भोपाल, 4 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने आज विधानसभा में कहा है कि, जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 10 से कम है, उनको नजदीक के बड़े स्कूल में मर्ज कर दिया जाएगा। साथ ही इन स्कूलों में शिक्षकों की पद स्थापना दूरस्थ खाली पड़े स्कूलों में की जाएगी। सदन में यह घोषणा स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधायक अमर सिंह यादव के एक सवाल के जवाब में की।
यह निर्णय कई वर्षों से चल रही स्कूल मर्जिंग की नीति का हिस्सा है, जिसे 'एक शाला-एक परिसर' योजना और हाल ही में शुरू किए गए सीएम राइज़ (CM Rise) और सांदीपनि विद्यालयों (Sandipani Schools) के साथ स्कूलों को जोड़ने की पहल के रूप में देखा जा रहा है। विलय की आवश्यकता को दर्शाने वाले कुछ प्रमुख आंकड़े (विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर) इस प्रकार हैं:
10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल: सितंबर 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के 11,345 सरकारी स्कूल ऐसे थे जहाँ कक्षा 1 से 5 या 8 तक में 10 से भी कम विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था।
शून्य दाखिला वाले स्कूल: एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, उसी वर्ष 5,500 स्कूलों में कक्षा एक में कोई भी दाखिला नहीं हुआ था, और 25,000 स्कूलों में केवल एक या दो छात्रों ने ही प्रवेश लिया था।
कुल स्कूलों की संख्या: मध्य प्रदेश में लगभग 94,039 सरकारी स्कूल हैं।
शिक्षकों की स्थिति: प्रदेश के लगभग 22,000 सरकारी स्कूल अभी भी एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षक अतिशेष (Surplus) हैं।
छात्रों की संख्या में कमी: स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में यह भी बताया था कि पिछले 10 वर्षों में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में 21 लाख की कमी आई है।
.webp)