भोपाल, 24 दिसंबर 2025: सातवां वेतनमान के बाद लाखों रुपए वेतन प्राप्त कर रहे सरकारी कर्मचारियों की कलम के माध्यम से चलने वाली गुंडागर्दी बढ़ती ही चली जा रही है। अनुसूचित जाति की एक महिला ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो इसकी शिकायत का ऐसा निराकरण किया, आप भी पढ़ोगे तो दांतों तले उंगली दबा लोग:-
सरकारी माया जाल में फांसी माया जाटव, भीमसेना-BSP कोई मदद नहीं कर रहा
यह कहानी जूली 2018 से शुरू होती है। शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील स्थित सरकारी अस्पताल में माया जाटव की डिलीवरी हुई। प्रसव के बाद उन्हें प्रसूति सहायता योजना के तहत मदद मिलनी थी लेकिन रोगी कल्याण समिति द्वारा योजना के तहत सहायता राशि नहीं दी गई। माया जाटव ने इसके लिए हर दरवाजा खटखटाया, अपनी परेशानी बताई, गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस पर माया जाटव ने 181 सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई।
सीएम हेल्पलाइन की शिकायत के बाद कार्रवाई हुई और अध्यक्ष रोगी कल्याण समिति, पोहरी (जिला शिवपुरी) की ओर से माया जाटव को 10,000 रुपये का चेक जारी किया गया। माया ने यह चेक पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की शिवपुरी शाखा में भुगतान के लिए जमा कराया लेकिन बैंक ने चेक का भुगतान करने से इनकार कर दिया और चेक रिटर्न कर दिया। रिटर्न मेमो में वजह बताई गई कि "माधवांचल ग्रामीण बैंक 'शॉर्ट कोड' क्लियरिंग में नहीं ले रहा है", जिसके कारण चेक क्लियर नहीं हो सका। यानी चेक में तकनीकी गड़बड़ी थी।
7 साल से सहायता के लिए संघर्ष कर रही है
2018 से अब तक (2025 तक) पिछले सात सालों से माया जाटव लगातार बैंक और संबंधित सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही हैं। हर बार यही जवाब मिलता है कि समस्या हल नहीं हो पा रही। इस दौरान उन्हें आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी एक्टिव है, भीमसेना भी सक्रिय हो गई है लेकिन माया जाटव की मदद करने के लिए कोई सामाजिक नेता सामने नहीं आया, क्योंकि इस मामले में माया जाटव को प्रताड़ित करने वाला कोई ब्राह्मण नहीं है। बल्कि ब्राह्मण तो माया जाटव की मदद कर रहे हैं।
थक हार कर माया जाटव कलेक्टर कार्यालय पहुंचीं और लिखित आवेदन देकर गुहार लगाई कि उनके चेक का भुगतान जल्द से जल्द करवाया जाए। उन्होंने कलेक्टर महोदय से अनुरोध किया है कि मामले को गंभीरता से लेकर तुरंत राहत दिलवाई जाए। फिलहाल मामला कलेक्टर कार्यालय में लंबित है और माया को उम्मीद है कि अब उनका हक उन्हें मिल जाएगा। ये पूरा घटनाक्रम बताता है कि एक छोटी सी तकनीकी खामी कैसे गरीब महिला के लिए सालों की परेशानी बन गई।
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