भोपाल। नेता प्रतिपक्ष होने के नाते कांग्रेस नेता अजय सिंह ने आज राजधानी में हुई युवा पंचायत का पारंपरिक प्रेसनोटी विरोध किया है, परंतु उन्होंने एक जबर्दस्त सवाल भी उछाला है कि 'आपने बैरोजगारी भत्ता क्यों बंद किया और युवाओं को रोजगार कब दोगे'।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने युवा पंचायत को युवाओं के साथ धोखा बताते हुए भाजपा सरकार से पूछा कि युवाओं की इतनी ही चिंता थी तो उन्होंने बेराजगारी भत्ता देना क्यों बंद कर दिया। श्री सिंह ने कहा कि चुनावी साल में युवाओं के वोट कवाड़ने के लिए जो प्रलोभन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए है उनकी हकीकत यह है कि उनमें से कई योजनाओं का पैसा मध्यप्रदेश सरकार को केन्द्र से मिल रहा है।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि चुनावी साल में युवाओं की चिंता की जो नौटंकी है उसका मंतव्य साफ है कि उन्होंने प्रदेश की जनता को धोखा देने का अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल में अगर युवाओं के हित में सरकार निरंतर फैसले लेती तो आज प्रदेश के 6 हजार से अधिक युवाओं का जीवन बच जाता और वे उन अरमानों को पूरा कर पाते जिनकी वजह से उन्हें आत्महत्या करना पड़ी।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणाएं अधिकांशतः पूर्व में हो चुकी है। चाहे वह कौशल विकास केन्द्र खोलने की बात हो, या कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने ये सब भारत सरकार की योजनाएं है जिनकी शुरूआत प्रदेश में हो चुकी है और इसकी धीमी गति, परिणाम रहित के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। उन्होने कहा कि इसी तरह लैपटॉप देने की घोषणा पुरानी हो चुकी है।
श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को अचानक आठ साल बाद युवाओं के कल्याण का ख्याल कैसे आ गया। यदि आठ साल पहले से युवा कल्याण के लिए कदम उठाये जाते तो आज युवा वर्ग में इतनी निराशा नहीं होती। युवाओं को सबसे ज्यादा जरूरत है रोजगार की। सरकार की घोषणाओं में जबर्दस्त विरोधाभास है। एक तरफ कहा जा रहा है कि करोड़ों का निवेश हुआ है। यदि यह सच है तो हमारे युवाओं को रोजगार क्यों नहीं मिला।
वर्ष 2008 में युवा नीति बनाई गई थी जो आज तक अस्पष्ट है जबकि विकास के हर क्षेत्र का परिदृश्य बदला है। आज तक इस युवा नीति की कोई चर्चा भी नहीं की गई है और न ही युवाओं को इसकी कोई जानकारी है। श्री सिंह ने पूछा है कि उस युवा नीति पर कितना अमल हुआ और उसके बाद नई युवा नीति बनाएं जाने का क्या औचित्य है।
श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार की मदद से विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां ओर अन्य शैक्षणिक सुविधाएं दी जा रही हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के पैसे से कौशल विकास का कार्यक्रम बन रहा है। पूरी धनराशि खर्च नहीं हो रही है। यदि केन्द्र राज्य सरकार की किसी क्षेत्र में तारीफ करता है तो राज्य सरकार की भी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह लोगों को यह बताये कि केन्द्र हमारा कितना सहयोग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में युवा वर्ग तैयार है लेकिन युवा कल्याण के नाम पर केवल विद्यार्थियों को मिलने वाली सुविधाएं गिनाई जाती हैं जबकि खेती-किसानी, ग्रामीण उद्योग? स्वरोजगार के क्षेत्र में युवा वर्ग के कल्याण और विकास की बात सामने नहीं आती। कारण जाहिर है कि शिवराज सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। स्वयं शिवराज सिंह के अपने विधान सभा क्षेत्र के आदिवासी समाज के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा नसीब नहीं हो रही है जबकि मुख्यमंत्री विदेश में उच्च शिक्षा दिलाने की बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बतायें कि अब तक कितने आदिवासी बच्चों केा विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा?
श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल की शुरू हुई उल्टी गिनती को रोकने की जो भी कोशिशे कर रहे है वह अंततः असफल होगी क्योंकि इस प्रदेश का हर वर्ग का मतदाता उनकी नौटंकी की असलियत जान चुका है।