भोपाल। नगर निगम द्वारा डीजल चोरी रोकने के लिए दो साल पहले करीब 40 लाख रुपए खर्च करके 300 वाहनों में लगाया गया व्हीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम (वीटीएमएस) कारगर साबित नहीं हुआ बल्कि इसके उलट नतीजे आए हैं। वाहनों की डीजल खपत घटने की जगह बढ़ गई है।
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार 2012 में उसकी डीजल की खपत 520 लीटर प्रति वाहन है। वहीं यह आंकड़ा साल 2011 में 451 लीटर और 2010 में 510 लीटर था। इससे साफ जाहिर है कि वाहनों में लगा वीटीएमएस दम तोड़ चुका है। निगम ने वर्ष 2009 में कर्मचारियों की कामचोरी और डीजल चोरी रोकने के मद्देनजर व्हीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम लगाने का मसौदा तैयार किया था।
निगम ने डीएफआईडी प्रोजेक्ट के तहत यह सिस्टम तैयार करने की जिम्मेदारी नोएडा की कंपनी वायमटेक को सौंपी थी। कंपनी ने अक्टूबर 2010 में निगम के 300 वाहनों को व्हीकल मैनेंजमेंट सिस्टम से जोड़ दिया। इसमें कंपनी ने इजरायली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। सिस्टम के तहत शहर में लिंक रोड नंबर दो स्थित निगम के डीजल टैंक, निगम वर्कशॉप व मातामंदिर स्थित कमिश्नर कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया गया।
70 लीटर बढ़ी खपत : वीटीएमएस लगाते समय निगम का तर्क था कि इससे डीजल की चोरी रुकेगी, लेकिन 2010 से 2012 तक निगम के वाहनों की संख्या बढ़ी है और न ही फेरों में इजाफा हुआ है, बावजूद डीजल का व्यय बढ़ गया है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में डीजल की खपत 2010 के मुकाबले 10 लीटर और 2011 के मुकाबले 70 लीटर बढ़ गई है।
150 वाहनों में सिस्टम बंद
निगम के 300 वाहनों को 39 लाख रुपए की लागत से व्हीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम से लैस किया गया था। इनमें से करीब 150 वाहनों के वीटीएमएस बंद हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक इन सिस्टम को पानी डाल कर या तार काट कर खराब कर दिया है, ताकि डीजल की चोरी को पकड़ा न जा सके। गौरतलब है कि 2012-13 में निगम ने डीजल, पेट्रोल और आइल के लिए 13 करोड़ रुपए का बजट तय किया था, लेकिन इस दौरान करीब 15 करोड़ रुपए का डीजल, पेट्रोल और आइल का इस्तेमाल किया गया।
क्या है वीटीएमएस
वीटीएमएस ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम पर आधारित है। इसके द्वारा निगम को उसके वाहनों के रनिंग मूवमेंट की जानकारी कंट्रोल रूम में मिल जाती है। इससे गाड़ियों की लोकेशन के साथ उसकी रफ्तार, उसके द्वारा तय की गई दूरी और उसमें डीजल की मात्रा का पता चलता है। इन सब जानकारियों के बाद डीजल की चोरी पर अंकुश लगाया जा सकता है।