BHARAT में सोलर मैन्युफैक्चरिंग: एक तरफ जश्न, दूसरी तरफ बड़ी चिंता, IEEFA-JMK की नई रिपोर्ट ने खोली पोल

न्यूज़ रूम, 12 दिसंबर 2025
: भारत का सोलर सेक्टर इन दिनों दो अलग-अलग तस्वीरें दिखा रहा है। एक तरफ खुशी इस बात की कि पहली बार polysilicon और wafer जैसे सबसे मुश्किल और upstream हिस्सों में भी देश ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता खड़ी करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ चिंता इस बात की कि जितनी क्षमता का दावा किया गया, उसका बड़ा हिस्सा अभी कागजों पर ही है और पूरी ताकत से चल नहीं पा रहा।

IEEFA और JMK Research & Analytics की नई संयुक्त रिपोर्ट

यह दोहरी स्थिति सामने लाई है IEEFA (Institute for Energy Economics and Financial Analysis) और JMK Research & Analytics की नई संयुक्त रिपोर्ट ने। रिपोर्ट के अनुसार सरकार की PLI (Production Linked Incentive) स्कीम ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग को जबरदस्त बूस्ट दिया है। 2021 में शुरू हुए 4,500 करोड़ के पहले चरण से लेकर 2022 के 19,500 करोड़ और फिर कुल 24,000 करोड़ रुपये के पैकेज ने लंबे समय से रुकी इंडस्ट्री को नई जान फूंकी है।

लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है। जून 2025 तक देश में सिर्फ 3.3 GW polysilicon, 5.3 GW wafer, 29 GW solar cell और लगभग 120 GW module बनाने की क्षमता खड़ी हुई है। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है क्योंकि पहली बार upstream वैल्यू चेन में भारत ने कदम रखा है। फिर भी घोषित लक्ष्यों से यह आधी-अधूरी तस्वीर है।

रिपोर्ट बताती है कि PLI के तहत स्वीकृत 65 GW मॉड्यूल क्षमता में से अभी सिर्फ 31 GW ही ऑपरेशनल है। इसी तरह कुल अनुमानित 94,000 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले अब तक सिर्फ 48,120 करोड़ रुपये ही लगा है यानी आधे से भी कम।

सबसे बड़ी चेतावनी यह है कि अगर बाकी प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हुए तो कंपनियों को 41,834 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

लेखकों (IEEFA की विभूति गर्ग और JMK Research के प्रभाकर शर्मा, चिराग तेवानी व अमन गुप्ता) का कहना है कि असली चुनौती upstream में है। polysilicon और wafer के लिए भारत अभी भी 95% से ज्यादा आयात पर निर्भर है। वैश्विक स्तर पर सोलर पैनल की कीमतें तेजी से गिर रही हैं, जिससे भारतीय प्लांट की cost competitiveness प्रभावित हो रही है। ऊपर से हाई-टेक मशीनरी और स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी भी बड़ा रोड़ा है।

रिपोर्ट का निष्कर्ष साफ है: दिशा सही है, लेकिन रफ्तार बढ़ानी होगी। नीति, फाइनेंस, टेक्नोलॉजी और स्किल डेवलपमेंट – चारों मोर्चों पर एक साथ काम करना पड़ेगा, वरना चीन के मुकाबले ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी जगह बनाना मुश्किल हो जाएगा। रिपोर्ट: निशांत सक्सेना

अतिरिक्त अपडेट:
हाल ही में रिन्यू पावर ने गुजरात में 2 GW polysilicon प्लांट के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग की है, जो 2027 तक चालू होने की उम्मीद है। वहीं वारी रिन्यूएबल्स और रिलायंस न्यू एनर्जी भी upstream में बड़े निवेश की घोषणा कर चुके हैं। दूसरी तरफ कुछ छोटी कंपनियां PLI की सख्त शर्तों के कारण प्रोजेक्ट छोड़ने की कगार पर हैं। आने वाले 12-18 महीने भारतीय सोलर मैन्युफैक्चरिंग के लिए बहुत अहम होने वाले हैं।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!