेतन लिए बिना हटना नहीं है। पुष्पकुमार शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि म.प्र.शासन के अडि़यलपूर्ण रवैये का जबाब दिया जायेगा। कौषल वर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार कर्मचारी विरोधी है, उसे छात्रों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है।


सिवनी मालवा में अध्यापकों का अमरण अनशन जारी


अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय आहवान पर जिला होशंगाबाद में अध्यापकों, द्वारा 17 दिनों से की जा रही हडताल के समर्थन मे सिवनी मालवा ब्लाक अध्यक्ष श्री हरगोविंद गौर द्वारा आमरण अनशन किया जा रहा है।

आज दिनांक 4.3.13 को अध्यापकों द्वारा बोर्ड परीक्षाओं का बहिष्कार किया एवं सभी ने एक जुट हो कर मांगे पूरी न होने तक आमरण अनशन एवं धरना प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सरकार हमारी प्रमुख मांग समान कार्य समान वेतन एवं शिक्षा विभाग में संविलियन के आदेष जारी नहीं करती तब तक कार्य पर वापस नहीं हो।

अध्यापक संघ के सचिव श्री प्रदीप गौर ने बताया कि अध्यापक सरकार से भीख नहीं अपना अधिकार मांग रहें है। ये वही सरकार है जिसने 1998,2003,एवं 2008 के चुनाव में हमसे वादा किया और आज हमसे बात करने को खाली नहीं है।

आखिर कब तक सरकार हमें छलती रहेगी कब तक हमारे लिए खाली खजाने का रोना रोती रहेगी। अब पानी सिर पर आ गया है इसलिए अध्यापक करो या मरो की स्थिति में खडा होने को मजबूर है। सरकार कहती है बच्चों का नुकसान मत करो हम पूछते हैं 17 साल से क्या आपने हमारे बच्चों का नुकसान नहीं किया। आज भी हमारा वेतन हमारे स्कूल के चपरासी से कम है क्या अधिकारी वर्ग एक माह अपने चपरासी से कम वेतन में कार्य कर सकते हैं  नहीं । पर हम 17 साल से कर रहें हैं पर अब आष्वासनों से काम नहीं चलेगा ।

हडताल में समाचार लिखे जाने तक बडी संख्या में अध्यापक षामिल हुए प्रमुख अध्यापको में सर्व श्री हरगोविंद गौर प्रदीप गौर ध्रुव यदुवंसी निसांत पाठक रिखीराम मेहरा ओ पी रघुवंसी सुरेन्द्र पटेल सुखराम मेहरा विजय यदुवंसी लखन लाल ढोकिया महेन्द्र मण्डलोई महेन्द्र यदुवंसी मुकेस तिवारी अमलेस चैहान सेवाराम बकोरिया अनिल चान्द्रायण एवं महिला अध्यापक वर्ग से नीतू पटेल कल्पना पाल मीता गौर उर्मिला परते मंजू कुसवाह मंजू चैरे रचना लौवंसी उपस्थित थे।


ऐसा कानून बदल क्यों नहीं देते

SURENDRA KUMAR PATEL/ अध्यापक संवर्ग की इन गंभीर समस्याओं की पड़ताल किए जाने की जरूरत है क्योंकि इस संवर्ग में कार्यरत कर्मचारी कोई गैर नहीं , अपने ही प्रदेश के शिक्षित युवा हैं । जिनकी ऊर्जा का उपयोग कर प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है । इन समस्याओं के समाधान की बात कीजिएगा तो मन्त्री से लेकर आला अधिकारियों तक का एक ही जवाब मिलेगा -ये सरकारी कर्मचारी नहीं है ।सवाल ये है कि ये जो हैं और जो ये नहीं हैं उनके लिए जिम्मेदार कौन है ? जिस तरीके से नया कैडर बनाने का कानून लाया गया , उसी तरीके से सेवा शर्तें बेहतर करने का कानून क्यों नहीं लाया जा सकता ?

प्रश्न बहुत हैं ।जवाब में सिर्फ सहानुभूति का पिटारा मिलेगा ।कितने शर्म की बात है कि मन्त्री से लेकर अधिकारी  तक अध्यापक संवर्ग की मांगों को जायज ठहरा रहे हैं ।खुद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संवर्ग के प्रति कई बैठकों मेँ चिंता प्रकट की है किन्तु जब बारी समस्याओं के समाधान की आती है तब उनके भी हाथ बंध जाते हैं ।तब सवाल पैदा होता है कि शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लगी इतनी बड़ी आबादी के साथ उपेक्षा का व्यवहार क्यों ? क्या ऐसा राजनीतिक रोटी सेकने के लिए किया जा रहा है या
फिर अधिकारियों की एक लॉबी काम कर रही है जो इन अध्यापकों को उपेक्षित , हताश , निराश और भुखमरी का जीवन जीने के लिए विवश कर पूरे प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहती है ताकि सरकारी शिक्षण व्यवस्था बदनाम हो और उसी के बहाने प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का निजीकरण किया जा सके ।सरकारी अनुदान पर पूँजीपति गाँवों में भी अपनी शिक्षा की दुकानें खोल सकें ? क्या मात्र आर टी ई लाने से शिक्षण व्यवस्था सुधर जाएगी ? आपने बच्चों को मुप्त में किताबें बांटी , साइकिलें दी , गणवेश दिए , सामान्य वर्ग तक के लिए छात्रवृत्ति दी ।मगर असली मकसद क्या है ?
छात्रों को सुविधाएं देकर इनके माता-पिता के वोट हथियाना या सचमुच में इनके शिक्षा की भी चिन्ता है ? अगर उत्तर हाँ में है तब सरकार को अपना अड़ियल रुख छोड़कर इस संवर्ग की समस्याओं का त्वरित निराकरण करना होगा क्योंकि धरातल पर शिक्षा का अमलीजामा पहनाने वाले ये ही लोग हैं।


गोहद में कांग्रेस ने सौंपा समर्थन पत्र

गोहद/भिंड/ अध्यापक सयुक्त मार्चा के तत्वाधान में आज बीआरसी कार्यालय गोहद पर जारी धरने में आज जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य डा. अमर सिंह द्वारा आंदोलन के समर्थन में वकत्वय जारी किया और समर्थन पत्र सौपा।

गोहद में जारी आंदोलन दिन व दिन गति पकडता जा रहा है। पूर्व निर्धारित नीति के तहत आज बोर्ड परीक्षाओ में अध्यापको की हल्ला बोल टीम ने परीक्षाओ में ड्यूटी करने बाले अध्यापको को हर परीक्षा केन्द्र पर जाकर खोजा ।

धरना स्थल पर जारी क्रमिक अनषन में आज श्री उदय सिंह जाटव, श्री अहिवरन बरैया, श्री अशोक चौरसिया, श्री राजेश माहौर श्री राजेन्द्र सिंह गुर्जर एवं श्री रामप्रकाश शर्मा उपस्थित रहे।

इसी श्रृखला में कल दिनांक 05/03/2013 को क्रमिक अनशन पर श्रीमती शीला घनघौरिया श्रीमती उशा विशारिया श्री घनष्याम रमन श्री मुकेश कौषल श्री सचेन्द्र कांकर बैठगे। इसके अलावा मोर्चा द्वारा नगर में मौन जुलूस निकाला जावेगा।

जिसमें अधिक से अधिक संख्या में अध्यापको को सम्मिलित होने की अपील की गई अपील करने बालों में श्री रामसेवक दिनकर, संगीता राठौर, निधि मुदगल, कविता गुप्ता, अनुराधा त्रिपाठी, आषा सक्सेना, नीतू कुषवाह, षीला घनघोरिया, धर्मेंन्द भरद्वाज देवेन्द्र सिंह गुर्जर आदि शामिल है।



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नोट:— आप अपने आंदोलन के अपडेट प्रतिदिन शाम 4 बजे तक मेल कर सकते हैं, ताकि उन्हें शामिल किया जा सके। अपने अपडेट्स के साथ आप फोटो एवं वीडियो भी प्रेषित कर सकते हैं।


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