आरपी कस्तूरे/ आज एक पार्टी के बहुमूल्य नेता ने बयान दिया कि कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आतंकवादी पैदा कर रहा है, इस महा पुरुष को संघ के बारे अच्छी जानकारी है, हो सकता इन्होने इसे करीब से देखा भी हो। जहा तक मै सोचता हूँ संघ एक हिन्दुव्त्वादी संघटन है,लेकिन गैर हिंदू वादी से इन्हें परहेज नहीं है, कसरत कराते है धर्म की बाते बताते है, जीवन को कैसा जिया जाए यही संघ सीखाता है।
इस य्ग्न्य में अनेक लोगो ने अपना जीवन स्वः कर दिया है। इसके बाद भी यह महापुरुष हिन्दुओ को ही क्यों निशाना बनाते है। संघ की अलग कार्य शैली है। वहा नेता नहीं चुना जाता लेकिन मनोनीत नेता की ही सब आज्ञा मानते है । यहाँ कुर्सी क झगडा नहीं है, जिसे कुर्सी मिल जाए वही न्याय करता है, गोडसे का एक कलंक संघ पर लगा था, इसी कलंक को ये महा पुरुष आज भी भुना रहे है। वे यह भूलते है कि गोडसे ने यह साबित कर दिया था कि गाँधी वध क्यों उस समय क्यों प्रासंगिक था ? यदि गोडसे गाँधी वध क्यों पुस्तक को पढ़ा जाये तो मेरा कथन सत्य साबित हो जाता है।
इस दाग को छोड़कर आज तक संघ पर कोई दाग नहीं लगा है? जिस संघ को नेहरूजी ने १९६२ में गणतंत्र की परेड में हिस्सा लेने का न्योता दिया था । आज उन्ही के अनुयायी संघ को कोस रहे है यही विडम्बना है। मै यह नहीं कहता कि संघ परमपूजनीय गुरूजी जैसा है। समय काल ओर परिस्थितीयो के कारण इस संघ में भी बदलाव आया है। इसे समय की महिमा ही कहा जा सकता है। किन्तु धर्म आधारित संस्था कभी भी देश के प्रति दगा बाजो को पैदा नहीं नहीं कर सकती ? कौशल्या के खोख में राम ही जन्म लेगा ? यशोदा ही कृष्ण का लालन पालन कर सकती है ? इनमें अद्भुत शक्ति थी, संघ कितना भी क्यों न बदल जाए वह दगा बाजो को कभी पैदा नहीं कर सकता।
हिंदू सहिष्णु है। प्रतिकारी नहीं है। इसलिए काटने वाले सर्प को दूध पिलाता है ? दुश्मन को गले लगाकर घात भी वही सहन करता है? अपनी राजनीती चलाने के लिये बहुसख्यक समुदाय का क्या अनादर किया जा सकता है। राहुल बाबा को प्रसनं करने के लिये ठीक हो सकता है किन्तु जिनको भरोसे हम महापुरुष बने है क्या उनका यह अपमान नहीं है .