भोपाल। 169 कॉलेजों को क्वालिटी से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने क्वालिटी इम्प्रूव करने वाली संस्था नैक को मांगी गई जानकारी अंतिम तिथि तक उपलब्ध नहीं करवाई। यह लापरवाही तब की गई है जबकि हायर एज्यूकेशन डिपार्टमेंट ने नैक के मूल्यांकन को अनिवार्य कर दिया है। नैक ने कॉलेजों से 20 फरवरी तक जानकारी मांगी थी, अब 8 मार्च तक का समय दिया गया है।
गौरतलब है कि कॉलेजों की इस गुणवत्ता को सुधारने के लिए विभाग ने भी एक प्रकोष्ठ गठित किया है। यह प्रकोष्ठ कॉलेजों को नैक के मूल्यांकन के लिए जरूरी मापदंडों की जानकारी उपलब्ध करा रहा है। बावजूद कई कॉलेजों ने मूल्यांकन नहीं कराया है। नैक शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन करती है। मूल्यांकन के बाद नैक संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के मुताबिक ग्रेड देती है।
इस ग्रेड के आधार पर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यूजीसी से अनुदान मिलता है। जिन शिक्षण संस्थानों ने नैक मूल्यांकन नहीं कराया होता है, उन्हें अनुदान में दिक्कत होती है। इसी को देखते हुए विभाग ने यह प्रकोष्ठ गठित किया है। यह प्रकोष्ठ अब उन कॉलेजों की व्यवस्थाओं को देखेगा, जिन्होंने नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। इसके बाद इन कॉलेजों को मूल्यांकन के अनुरूप बनाया जाएगा। नैक हर पांच साल में मूल्यांकन करती है। इसके लिए संबंधित कॉलेज को नैक की टीम को बुलाना होता है। टीम आकर सुविधाओं के आधार पर शिक्षण संस्थानों को ग्रेड देती है।
यूजीसी ने किया अनिवार्य
यूजीसी ने चालू पंचवर्षीय योजना से अनुदान के लिए नैक के मूल्यांकन को जरूरी कर दिया है। जिन विश्वविद्यालयों, कॉलेजों के पास नैक की पात्रता नही है, उन्हें अनुदान में दिक्कत आ सकती है। इसको देखते यह इस प्रकोष्ठ का गठन कॉलेजों की बेहतरी के लिए अच्छा कदम बताया जा रहा है। कई कॉलेज नैक के मूल्यांकन दायरे में नहीं है। विश्वविद्यालयों ने भी नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। बीयू ने भी नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। इससे बीयू को अनुदान में दिक्कत हो सकती है।