भोपाल। लोकसभा में भारत की सरकार को हिलाकर रख देने वाली प्रधानमंत्री पद की दूसरी मजबूत दावेदार सुषमा स्वराज का वजन मध्यप्रदेश में कितना है इसका खुलासा स्वयं सुषमा स्वराज ने ही आज अपनी लोकसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान किया।
मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा से सांसद सुषमा स्वराज ने आज क्षेत्र के रायसेन जिले में आयोजित एक कार्यक्रम मे अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि 'संजीवनी' उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसके लिए उन्होंने सांसद निधि से अत्याधुनिक एम्बूलेंस उपलब्ध कराई थीं। 'संजीवनी' पूरी तरह से एक चलता फिरता अस्पताल था और लोगों को मौके पर ही उपचार उपलब्ध कराने में सक्षम था, परंतु वो मेरे मनमुताबिक नहीं चला।
स्वराज ने कहा कि हमने सबसे पहले संजीवनी को मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा। मंत्रालय ने इसका ठेका एक महिला नेत्री को दे दिया। उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
सुषमा स्वराज ने बताया कि मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी समीक्षा किया करती थी। अपने जमीनी कार्यकर्ताओं से बात करती, संजीवनी की प्रगति रिपोर्ट मांगती परंतु पता चलता कि उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बाद में हमने इसे कलेक्टर को सौंप दिया। उनसे कहा कि हम आपको पैसे देंगे, आप इसे चलाइए। सीएमएचओ को केवल एक डॉक्टर उपलब्ध कराना था, परंतु वो भी नहीं कराया गया। संजीवनी महीने में 20—20 दिन खड़ी रहती थी। अंतत: दुखी होकर संजीवनी एम्बूलेंस को 108 सेवाओं को सुपुर्द कर दिया गया।
अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'संजीवनी' की अकाल मृत्यु पर सुषमा स्वराज बहुत दुखी थीं और उन्होंने यह दुख उन लोगों के बीच जाकर बांटा जिन्होंने वोट देकर उन्हें लोकसभा में भेजा था।
सुषमा स्वराज के इस बयान के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति तेजी से गर्मा गई है। जहां एक ओर कांग्रेस के हाथ तो मानो बटेर ही लग गई है तो सुषमा स्वराज के बयान के कारण मध्यप्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई है। स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी इस मामले में फिलहाल कोई संतोषजनक बयान नहीं दे पाए हैं।