Madhya Pradesh एयर एंबुलेंस कंपनी सरकार को लूट भी रही है और सर्विस भी नहीं दे रही

भोपाल, 28 दिसंबर 2025
: भारत में "पीएम श्री एयर एंबुलेंस" सेवा शुरू करने वाले सबसे पहले राज्यों में मध्य प्रदेश का नाम आता है। मुख्यमंत्री लगातार कलेक्टरों को निर्देश देते रहते हैं कि यदि इमरजेंसी की स्थिति है तो एयर एम्बुलेंस की मदद लें, लेकिन योजना सफल नहीं हो पा रही है क्योंकि एयर एंबुलेंस की सेवा देने वाली कंपनी सरकार को लूट भी रही है और सर्विस भी नहीं दे रही है। 

FlyOla कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरा नहीं कर रही है

मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने जून 2024 में इस सेवा को लॉन्च किया था, ताकि गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त या कम खर्च में एयर लिफ्ट की सुविधा मिल सके। अब तक 109 मरीजों को एयरलिफ्ट किया जा चुका है। प्रतिष्ठित पत्रकार श्री हेमेंद्र शर्मा की एक रिपोर्ट आज सुर्खियों में है। श्री शर्मा अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि, औसतन 40 लाख रुपये प्रति मरीज का भुगतान होने के बावजूद समय पर सेवा नहीं मिल पा रही। इस सेवा का संचालन फिलहाल FlyOla (Jet Serve Aviation) कर रही है। कॉन्ट्रैक्ट और SOP में साफ लिखा है कि A109E हेलीकॉप्टर और फिक्स्ड-विंग फ्लाइंग ICU दोनों 24x7 स्टैंडबाय मोड में मध्य प्रदेश में ही उपलब्ध रहेंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। कई बार विमान अन्य राज्यों से मंगाने पड़ते हैं, जिससे गंभीर मरीजों को अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ता है।

पहले वाली कंपनी भी गड़बड़ कर रही थी

पहले चरण में ICATT Critical Care Air Transfer Team ने सेवा संभाली थी, जहां राज्य सरकार 2.50 करोड़ रुपये प्रतिमाह का फिक्स्ड भुगतान करती थी, चाहे विमान का इस्तेमाल हो या न हो। जुलाई 2025 से FlyOla को जिम्मेदारी सौंपी गई, और भुगतान बढ़कर 2.87 करोड़ रुपये प्रतिमाह हो गया। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। आखिर मदद में देरी क्यों? रिकॉर्ड्स बताते हैं कि जब डिमांड आती है, तब विमान अन्य शहरों में उड़ान भर रहे होते हैं।

12 घंटे बाद विमान आया, सड़क से जाते तो 4 घंटे में पहुंच जाते

उदाहरण के तौर पर, खंडवा में रीढ़ की हड्डी में चोट वाली 73 वर्षीय ताराबाई को 18 नवंबर को इंदौर एयरलिफ्ट किया गया। खंडवा से इंदौर सड़क मार्ग से सिर्फ 4 घंटे का सफर है, लेकिन एयर एंबुलेंस की मांग के 12 घंटे बाद विमान पहुंचा। 

सिर्फ नंबर बढ़ाने के लिए सेवा का इस्तेमाल

अस्पताल की तस्वीरों में वे कुर्सी पर बैठी नजर आती हैं, और एयरलिफ्ट के वक्त चादर में लपेटकर ले जाया गया। यह दृश्य गंभीर स्पाइनल इंजरी के दावे पर सवाल उठाता है। क्या सिर्फ नंबर बढ़ाने के लिए सेवा का इस्तेमाल हो रहा है?

विधायक की मां को 3 दिन बाद एयर एम्बुलेंस मिली, दिल्ली पहुंचते ही निधन हो गया

एक और हृदय विदारक मामला देवास का है। बीजेपी विधायक आशीष शर्मा की मां की तबीयत 26 अक्टूबर को बिगड़ी, तो परिवार ने एयर एंबुलेंस मांगी। सभी औपचारिकताएं उसी दिन पूरी हो गईं, लेकिन विमान नहीं मिला। 27 अक्टूबर को भी इंतजार रहा, और तीसरे दिन 28 अक्टूबर को VT-RSN विमान आया। उन्हें दिल्ली ले जाया गया, लेकिन पहुंचने के कुछ समय बाद उनका निधन हो गया। 

विमान मध्य प्रदेश में था लेकिन एयर एंबुलेंस ड्यूटी पर नहीं था

एयरपोर्ट अथॉरिटी और भोपाल एयरपोर्ट के रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि इसी दौरान विमान मध्य प्रदेश में ही उड़ान भर रहा था। 26 अक्टूबर को VT-RSN दिल्ली से भोपाल आया और ग्वालियर गया, जबकि VT-EMJ सिंगरौली से रीवा लैंडिंग कर रहा था। 28 अक्टूबर को भी VT-RSN दिल्ली से आया और इंदौर गया।

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी के अनुसार, Jet Serve Aviation के पास 3 हेलीकॉप्टर और 7 फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट हैं। कॉन्ट्रैक्ट में प्रावधान है कि सरकारी अनुमति से एयर एंबुलेंस को अन्य सरकारी उपयोग जैसे अफसरों की यात्रा या निरीक्षण के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे आशंका है कि मरीज की जरूरत के वक्त विमान किसी और काम में लगा हो।

आयुक्त तरुण राठी: अरे मुझे तो मालूम ही नहीं था, जांच करेंगे

स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी ने बड़ा अजीब बयान दिया है। एक सामान्य पत्रकार ने जो जानकारी पता लगा ली, आयुक्त का कहना है कि उनको तो पता ही नहीं है। तरुण राठी कहते हैं कि, 'SOP में साफ है कि दोनों एयर एंबुलेंस मध्य प्रदेश में 24x7 स्टैंडबाय पर रहनी चाहिए। अगर यह तथ्य सामने आया कि ऐसा नहीं हो रहा, तो जांच करेंगे। सही पाए जाने पर कार्रवाई होगी। हम उन्हें पैसा दे रहे हैं और सेवा का उपयोग लगभग 37% है, इसलिए अन्य कार्य में उपयोग का प्रावधान रखा गया। हालांकि अब तक एक भी गैर-चिकित्सीय उपयोग नहीं हुआ।'

FlyOla के MD S. Ram Ola: हम कोई हिसाब किताब नहीं दे सकते

FlyOla के MD S. Ram Ola ने स्वीकारा, 'हमारे ऑपरेशन्स देश के कोने-कोने में हैं। किसी भी समय कितने एयरक्राफ्ट एयर एंबुलेंस के रूप में तैयार हैं, यह बताना मुश्किल है। हमारे प्लेन आते-जाते रहते हैं।'
कितनी अजीब बात है, हमारे यहां सबसे खतरा एंबुलेंस के मालिक को भी पता होता है कि उसकी एंबुलेंस ने कितने चक्कर लगाए। सरकारी अस्पताल के बाहर एंबुलेंस की बुकिंग के लिए खड़े रहने वाले कमीशन एजेंट लड़के को भी पता होता है की कितनी एंबुलेंस है और कहां पर चल रही है। यहां तक पता होता है कि इस समय कौन सी एंबुलेंस कहां पर है। और इतनी बड़ी एयर एंबुलेंस के मालिक कहते हैं कि हमें कुछ नहीं पता।

इस न्यूज़ को सोशल मीडिया पर शेयर करें और भोपाल समाचार को फॉलो करें, ताकि मध्य प्रदेश की लेटेस्ट अपडेट्स से जुड़े रहें।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!