मदुरै, 26 दिसंबर 2025: आज की डिजिटल दुनिया में बच्चों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार को एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह एक कानून बनाने की संभावना तलाशे, जिसमें 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Instagram, Facebook और Snapchat का इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। यह सुझाव एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आया, जहां इंटरनेट पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई गई।
सोशल मीडिया के खिलाफ जनहित याचिका
याचिकाकर्ता एस विजयकुमार ने कोर्ट में 'रिट ऑफ मैंडमस' की मांग की थी। उन्होंने पूरे देश में सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) को 'पैरेंटल विंडो' या पैरेंटल कंट्रोल सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की अपील की। उनका मुख्य तर्क था कि इंटरनेट पर अश्लील सामग्री और चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मटेरियल (CSAM) आसानी से उपलब्ध है, जो नाबालिग बच्चों तक पहुंच रहा है। इससे बच्चों का मानसिक और भावनात्मक विकास खतरे में पड़ रहा है, और माता-पिता को इस खतरे से लड़ने में मदद की जरूरत है।
भारत में पैरेंट कंट्रोल ऐप जरूरी है: हाई कोर्ट
जस्टिस केके रामकृष्णन और जस्टिस जी जयचंद्रन की डिवीजन बेंच ने याचिका पर विस्तार से सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन CSAM वाली वेबसाइट्स और URL लगातार अपडेट होती रहती हैं, इसलिए यूजर एंड पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। यह नियंत्रण पैरेंट कंट्रोल ऐप या सुविधा से ही संभव है। कोर्ट ने जोर दिया कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खतरे और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना अनिवार्य है।
भारत सरकार भी ऑस्ट्रेलिया जैसा कानून बनाए: हाई कोर्ट
कोर्ट ने आगे कहा कि यह व्यक्तिगत चुनाव है कि कोई व्यक्ति ऐसी घृणित सामग्री देखे या न देखे, लेकिन बच्चों के मामले में जोखिम बहुत अधिक है। इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के सुझाव पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह ऑस्ट्रेलिया जैसे कानून की संभावना तलाशे, जहां 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग वर्जित है। इससे बच्चों को ऑनलाइन खतरे से बचाया जा सकता है, और उनका बचपन सुरक्षित रह सकता है।
डिजिटल दुनिया में हमारे बच्चे कितने सुरक्षित हैं
अंतरिम राहत के तौर पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक ऐसा कानून नहीं बनता, तब तक संबंधित अधिकारी जागरूकता अभियान को और अधिक प्रभावी बनाएं। सभी उपलब्ध माध्यमों से संवेदनशील समूहों, खासकर बच्चों और अभिभावकों तक संदेश पहुंचाया जाए। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि केंद्र और राज्य स्तर पर बने आयोग इस दिशा में ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे पूरी तरह लागू करेंगे। यह फैसला बच्चों की सुरक्षा के प्रति समाज की जिम्मेदारी को याद दिलाता है, और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि डिजिटल दुनिया में हमारे बच्चे कितने सुरक्षित हैं।
ऑस्ट्रेलिया में क्या कानून है, कब से लागू है और क्या असर पड़ा
ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया में पहली बार ऐसा सख्त कानून बनाया है जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अकाउंट रखने से रोकता है। इस कानून का नाम Online Safety Amendment (Social Media Minimum Age) Act 2024 है। इसमें TikTok, Facebook, Instagram, X (पूर्व Twitter), YouTube, Snapchat, Reddit जैसे प्रमुख ऐप्स शामिल हैं, जहां कंपनियों को under-16 यूजर्स को रोकना पड़ता है, वरना जुर्माना लग सकता है। यह कानून बच्चों को ऑनलाइन harms जैसे mental health issues, cyberbullying और inappropriate content से बचाने के लिए बनाया गया है।
यह कानून नवंबर 2024 में पास हुआ था, विशेष रूप से 29 नवंबर 2024 को federal government ने Online Safety Act में amendment किया।
यह कानून 10 दिसंबर 2025 से पूरी तरह लागू हो गया है। eSafety Commissioner इसकी निगरानी कर रहा है, और प्लेटफॉर्म्स को reasonable steps लेने पड़ रहे हैं ताकि under-16 बच्चे नए अकाउंट न बना सकें या मौजूदा अकाउंट डीएक्टिवेट हो जाएं।
असर की बात करें तो, आज 26 दिसंबर 2025 है, यानी कानून लागू हुए सिर्फ दो हफ्ते हुए हैं, इसलिए long-term impact का पूरा आंकलन अभी नहीं हुआ है। लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स से कुछ बातें सामने आई हैं:
- लाखों बच्चों के अकाउंट बंद हो गए हैं, जिससे वे social media के बिना नई दुनिया में adjust कर रहे हैं।
- कंपनियां शिकायत कर रही हैं कि यह implement करना challenging है, privacy risks बढ़ सकते हैं (जैसे age verification के लिए ID मांगना), और यह future users की pipeline को प्रभावित करेगा क्योंकि under-16 से revenue कम होता है लेकिन वे बड़े होकर loyal users बनते हैं।
- researchers इसे 'natural experiment' मान रहे हैं और young people's mental health, social interactions, political engagement पर study करेंगे। उम्मीद है कि इससे बच्चों का well-being बेहतर होगा, लेकिन critics कहते हैं कि यह बच्चों को unregulated spaces या dark web की ओर धकेल सकता है।
- app stores में alternative apps की डिमांड बढ़ गई है, जो social media जैसे features देती हैं लेकिन ban से बाहर हैं।
- कुल मिलाकर, कानून parents को जिम्मेदारी सिखाता है, लेकिन experts कहते हैं कि harmful content को reduce करने के लिए और support चाहिए, क्योंकि 16 साल बाद बच्चे अचानक इसका सामना करेंगे।
यह कानून अन्य देशों के लिए example बन गया है।
इस विषय में आपके विचार कृपया इस न्यूज़ की लिंक के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कीजिए ताकि सरकार तक एक सही संदेश जा सके। और अधिक अपडेट्स के लिए कृपया भोपाल समाचार को सोशल मीडिया पर फॉलो कीजिए। इसके लिए सभी विकल्प नीचे दिए गए हैं।
.webp)