भोपाल। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने मध्यप्रदेश के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग को प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है। न कोई नियम, न नियमों का पालन। जो अच्छा लगा वो आदेश जारी हो जाता है। जो पसंद नहीं आया उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
श्री भूरिया ने आज जारी बयान में इस बात पर गहरी चिंता प्रगट की है कि जिन गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता को कानून-व्यवस्था बनाये रखने और अपराधी तत्वों को काबू में रखने का संवैधानिक दायित्व सौंपा गया है, उन्हीं गृह मंत्री ने अपने कार्यकाल में राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था को मजाक बना ड़ाला है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि गृह मंत्री अपने निजी संबंधों और पदेन जवाबदारियों के बीच में स्पष्ट भेद नहीं कर पा रहे हैं और गृह विभाग को अपनी निजी संस्था की तरह चला रहे हैं। प्रदेश के गृह मंत्री से आम जनता की अपेक्षा रहती है कि वे अपराधियों को दंडित कराएंगे और जो निर्दोष हैं उनके लिए पूरा संरक्षण सुनिश्चित करेंगे। श्री भूरिया ने कहा है कि अत्यंत खेद और शर्म की बात है कि गृह मंत्री अपने पदेन दायित्वों की अनदेखी करके उन अपराधी तत्वों की पीठ थपथपा रहे हैं, जो कानून-व्यवस्था का खुलेआम मखौल उड़ा रहे हैं।
प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा है कि पिछले करीब डेढ़ दो वर्ष में प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता की पक्षपातपूर्ण कार्यशैली की तरफ उंगली उठाती है। सब जानते हैं कि कानून-व्यवस्था बनाये रखने और अपराधों पर नियंत्रण करने वाले पुलिस महकमे के प्रभारी मंत्री के नाते गृह मंत्री की कुछ विशेष संवेदनशील जवाबदारियां होती हैं, जो निष्पक्ष एवं गहरी सूझबूझ से निभाना पड़ती हैं। कानून को हाथ में लेने की हर घटना की तह तक पहुंचकर निर्णय लेने की अपेक्षा गृह मंत्री से रहती है। अफसोस की बात है कि गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता इस तरह काम नहीं कर रहे हैं। वे अपने चहेतों को परिस्थितियों के आधार पर प्रथम दृष्टया गलत होने पर भी ‘‘आउट आॅफ वे’’ अभयदान देकर बचाते हैं। इससे पुलिस तंत्र में हताशा बढ़ रही है। अपनी जान की बाजी लगाकर कानून-व्यवस्था संबंधी दायित्वों को निभाने वाले पुलिस कर्मियों को सही होने पर भी गृह मंत्री के गलत रवैये के कारण दंड का भागी बनना पड़ रहा है।
आपने कहा है कि गृह मंत्री के पक्षपातपूर्ण रवैये से जुड़ी घटनाओं की पड़ताल की जाए तो प्रदेश भर में उनकी संख्या हजारों में हो सकती है। अकेले भोपाल में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जो गृह मंत्री द्वारा अपने चहेतों को अनावश्यक संरक्षण देने और निष्ठावान पुलिस कर्मियों को दंडित करने की स्थिति साफ उभरकर सामने आ रही है। पिछले दिनों अपने चहेते भाजपा कार्यकर्ता के बेटे को जिस तरह गृह मंत्री ने बचाया और टी.आई. को लाइन अटैच किया, उसने गृह मंत्री को बचाव की मुद्रा में खड़ा कर दिया है। दो दिन पूर्व उनके एक विधायक प्रतिनिधि राधेश्याम तोमर ने ईंट-भटटे वालों को शराब के लिए पैसे वसूलते जिस तरह उत्पीडि़त किया और उसकी अभी तक गिरफ्तारी नहीं होना गंभीर चिंता का विषय है। इस तरह प्रदेश शनैः शनैः अराजकता की तरफ बढ़ रहा है।