Madhya Pradesh: ई-अटेंडेंस के खिलाफ भोपाल में शिक्षकों के ऐतिहासिक आंदोलन की तैयारी

भोपाल, 26 दिसंबर 2025:
मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में, स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा धोखे से अनिवार्य कर दी गई ई-अटेंडेंस व्यवस्था अब शिक्षकों के लिए बड़ा मुद्दा बन चुकी है। प्रदेश भर के शिक्षक इस सिस्टम को अव्यावहारिक और अपमानजनक बता रहे हैं, लेकिन आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय, शिक्षकों की बातों पर ध्यान नहीं दे रही है। अब इसके खिलाफ राजधानी भोपाल में ऐतिहासिक आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है।

शिक्षकों के इस आंदोलन का कोई नेता, कोई बैनर नहीं होगा

अब शिक्षकों ने एकजुट होकर बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। 3 और 4 जनवरी को भोपाल में सिर्फ और सिर्फ ई-अटेंडेंस के खिलाफ एक विशाल आंदोलन होने वाला है। खास बात यह है कि इस आंदोलन का नेतृत्व कोई एक संघ या संगठन नहीं कर रहा, बल्कि प्रदेश के सभी संघों से जुड़े शिक्षक अपने संगठनों से ऊपर उठकर इसमें शामिल हो रहे हैं। चाहे वे ई-अटेंडेंस लगा रहे हों या नहीं, ज्यादातर शिक्षक इस व्यवस्था को खत्म होते देखना चाहते हैं।

राज्य शिक्षक संघ के नेता डरपोक निकले 

आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं शिक्षकों का कहना है कि, हाल ही में राज्य शिक्षक संघ ने भोपाल में धरना दिया था, लेकिन वहां मंच से ई-अटेंडेंस का स्पष्ट विरोध नहीं हो पाया। नेताओं ने जिम्मेदारी शिक्षकों पर ही डाल दी कि मोबाइल आपके पास है, विवेक से काम करें। इससे शिक्षकों में नाराजगी और बढ़ गई। अब आम शिक्षक खुद आगे आ रहे हैं। उनका कहना है कि यह आंदोलन प्रदेश के शिक्षक आंदोलन का इतिहास रचेगा, जहां हर आम अध्यापक का हाथ नेतृत्व में होगा और सफलता के नए आयाम छुए जाएंगे।

इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी: 
मध्य प्रदेश में ई-अटेंडेंस का विरोध जुलाई 2025 से ही चल रहा है, जब "हमारे शिक्षक" ऐप को अनिवार्य किया गया। कई जिलों जैसे बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह और इंदौर में शिक्षकों ने हड़तालें कीं, ज्ञापन सौंपे और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। दिसंबर 2025 में राज्य शिक्षक संघ के नेतृत्व में भोपाल के अंबेडकर पार्क में हजारों शिक्षकों ने धरना दिया, जहां ई-अटेंडेंस बंद करने समेत अन्य मांगें उठाई गईं। मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा, जहां शिक्षकों ने प्राइवेसी और तकनीकी खामियों का हवाला दिया। सरकार अभी तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है, जिससे शिक्षकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

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