वट्टी और शेखावत को हटाओ, अपेक्स बैंक बचाओ: कांतिलाल भूरिया

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने अपेक्स बैंक के अध्यक्ष के रूप में कई गंभीर अनियमितताओं और घोटालों में लिप्त बैंक के अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत और प्रबंध संचालक वट्टी को पद से तत्काल हटाने की मांग की है।

श्री भूरिया ने जारी बयान में चेतावनी दी है कि यदि शेखावत और वट्टी को तत्काल पद से नहीं हटाया गया तो अपेक्स बैंक जल्दी ही डूब जाने की गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। करोड़ों के घोटालों को अंजाम देने वाले शेखावत और वट्टी को अभी तक पद पर बनाये रखने पर आश्चर्य प्रगट करते हुए आपने कहा है कि इन दोनों को उनके गिरोह के अधिकारियों सहित अब तक तो जेल में होना चाहिए था।

इनके अब तक पदों पर बने रहने का अर्थ यही है कि अपेक्स बैंक में शेखावत के अध्यक्ष बनने के बाद जो रिकार्ड तोड़ आर्थिक अपराध घटित हुए हैं, उनमें भाजपा सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोग भी लिप्त हैं।
आपने कहा है कि यदि ऐसा न होता तो अपेक्स बैंक में वर्ष 2009 में शेखावत की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद जो चैंकाने वाले घोटाले हुए हैं, उनकी जांच होकर अब तक वस्तुस्थिति का खुलासा हो चुका होता।

अब तो ऐसा लगने लगा है-जैसे अपेक्स बैंक का कामकाज भंवरसिंह शेखावत के घोटालों को अंजाम देने और उनको लेकर शेखावत पर किसी प्रकार की आंच न आवे, उसके लिए वैध-अवैध प्रयासों तक सीमित होकर रह गया है। यह सब उस स्थिति में चल रहा है जब लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर शेखावत, वट्टी और अन्य 8 के विरूद्व चालान की अनुमति और पद से हटाने हेतु सरकार को पत्र लिखा है।

श्री भूरिया ने कहा है कि श्री शेखावत और उनके गिरोह के अधिकारियों के भ्रष्टाचार के नीचे अपेक्स बैंक बुरी तरह दब चुका है। आईएएस अधिकारी रमेश थेटे की पत्नी श्रीमती मंदा थेटे के कर्ज के प्रकरण में अनियमित एकमुश्त समझौते के मामले में शेखावत की शिखर भूमिका होने के पर्याप्त प्रकरण है। इस प्रकरण में बैंक को 40 लाख का चूना लगा है। इस बहुचर्चित प्रकरण में स्वयं को पाक साफ साबित करने के लिए शेखावत ने प्रबंध संचालक की मदद से दो बार संचालक मंडल की बैठक के कार्यवाही विवरण में गलत निर्णय दर्ज कर बैंक के साथ चार सौ बीसी करने की कोशिश की है। सहकारिता विभाग भी शेखावत की इस कारगुजारी पर आपत्ति ले चुका है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि अपेक्स बैंक के दस्तावेजों में शेखावत के घोटालों की कहानियां दर्ज हैं। शेखावत ने अपनी नियुक्ति के मात्र एक माह बाद ही ‘‘कमाई’’ के काले कारनामों की शुरूआत कर दी थी। उन्होंने बैंक की सारी संपत्ति और प्रदेश के सभी ऋणी किसानों की जमीनें, जिन पर कि बैंक का कोई कानूनी अधिकार नहीं था, स्पीड स्टार एजेंसी के पास गिरवी रखकर रिजर्व बैंक की स्वीकृति की परवार न कर उससे 6500 करोड़ का ऋण ले लिया। आरोप है कि इस डील में शेखावत और तत्कालीन प्रबंध संचालक सेंगर ने 100 करोड़ से अधिक की रिश्वत ली थी।

आर्थिक अपराण अन्वेषण ब्यूरो में यह प्रकरण दर्ज हो चुका है। इस गड़बड़ी में शेखावत के मुख्य आरोपी होने के बावजूद उनका नाम अंतिम समय में काट दिया गया। यह कार्यवाही कई शंकाओं को जन्म देती है। इसके अलावा जबलपुर के एक्सिस बैंक से 50 करोड़ की एफडी बनावाने के प्रकरण में भी शक की सुई शेखावत और तत्कालीन प्रबंध संचालक सेंगर की तरफ घूम रही है। फंड में हेराफेरी से बैंक को जो 100 करोड़ का नुकसान हुआ है, उसकी जवाबदारी भी शेखावत पर आयद है।

आपने कहा है कि शेखावत के अध्यक्ष काल में कुछ घोटाले तो ऐसे हुए हैं, जो स्वयं सिद्ध हैं। अपेक्स बैंक की ग्वालियर शाखा के भवन निर्माण के लिए 70 लाख रूपये के टेण्डर को बढ़ाकर दुगुने से भी अधिक 160 लाख रूपये कर दिय गया। जबलपुर शाखा के भवन निर्माण के टेण्डर की राशि 80 लाख थी, लेकिन वर्ग आर्डर करीब 198 लाख रूपये का दिया गया है। यदि इन दोनों प्रकरणों की निष्पक्ष जांच हो जाए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।

श्री भूरिया ने कहा है कि शेखावत पर आरोप है कि उन्होंने नियम विरूद्व बैंक की इनोवा गाड़ी इंदौर में अपने पुत्र की सेवा में स्थायी रूप से लगा रखी है। यह गाड़ी हर महीने हजारों किलोमीटर चलती है। पीओएल, रख-रखाव और ड्रायवर के वेतन के बतौर बैंक से लाखों रूपये का भुगतान हो चुका है। बैंक में पर्याप्त संख्या में खुद के वाहन होने के बावजूद हर महीने बड़ी रकम टैक्सी के किराये के बतौर भुगतान हो रही है। यदि जांच हो जाए तो इसको लेकर बड़ा घोटाला पकड़ में आ सकता है। शिकायत है कि शेखावत के निर्देश पर अपेक्स बैंक द्वारा करोड़ों के फर्जी ऋण भी मंजूर कराये जा रहे हैं।

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