काजल हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि, एवं आल इंडिया पॉवरलूम बोर्ड, मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल्स, नई दिल्ली के सदस्य संजीव सक्सेना ने काजल पर हुए दुष्कर्म एवं वीभत्स हत्याकाण्ड से लेकर दाह संस्कार तक की संपूर्ण घटना की सीबीआई जांच तथा गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। 

मृतक बच्ची के परिजनों के साथ अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ द्वारा आज दोपहर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही गई बातों का समर्थन करते हुए श्री सक्सेना ने पुलिस पर अत्यधिक राजनैतिक दबाव एवं स्थानीय विधायक व गृहमंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता की उपस्थिति एवं सुनियोजित तरीके से षडयंत्रपूर्वक काजल व उसके माता-पिता व एक-दो अन्य लोगों की उपस्थिति में तड़के छह बजे आनन-फानन में दाह संस्कार व प्रदेश सरकार की चुप्पी को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब बच्ची के गुम होने के एक घण्टे के भीतर इसकी सूचना संबंधित थाने को दे दी गई थी। यदि तत्परता से खोजबीन की जाती तो काजल की जान बचाई जा सकती थी क्योंकि इस दुष्कृत्य को अंजाम देने वाला वहशी घटनास्थल के निकट ही दशहरा मैदान से लगे हुए एक गैरेज में रह रहा था। 

मामला गृहमंत्री के आवास के बिलकुल निकट का था। बच्ची के माता-पिता व परिजन रात भर बेतहाशा उसे ढूढ़ते रहे। अगले दिन शाम 4 बजे के आसपास आमजनों की सूचना पर ही पुलिस को बच्ची की कुत्तों द्वारा खाई जा रही क्षत-विक्षत लाश के बारे में पता लगा। मृतका का सिर व एक पैर गायब था। उमाशंकर गुप्ता ने षडयंत्रपूर्वक ताबड़तोड़ उसके शरीर के बचे हुए टुकड़ों को एकत्रित करवाकर न सिर्फ रातों-रात आधे-अधूरे शरीर का पोस्टमार्टम करवाया बल्कि सुबह होने के पहले ही परिवार के कुछ सदस्यों के साथ चुपचाप उसका दाह संस्कार भी करवा दिया। 

श्री सक्सेना ने भाजपा शासित प्रदेश सरकार से प्रश्न करते हुए कहा कि 


  • क्यों हिन्दू धर्म की आस्था के खिलाफ आधे-अधूरे शरीर का दाह संस्कार किया गया? 
  • क्यों बच्ची के समस्त परिजनों (जोकि बैरागढ़ में ही रहते हैं) एवं भीमनगर, वल्लभनगर एवं आसपास रह रहे समाज के लोगों के आने का इंतजार नहीं किया? 
  • क्यों जांच पूरी होने तक बच्ची के शव को सुरक्षित नहीं रखा? 

उन्होंने कहा कि इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि दिल्ली की घटना पर घडिय़ाली आंसू बहाने वाली भाजपा को अपने प्रदेश की गरीब जनता से कोई सरोकार नहीं है। इस पर यदि कांग्रेस पार्टीजनों द्वारा बच्ची के परिजनों को न्याय की मांग की जाती है तो भाजपा को इसमें राजनीति नजर आती है। 

उन्होंने पूछा कि क्या भाजपा के माननीय गृहमंत्री ने कहीं उनका पद न चला जाए इस गंभीर एवं वीभत्स घटना को केवल एक स्थानीय एवं राजनीति से देखते हुए घटना को दबाने के लिए क्या उस बच्ची के माता पिता जोकि बदहाल अवस्था में रात भर के जगे हुए थे एवं बेटी के क्षत विक्षत शरीर को देखकर खराब मानसिक स्थिति में थे के अलावा समाज के व परिवार के एक दो सदस्यों को और साथ में लेकर आनन फानन में आधे अधूरे शरीर का दाह संस्कार कर दिया। 

एक हिंदू बच्ची के आधे अधूरे दाह संस्कार की प्रक्रिया में क्या उनके एक सच्चे हिंदू होने पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग गया। क्या उस बच्ची के साथ गृहमंत्री ने मरणोपरांत अन्याय नहीं किया क्या वे एक स्थानीय विधायक व गृहमंत्री होने के नाते इस घटना की सारी जिम्मेदारी उनकी नहीं बनती? 

उनको नैतिकता के आधार पर उन्हें न सिर्फ तत्काल इस्तीफा देना चाहिए व समस्त वाल्मीकी परिवार से माफी मांगना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकार के पास उन 2500 से अधिक लापता बच्चों के बारे में कोई जवाब है जिनका पिछले एक वर्ष से कोई अता-पता नहीं है। 

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