खंडवा। ओम्कारेश्वर बांध में हुए 17 दिन के जल सत्याग्रह के बाद गत 10 सितम्बर, 2012 को राज्य सरकार ने ओम्कारेश्वर बांध प्रभावितों के पुनर्वास के सम्बन्ध में घोषणा की थी कि प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन दी जाएगी. इसके साथ ही आपकी मंत्रियों की एक समिति का गठन कर पुनर्वास की सभी समस्याओं का निवारण करने का भी निर्णय लिया गया था|
इंदिरा सागर बांध विस्थापितों के पुनर्वास की समस्याओं के निवारण के बारे में भी इस समिति को अधिकार दिया गया था. समिति की दो बैठकों के बावजूद बाद अभी तक विस्थापितों के पुनर्वास के अधिकारों के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
नर्मदा बचाओ आन्दोलन का आरोप है कि सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतर पाई है नर्मदा बचाओ आन्दोलन के आलोक अग्रवाल ने बताया कि सरकार के इस रुख के खिलाफ एक बार फिर विस्थापित जल सत्याग्रह आंदोलन कि राह पर है 25फरवरी सोमवार ओम्कारेश्वर में विस्थापित संकल्प रैली निकालकर अपनी मांगों को पुनः सरकार के समक्ष रखेंगे और संकल्प लेंगे कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं की गयी तो आगे राजधानी भोपाल में और नर्मदा घाटी में कड़ा संघर्ष किया जायेगा। ओम्कारेश्वर में सरकार को चेताया जाएगा अगर फिर भी सरकार ने अपना रुख साफ़ नहीं किया तो मध्य प्रदेश में इस बार एक नहीं कई जगह जल सत्याग्रह आंदोलन होंगे।
गौरतलव है कि 26 फरवरी को पुनः मंत्रियों की समिति की बैठक हो रही है. नर्मदा आन्दोलन मांग कर रहा है कि हजारों विस्थापितों के पुनर्वास के सभी अधिकार तत्काल दिए जाये. इस सन्दर्भ में
जल सत्याग्रह के बाद बनी थी समिति :
जल सत्याग्रह के बाद विस्थापितों की पुनर्वास की समस्याओं के समाधान के लिए 3 मंत्रियों की समिति का गठन हुआ था. इस समीति में श्री कैलाश विजयवर्गीय, उद्योग मंत्री, श्री विजय शाह, मंत्री, आदिमजाति कल्याण, श्री कन्हैयालाल अग्रवाल, मंत्री, नर्मदा घाटी विकास विभाग शामिल है. समीति की पहली बैठक 13 सितम्बर, 2012 को दूसरी बैठक 27 सितम्बर, 2012 ओम्कारेश्वर में हुई इन बैठकों में विस्थापितों द्वारा पुनर्वास के सम्बन्ध में अपनी शिकायतें विस्तृत रूप से बताई गयीं. विस्थापितों द्वारा समीति के समक्ष पुनर्वास से सम्बंधित 7000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गयी हैं.
यह आज 5 माह बाद भी विस्थापितों के पुनर्वास के विषय में कोई ठोस करवाई नहीं हुई है.
इसके साथ ही शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेश प्राप्त होने पर आदेशानुसार अभी तक लगभग 600 से अधिक विस्थापितों द्वारा जमीन के मुआवजे की 50% एवं विशेष पुनर्वास अनुदान की पूरी लगभग रूपये 9 करोड़ राशि जमा कर दी गई है. इस सम्बन्ध में हाल ही में लगभग 300 प्रभावितों को जमीनों के प्रस्ताव दिए गए है. परन्तु प्राप्त जानकारी के अनुसार ये जमीने या तो अतिक्रमित है या वर्तमान में कृषि योग्य नहीं है.
5 माह बाद अब 26 फरवरी को बैठक : रैली के माध्यम से लेंगे संघर्ष का संकल्प
मंत्रियों की समीति की 5 महीने बाद अब दिनांक 26.02.2013 को बैठक आयोजित की गयी है. इस सन्दर्भ में कल 25 फरवरी को ओम्कारेश्वर शहर में विस्थापित बड़ी संख्या में संकल्प रैली निकालकर सरकार के सामने अपनी मांगों को फिर से रखेंगे और संकल्प लेंगे कि यदि विस्थापितों को उनके पुनर्वास के अधिकार नहीं दिए गए तो राजधानी भोपाल में और नर्मदा घाटी में कड़ा संघर्ष किया जायेगा.
विस्थापितों को दिए जाये उनके अधिकार :
विस्थापितों के पुनर्वास से सम्बंधित निम्न मांगे राज्य सरकार के सामने रखी गयी हैं.
· माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार या तो प्रभावितों को सिंचित एवं उपजाऊ निजी जमीन खरीदकर दी जाये या जमीन खरीदने हेतु वर्तमान बाजार दर पर पुनर्वास निति की कण्डिका 5.4 के अनुसार अनुदान दिया जाये एवं एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर यह सुनिश्चित किया जाय कि विस्थापित उक्त राशि से पात्रतानुसार उपयुक्त जमीन खरीद ले.
· भूमिहीन प्रभावितों को जीविका चलाने हेतु सन 2001 की दर पर मात्र रूपये49350 एवं 33150 का अनुदान दिया गया है जी कि अत्यंत ही कम है, लगातार महगाई बढने के बावजूद इस अनुदान को बढाया नहीं गया है. भूमिहीन प्रभावितों द्वारा मांग की गयी है कि उन्हें न्यूनतम 2.5 लाख रूपये का अनुदान दिया जाये ताकि वो अपनी जीविका चला सके.
· ओम्कारेश्वर परियोजना की डूब में आ रहे देवास जिले के 5 गाँव धाराजी, कोथमीर, नरसिंगपुर, नयापुरा एवं गुवाड़ी की 284 हेक्टेयर जमीन का गलत अधरों पर यह अधिग्रहण वापस लिया जा रहा है जिस कारण 1500 आदिवासियों की मृत्यु संभव है. अतः इन सभी जमीनों का अधिग्रहण किया जाये और प्रभावित होने वाले सभी आदिवासी परिवारों का पुनर्वास किया जाये.
·प्रभावितों द्वारा राज्य सरकार द्वारा बनाई गई मंत्रियों की समिति के समक्ष प्रस्तुत पुनर्वास से सम्बंधित जमा 7000 आवेदनों का निराकरण प्रभावितों की सुनवाई कर किया जाये.
· इंदिरा सागर परियिजना के विषय में निम्न अतिरिक्त गंभीर विषयों पर करवाई नहीं हुई है :
· जिन व्यक्तियों की जमीने डूब गयी है परन्तु घर नहीं डूबे हैं उनके घरों के अधिग्रहण के विषय में आदेश पारित किये जाये.
· इंदिरा सागर बांध प्रभावित 255 गावों में से अंतिम 41 गावों में back water सर्वेक्षण नहीं हुआ है. इसका सर्वेक्षण कर डूब में आने वाले परिवारों का पुनर्वास किया जाये.
· सैकड़ों घर एवं हजारों एकड़ जमीन जो कि बांध में 260 मीटर से 262 मीटर तक पानी भरने पर डूब गयी हैं उनके भूअर्जन एवं पुनर्वास की करवाई की जाये.
· अनेक गावों की परिवार सूचियाँ ही तैयार नहीं हुई है. उन्हें बनाकर पुनर्वास किया जाये.
· अनेक गावों के लिए पुनर्वास स्थल नहीं बनाये गए है. उनका निर्माण कर विस्थापितों को पुनर्वासित किया जाये.
· जहाँ परिवार सूचियाँ बनी भी हैं वहाँ भी अनेक परिवारों को पुनर्वास अनुदान आदि नहीं दिया गया है
फिर निष्क्रिय किया शिकायत निवारण प्राधिकरण :
शिकायत निवारण प्राधिकरण के अध्यक्ष का कार्यकाल गत 31 दिसंबर 2012 को पूरा हो जाने बाद उनके स्थान पर कोई नियुक्ति न होने के कारण प्राधिकरण का सम्पूर्ण कार्य बंद हो गया है. कोई सुनवाई नहीं हो रही है. 3 न्यायिक एवं 1 प्रशासनिक सदस्य गत दो माह से बिना किसी कार्य के मौजूद है. इस प्रकार न सिर्फ विस्थापितों को उनके अधिकार मिलने में देर हो रही है वरन यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 13.10.2008 एवं अन्य आदेशों का उल्लंघन भी हो रहा है. इसके पूर्व भी गत वर्ष अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति न होने के कारण महीनो प्राधिकरण का कार्य बंद रहा था. आन्दोलन मांग करता है कि शिकायत निवारण प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं एक अन्य प्रशासनिक सदस्य की नियुक्ति कर प्राधिकरण के कार्य को तत्काल सुचारू किया जाये.
नर्मदा घटी के विस्थापित संकल्प बद्ध है कि वो अपने अधिकारों के लिए कड़ी से कड़ी लड़ाई के लिए तैयार है.