Amway मार्केटिंग और विज्ञापन में विरोधाभास हानिकारक है


हेल्थ केयर और कई प्रकार के प्राडक्टस के साथ ‘‘एमवे’’ नामक कंपनी ने मार्केटिंग मे सालो से विक्रेता-उपभोक्ता के बीच एक चेन मार्केटिंग सिस्टम के साथ दावा किया था, कि उनका लक्ष्य पूरी दुनिया के उपभोक्ताओं का एक परिवार होगा, जहां लाभ-खोरी व्यवस्था की बदबू नही होगी।

ग्राहको में भावनात्मक लगाव के सहारे बाजार में अपना एक समूह बनाकर ‘‘वन टू वन’’ की चैन में उत्पाद के प्रति लोगो में गुणवत्ता और मिनिमम प्राफिट की छाप छोड़ना अच्छा प्रयोग था, किन्तु विभिन्न टी.व्ही चैनलो में अब ‘‘एमवे’’ का विज्ञापन ही शायद उसकी साख और दावों के विपरीत है।

हम यहां विज्ञापन में, शामिल तथ्यों के असर, कम्पनी के विपणन सिस्टम, प्राडक्ट और दावो में विरोधाभास होने पर साख कैसे प्रभावित होती है, आदि बिन्दुओं पर समीक्षा करें उससे पहले हमें ‘‘एमवे’’ के पूर्व वर्तमान प्रचलित तथ्यों आदि पर एक नजर डाल लेते है।

  1. भारतीय बाजार में ‘‘एमवे’’ ने प्रवेश कर टीम का गठन कर यह संदेश दिया कि हम अपने उत्पाद सीधे अपने उपभोक्ताओं को देते है।
  2. बजार व्यवस्था में सुपर स्टाकिस्ट/स्टाकिस्ट/डीलर ट्रेडर्स आदि को देय कमीशन जब विक्रय मूल्य में नही जुडेगा तब स्वाभाविक है मूल्य कम रहेगा।
  3. अधिक्तर प्रोडेक्ट कन्सन्ट्रेट फार्म में बाजार लाये जाते है, जो कम मूल्य पर अधिक चलते है।
  4. दुनिया के अधिकतर लोग ‘‘एमवे-फैमिली’’ होगे जो अपने ही उत्पाद का उपयोग कर अपनी इकाई को नई ऊंचाई देकर दुनिया की न. एक कम्पनी बनायेगें।
  5. ‘‘एमवे’’ के उत्पाद बाजार से नही परिवार से बिकेगे।
  6. दशकों पहले हमें यह बताया गया कि भारत में लाखों उपभोक्ता या क्रेता है।
  7. ‘‘एमवे’’ कम्पनी की ताकत उसके उत्पाद की शुद्धता, गुणवत्ता और ग्राहक परिवार है।


इनमें सातवां बिन्दु बहुत ताकतवर था जिसे ‘‘एमवे’’ कम्पनी के विज्ञापन ने ही डैमेज कर दिया। विज्ञापनो की केस स्टडी में हमनें मैनेजमेंन्ट स्टूडेन्टस से इसकी समीक्षा मे चैकाने वाले तथ्य पाये जो इस प्रकार है -

‘‘एमवे’’ का टी.व्ही. एड ‘‘ दुनिया में ‘‘एमवे’’ के मुकाबले क्या दूसरी एैसी कोई कम्पनी है जिसके पास खुद का इतना बडा आर्गेनिक फार्म हो जिससे वे अपने लाखों ग्राहको को दे सकें शुद्धता के उत्पाद’’

एनालिसिस में कम्पनी ने अपनी साख खो दी -
(1) कम्पनी ने दषको बाद प्रमाणिक रूप से घोषणा की कि उसके ग्राहकों की संख्या कभी भी लाखों में ही है।
(2) कम्पनी ने अपने उत्पादों की शुद्धता के लिये कुछेक हजार एकड़ के आर्गनिक फार्म को अपना आधार बनाया है।

केस स्टडी में मैनेजमेंट स्टुडेन्टस ने कम्पनी के विज्ञापन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि जो कम्पनी 25 साल से अधिक बाजार में है उसके ग्राहक लााखों में ही क्यों है? जिस कम्पनी के अधिकतर उत्पाद कन्स्न्ट्रेट फार्म में है उसके लिये आवष्यक आर्गनिक कच्चा माल कुछेक हजार एकड़ में कैसे उत्पादित/प्रोडक्षन हो सकते है? तीसरा वन-टू-वन चेन सेलिंग नेटवर्क में ‘‘एमवे’’ कम्पनी के उत्पाद  की लोकप्रियता क्यों नही बढी जिससे उसे विज्ञापन का सहारा लेना पडा?

निष्कर्ष के परिणाम में यह बात सामने आई कि कम्पनी के विज्ञापन को जो ध्यान से समझेगा, वह कम्पनी के बारे में निगेटिव हो जायेगा।

उपरोक्त उदाहरण के आधार पर हम यह समझाना चाहते है कि किसी भी विज्ञापन में कही गई बात आपके बारे में आपको क्रास टेली करती है, इसलिये हमेषा अपने ग्राहको के बीच अपने बारे में कभी भी गलत डाटा या गलत आंकडे देकर अपनी साख ना बनायें और ना ही ऐसे प्रमाणो से अपनी प्रमाणिकता को चुनौती ना दें जो सहज रूप से एक बात के विरूद्ध ही दूसरी बात का संदेश दे सके।

टिप्स:- जब-जब हम अपने विज्ञापनो के माध्यम से अपने कारोबार/अपने उत्पाद/अपने कार्यो को बाजार या समाज में जायें, तो उसका निगेटिव पार्ट जरूर ध्यान से सोचे-समझे और निराकरण कर ही प्रसारित प्रचारित करना अच्छा होगा।

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यह लेख चित्रांश कॉलेज के चेयरमैन एवं चित्रांश बिजनेस स्कूल के संस्थापक श्री अश्विनी श्रीवास्तव के ब्लॉग से सधन्यवाद लिया गया। श्री अश्विनी श्रीवास्तव के ब्लॉग पर जाने के लिए कृपया यहां क्लिक करें। 
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