
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, बाकायदा एक चेतावनी जारी की गई है कि ‘बच्चों की आमद से मस्जिद पाक साफ नहीं रह जाएगी।’ एक स्थानीय नागरिक ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ”यहां खेलना तो किसी लॉटरी जैसा है। वे (बच्चे) तेज आवाज में बोल नहीं सकते। असल में, कुछ रसूखदार मुस्लिमों ने बच्चों के कब्रिस्तान में पढ़ने पर भी आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि इससे कब्रों को दिक्कत होती होगी।”
हर गुजरते दिन के साथ कब्रिस्तान में कब्रों की संख्या बढ़ती जा रही है और मदरसे की जगह घटती जा रही है। टीचर्स को लगता है कि जल्द ही यहां चलने की जगह भी नहीं बचेगी। जिन दिन किसी को दफनाया जाता है, उस दिन कोई क्लास नहीं लगती। मदरसा में कुल 60 बच्चे हैं, लेकिन एक साथ 30 से ज्यादा बच्चे नहीं बैठ पाते। सभी बच्चे गरीब परिवारों से हैं। बच्चों के पढ़ने की यह जगह मदरसा बोर्ड के तहत आती है जिसे राज्य सरकार से ग्रांट और सहायता मिलती है। संपत्ति राजस्थान वक्फ बोर्ड के अधीन रजिस्टर्ड है।