SATNA HIV KAND: खुलासा तो 9 महीने पहले ही हो गया था, छुपाने की कोशिश आज भी कर रहे हैं

भोपाल, 17 दिसंबर 2025
: सतना एचआईवी कांड में 3 साल की मासूम बच्ची भी शामिल है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में संवेदनशीलता आज भी दिखाई नहीं दे रही है। इस मामले का खुलासा 9 महीने पहले हो गया था, लेकिन मामले को छुपाया गया और आज भी एचआईवी संक्रमण के लिए बच्चों को शक के दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है।

मार्च 2025 में पहला मामला सामने आया था

दैनिक भास्कर, सतना के पत्रकारों का कहना है कि ये पूरा मामला करीब 9 महीने पुराना है। मार्च 2025 में पहला केस सामने आया था जब 15 साल की एक नाबालिग लड़की ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए अस्पताल पहुंची और उसकी HIV रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद बाकी बच्चों की जांच कराई गई तो 26 और 28 मार्च को दो 9 साल के बच्चों में, फिर 3 अप्रैल को चौथे बच्चे में संक्रमण की पुष्टि हुई। एक 3 साल की बच्ची भी पॉजिटिव पाई गई लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया कि वो मामला अलग है क्योंकि उसके माता-पिता पहले से HIV पॉजिटिव हैं।

संक्रमित डोनर का पता आज तक नहीं लगा पाए

इन चार बच्चों को सतना जिला अस्पताल के अलावा बिरला हॉस्पिटल और जबलपुर के ब्लड बैंक से भी खून चढ़ाया गया था, लेकिन सबसे ज्यादा यूनिट्स जिला अस्पताल से ही ली गईं। अब तक इन बच्चों को कुल 189 यूनिट ब्लड ट्रांसफ्यूजन हो चुका है और करीब 200 डोनर्स के संपर्क में वे आ चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि, 150 डोनर्स की जांच हो चुकी है और सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, लेकिन संक्रमित डोनर का अभी तक पता नहीं चल सका।

डॉ. देवेंद्र पटेल कंफ्यूज करने की कोशिश कर रहे हैं

ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल कंफ्यूज करने की कोशिश कर रहे हैं, उनका कहना है कि सिर्फ ब्लड ट्रांसफ्यूजन से ही HIV नहीं होता, संक्रमित सुई, माता-पिता या दूसरे तरीकों से भी हो सकता है। वो ये भी बता रहे हैं कि शुरुआती दिनों में सामान्य टेस्ट में संक्रमण नहीं पता चलता, NAT मशीन से 7-14 दिन में कन्फर्म होता है। लेकिन सवाल ये है भाई, जब इतनी सख्त गाइडलाइंस हैं ब्लड बैंक की तो ऐसी चूक कैसे हो गई?

जिले की टीम आने के बाद राज्य की टीम जाएगी

मामले में हड़कंप मचने के बाद अब एक्शन शुरू हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भोपाल से पूरी जानकारी तलब की है। हेल्थ कमिश्नर तरुण राठी और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारी भी ब्योरा मांग रहे हैं। राज्य स्तर पर 6 सदस्यीय जांच टीम बना दी गई है जिसमें रीवा संभाग के क्षेत्रीय संचालक डॉ. एसबी अवधिया, डॉ. रूबी खान, AIIMS भोपाल के डॉ. रोमेश जैन समेत कई विशेषज्ञ शामिल हैं। ये टीम जल्द ही सतना पहुंचकर जांच करेगी। जिला स्तर पर भी सिविल सर्जन डॉ. शुक्ला ने अलग कमेटी गठित की है जिसमें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप द्विवेदी, पैथोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र पटेल और अन्य शामिल हैं। तीन दिन में रिपोर्ट देनी है।

डॉ. पूजा गुप्ता को शो कॉज नोटिस

जिला एड्स कंट्रोल सोसाइटी की नोडल अधिकारी डॉ. पूजा गुप्ता को शो कॉज नोटिस जारी हुआ है क्योंकि समय पर जानकारी नहीं दी गई। सूत्र बता रहे हैं कि नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और लगातार रिपोर्ट मांगी जा रही है।

ये पूरा वाकया देखकर मन बहुत दुखी हो जाता है। माता-पिता अपने बच्चे को बचाने अस्पताल जाते हैं और वहां से दोहरी मुसीबत लेकर लौटते हैं। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा डगमगा जाता है। उम्मीद है जांच जल्द पूरी होगी और जो भी जिम्मेदार हैं, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी ताकि आगे किसी मासूम की जिंदगी इस तरह न बर्बाद हो।

अपडेट ये है कि मामला अभी बेहद ताजा है और आज ही कई बड़े न्यूज चैनल्स व अखबारों में ये खबर प्रमुखता से छपी है। राज्य सरकार ने 7 दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कुछ रिपोर्ट्स में 6 बच्चों का जिक्र है लेकिन आधिकारिक तौर पर ट्रांसफ्यूजन से 4 बच्चे प्रभावित बताए जा रहे हैं। झारखंड में भी कुछ महीने पहले ऐसा ही मामला सामने आया था जहां थैलेसीमिया बच्चों को संक्रमित ब्लड चढ़ने की घटना हुई थी, वो भी जांच के दायरे में है। सतना का ये केस स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ा सबक है।
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