भोपाल। मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू दस्तक दे रहा है। इसी खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने हाईअलर्ट जारी कर दिए हैं। सभी अधिकारियों को सचेत किया गया है एवं टास्कफोर्स बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
सनद रहे कि स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर भारत में दस्तक दे दी है। दिल्ली में इस बीमारी के चलते 5 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में कुल 90 मौतें हो चुकीं हैं। इसी के चलते मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हाईअलर्ट जारी कर दिया है। मध्यप्रदेश के सभी संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने एवं टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एक घातक वायरस है, जो सूअरों से फैला है। सबसे पहले इस बीमारी के लक्षण मैक्सिको के वेराक्रूज इलाके के एक पिग फार्म के आसपास रह रहे लोगों में पाए गए थे। स्वाइन फ्लू दरअसल सुअरों के बुखार को कहते हैं जो कि उनकी सांस से जुड़ी बीमारी है। ये जुकाम से जुड़े एक वायरस से पैदा होती है। ये वायरस मोटे तौर पर चार तरह के होते हैं। H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इनमें H1N1 सबसे खतरनाक है और दुनियाभर में यही वायरस सबको अपनी चपेट में ले रहा है।
इंसानों में फैलने की संभावनाए
यूं तो आमतौर पर इसके वायरस इंसानों में नहीं फैलते लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये बीमारी इंसानों से इंसानों के बीच भी अब फैलने लगी है। ये वायरस उन लोगों में फैल सकता है, जो सुअरों के सीधे संपर्क में रहते हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण आम मानवीय फ़्लू से मिलते जुलते ही हैं। बुखार, सिर दर्द, सुस्ती, भूख न लगना और खांसी। कुछ लोगों को इससे उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों में इसके चलते शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं, जिसके चलते इंसान की मौत भी हो सकती है।
क्या है इलाज?
कुछ हद तक इसका इलाज मुमकिन है। शुरुआती लक्षणों से पता चलता है कि मैक्सिको और अमेरिका के कुछ मरीजों का इलाज टैमीफ्लू और रेलिंज़ा नामक वायरस मारक दवाओं से सफलतापूर्वक किया गया है। ये दवाएं इस फ़्लू को रोक तो नही सकती पर इसके खतरनाक नतीजों को कम कर जान जरूर बचा सकती हैं। स्वाइन प़्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका साफ सफाई है। छींकते समय हमेशा अपनी नाक और मुंह कपड़े से ढक कर रखें। छींकने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं। गंदगी से वायरस बड़ी आसानी से फैलते हैं।