राकेश दुबे@प्रतिदिन/ आज की चमकती खबर केन्द्रीय बजट है, दमकती खबर निर्भया के नाम से बनने वाला देश का पहला महिला बैंक है| छोटी सी लेकिन अलार्म बजाती खबर मध्यप्रदेश के लोगों की कम होती जीवन रेखा है| रेडियो, अख़बार ,टेलीविजन,इंटरनेट रेडियो, इंटरनेट पोर्टल, और सोशल मीडिया के इस युग में खबरों का विश्लेषण ऐसा भी हो सकता है| हर समाचार माध्यम में | आत्ममुग्धता और ठकुरसुहाती को छोडकर|
सबसे पहले चमकती खबर| बजट को सबने अपनी अपनी तर्ज़ पर पढ़ा और बखान दिया | कांग्रेस जिसे प्रगतिशील कह रही है,उसे उसके साथी सहित सारा प्रतिपक्ष प्रतिगामी मान रहा है| दोनों का पैमाना जीडीपी है| मोंटेक सिंह अहलुवालिया के अलावा देश में और भी आर्थिक विशेषज्ञ है| उनका मानना है की जीडीपी को पैमाना मानना ही गलत है और खास कर भारत में| औद्योगिक अर्थ व्यवस्था वाले राष्ट्रों के लिए जीडीपी ठीक है| भारत तो अभी तक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था पर जीता है| यहाँ फार्मूला कुछ और होना चाहिए| इस बजट से जो फार्मूला निकलता है, वह है 'पेड़ लगा तो जीडीपी नहीं बढ़ा, पेड़ कटा तो जीडीपी बढ़ा'|
दमकती खबर महिलाओं का बैंक| जरा झाबुआ जाइये| आदिवासियों को देखने नहीं, वहां की महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे स्व सहायता समूह को देखने के लिए| 'निर्भया' के नाम पर उठी सहानुभूति की लहर को मतों में बदलने के स्थान पर जो सही हो रहा है|भले ही झाबुआ में हो, उसे पहचाने और आदर दें|
और अंत में अलार्म बजाती खबर | भारतीय संसद के पटल पर रखा देश आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर देश में सबसे अधिक है |आम आदमी भी यहाँ दीर्घायु नहीं होता है| केरल जैसे राज्य में औसत आयु 74.2 वर्ष है और मध्यप्रदेश में औसत आयु 62.4 वर्ष है | अपनी उम्र 15 साल करने की इच्छुक शिवराजसिंह सरकार के लिए है न, अलार्म बजाती खबर|