BHOPAL कलेक्टर ने बैरसिया के फेफड़े काटने की अनुमति दे दी, अयोध्या बायपास के पर्यावरण प्रेमियों को नो प्रॉब्लम

भोपाल, 27 दिसंबर 2025
: प्रतिष्ठित पत्रकार अजय वर्मा एवं विकास वर्मा की एक रिपोर्ट ने एक साथ दो खुलासे कर दिए हैं। पहला: जिस कलेक्टर का काम प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना है, उसी कलेक्टर ने बैरसिया के फेफड़े (17 एकड़ के छोटे प्राकृतिक जंगल) को काटने की अनुमति दे दी है। दूसरा: अयोध्या बाईपास पर लगातार प्रदर्शन करने वालों का एजेंडा स्पष्ट हो गया है। वह पर्यावरण के लिए नहीं बल्कि पेड़ों के पीछे छिपे अतिक्रमण को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। 

भोपाल में जंगल काटकर mining की permission दे दी

रिपोर्ट में बताया गया है कि, भोपाल से मात्र 15 किलोमीटर दूर बैरसिया विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत ईटखेड़ी में अब पर्यावरण पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यहां लगभग 17 एकड़ सरकारी भूमि पर mining की permission दे दी गई है, जहां 6 हजार से ज्यादा पेड़ खड़े हैं। इनमें सागौन, नीम और शीशम जैसे valuable trees शामिल हैं, जो इलाके की हरियाली और biodiversity को बनाए रखते हैं। प्रशासन की report में इन पेड़ों का जिक्र है, फिर भी permission जारी कर दी गई, जो locals को हैरान कर रहा है।

भोपाल में पहाड़ काटकर खदान खोदने की अनुमति दे दी

यह क्षेत्र पहाड़ी इलाका है, जहां dense forest जैसा माहौल है और पुराना गोहा रास्ता भी मौजूद है। यहां मुरम और कोपरा के extraction की अनुमति दी गई है। lease holders को 50 रुपये per cubic meter की royalty और rule 30(1)(ख) के तहत पहले साल को छोड़कर per hectare 1 लाख रुपये annual compulsory payment करना होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या economic benefit पर्यावरण के नुकसान की भरपाई कर सकता है?

कलेक्टर जानवरों से पूछे बिना उनका जंगल उजाड़ रहे हैं

स्थानीय residents और representatives ने इस decision के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि मस्तीपुरा का यह area environmentally sensitive है, जहां mining से न सिर्फ trees कटेंगे बल्कि wildlife का natural habitat भी destroy हो जाएगा। यहां peacocks, nilgai और deer जैसे animals रहते हैं, जो इलाके के ecological balance को maintain करते हैं। 

विधायक से लेकर जनपद सदस्य तक सब खिलाफ

बैरसिया के सरपंच और जनपद members ने officials को letters भेजकर permission cancel करने की demand की है। विधायक विष्णु खत्री और जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन जाट ने भी collector को लिखा है कि मामले की serious investigation हो और अनुमति रद्द की जाए। ईटखेड़ी के सरपंच हरि सिंह सैनी ने tehsildar से khasra number 2 के demarcation को निरस्त करने का अनुरोध किया। जनपद सदस्य ज्योति महेश मीणा और ग्राम बीनापुर की सरपंच ममता भूपत सिंह मीणा ने भी letters में mining को inappropriate बताते हुए immediate cancellation की मांग की। सभी का जोर है कि ग्रामीणों के interests और environment की protection होनी चाहिए।

पावर देखिए, कैंसिल होने के बाद फिर से परमिशन issue हो गई

यह permission दो parts में दी गई है, दोनों 10-10 साल की lease पर। 2019 से चल रही file पर आखिरकार 2025 में प्रमुख सचिव के directions पर mineral department ने approval दी। यह हरा भरा जंगल और इसकी जमीन अमर सिंह और साक्षी सिंह को allot की गई, जो 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2035 तक valid रहेगी। पहले कई बार यह permission cancel हो चुकी थी, लेकिन अब फिर से issue हो गई।

कलेक्टर ने कहा पब्लिक को प्रॉब्लम है तो समीक्षा करेंगे

जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन जाट कहते हैं कि यह greenery 10 villages के लिए life-giving है। mining start होने पर trees cut होंगे, animals displace होंगे और environmental balance बिगड़ जाएगा। officials का कहना है कि permission से पहले forest, revenue, gram sabha और environment departments से no objection लिया गया। CTO में condition है कि trees cutting के लिए competent department से permission लें। अभी कोई tree नहीं काटा गया। mineral officer एसएस बघेल कहते हैं कि team दोबारा site पर भेजकर check करेंगे। collector कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि अगर residents की objections हैं तो team भेजकर report मंगवाएंगे।

अयोध्या बायपास वाले पर्यावरण प्रेमी कहां हैं?

भोपाल में हाल ही में अयोध्या बायपास 10 लाइन प्रोजेक्ट को इसलिए रोक दिया गया क्योंकि इस प्रोजेक्ट के रास्ते में आने वाले लगभग 8000 पेड़ों को काटा जाना था। प्रोजेक्ट की डीपीआर से लेकर परमिशन तक किसी को कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जैसे ही कटाई शुरू हुई, अचानक बहुत सारे पर्यावरण प्रेमी पेड़ों से चिपके हुए दिखाई देने लगे। NGT आयोग में दाखिल की गई। NGT ने कटाई पर रोक लगा दी लेकिन प्रदर्शन फिर भी जारी रहा। सवाल तो बनता है कि सड़क किनारे के पेड़ काटकर सड़क का विस्तार करने वाले प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले पर्यावरण प्रेमी बैरसिया के फेफड़ों की चिंता क्यों नहीं कर रहे। क्या इसलिए क्योंकि यहां पर पेड़ों के पीछे कोई अतिक्रमण नहीं है और प्रदर्शनकारियों को आमंत्रित करने वाला कोई अतिक्रमणकारी नहीं है?

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