BHOPAL NEWS: इन 16 अस्पतालों में भर्ती होने से पहले सावधान रहें, मेडिकल इंश्योरेंस भी खतरे में

भोपाल, 04 दिसम्बर 2025
: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में संचालित 16 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं, जहां इलाज के लिए भर्ती होना खतरे से खाली नहीं है। अस्पताल के संचालकों में मरीजों की सुरक्षा के प्रबंध नहीं किए हैं। जान का खतरा हो सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं कुछ इंश्योरेंस कंपनियां इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को हेल्थ इंश्योरेंस का पैसा भी नहीं देती। इसलिए किसी भी अस्पताल में भर्ती होने से पहले कुछ चीजों की जांच जरुर कीजिए।



मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ.मनीष शर्मा ने बताया कि, भोपाल में संचालित 16 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जिनकी फायर एनओसी और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्राप्त प्राधिकरण वैधता समाप्त हो गई है। इन अस्पतालों को मध्यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण एवं अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 के अध्याय 2 को कंडिका 6 (1) के तहत नोटिस जारी किया गया है। जिसमें दो सप्ताह के भीतर सक्षम प्राधिकारी द्वारा वैध प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रमाण पत्र न देने पर एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप अस्पताल का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। 

अस्पतालों की लिस्ट

  1. माहेश्वरी हॉस्पिटल, 
  2. रेडक्रॉस हॉस्पिटल, 
  3. राधारमन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज रिसर्च हॉस्पिटल, 
  4. लक्ष्य मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, 
  5. सिटी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, 
  6. प्रयास मदर एंड चाइल्ड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, 
  7. डीकेएस हॉस्पिटल, 
  8. महर्षि वैदिक हेल्थ सेंटर, 
  9. नेत्रिका नेत्रालय, 
  10. दुलार चिल्ड्रन हॉस्पिटल, 
  11. आयुष हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, 
  12. प्रभात श्री हॉस्पिटल, 
  13. दीपशिखा हॉस्पिटल, 
  14. श्री बालाजी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, 
  15. ट्रिनिटी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, 
  16. आईमैक्स रेटिना एंड आई केयर सेंटर।

फायर एनओसी और PCB समाप्त हो जाए तो क्या हो सकता है 

  • फायर एनओसी समाप्त होने का मतलब है कि अस्पताल ने फायर सेफ्टी के निरीक्षण, अग्निशमन यंत्रों की रीफिलिंग, इमरजेंसी एग्जिट, स्प्रिंकलर आदि का अनुपालन नहीं किया।
  • पिछले कुछ वर्षों में कोविड अस्पतालों में आग से दर्जनों मरीज जिंदा जल चुके हैं (अहमदाबाद, राजकोट, भुज, विरार, नासिक आदि)। ज्यादातर मामलों में फायर एनओसी गायब या समाप्त थी।
  • मरीज (खासकर ICU, वेंटिलेटर पर) भाग नहीं सकता, मृत्यु दर बहुत अधिक होती है।
  • कई बीमा कंपनियाँ इलाज का भुगतान करने से मना कर देती हैं यदि अस्पताल के पास वैध लाइसेंस/एनओसी नहीं है।

ज्यादातर मामलों में जिस अस्पताल की फायर और पॉल्यूशन एनओसी समाप्त होती है, वहां लिफ्ट लाइसेंस, बायलर, DG सेट, फार्मेसी लाइसेंस भी पुराने होते हैं। ऑपरेशन थिएटर में आग लगने, लिफ्ट खराब होने, बिजली गुल होने पर DG सेट फेल होने जैसी घटनाएं आम हैं।

इसलिए किसी भी अस्पताल में भर्ती होने से पहले यह जरूर चेक करें कि उसे अस्पताल के पास फायर NOC एवं अन्य सभी सर्टिफिकेट है या नहीं।
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