भोपाल। संविदा शिक्षकों एवं अध्यापकों को सुनहरे भविष्य के सपने दिखाकर दिग्विजय सिंह सरकार को हटाने में कामयाब रही भाजपा अपनी मूल जड़ों के प्रति ही बेपरवाह दिखाई दे रही है, जबकि कांग्रेस इसका पूरा लाभ उठा रही है। मध्यप्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस ने एक बार फिर अध्यापकों के समर्थन में वॉकआउट किया।
विधानसभा में मंगलवार को कांग्रेस सदस्यों ने अध्यापकों और संविदा शिक्षकों द्वारा समान काम समान वेतन सहित अन्य मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन, उन पर लाठीचार्ज तथा आश्वासन के बाद भी मांग पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए वॉकआउट किया। स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस ने प्रश्नकाल में कांग्रेस सदस्य सुखदेव पांसे के सवाल के जवाब में कहा कि राज्य शासन ने आंदोलनरत अध्यापकों और संविदा शिक्षकों की समान काम, समान वेतन की मांग के संबंध में निर्णय नहीं लिया है।
भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने आंदोलनकारियों से मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत हैसियत से चर्चा कर मांगों का निराकरण करने का आश्वास दिया था। संविदा शिक्षकों और अध्यापकों के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल किया जा रहा है। पांसे ने मंत्री के जवाब को झूठा बताते हुए कहा कि अध्यापकों द्वारा मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। राज्य शासन ने करीब 20 आंदोलनकारियों को सोमवार को राजधानी के शाहंजहानी पार्क में बंधक बनाया और लाठीचार्ज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आंदोलन के समय झा ने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में चर्चा करते हुए मांगों के निराकरण का आश्वासन दिया था।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में अध्यापकों और संविदा शिक्षकों को नियमित कर समान काम, समान वेतन देने का वादा किया था। आंदोलनरत अध्यापकों और संविदा शिक्षकों को मुख्यमंत्री से मिलने नहींं दिया गया और उन्हें बंधक बनाकर पुलिस ने मारपीट की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार घोषणा पत्र में किसानों के 50 हजार रुपए तक के ऋण माफ करने के वादों पर जिस प्रकार अमल नहीं कर रही है, उसी तरह का रवैया अध्यापकों और संविदा शिक्षकों के साथ अपना रही है।