JYOTISH SANSKAR: वर चयन में माता लक्ष्मी से शिक्षा

वर्तमान समय में युवक-युवतियों को अपना जीवनसाथी खोजने में बड़ी कठिनाई होती है। उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दोनों पक्षों को उनके सपनों के अनुरूप शत प्रतिशत योग्य जीवन साथी नहीं प्राप्त होता है। उन्हें कहीं न कहीं अपने विचारों में परिवर्तन कर समझौता करना होता है और उसे आजीवन निभाने पर ही वैवाहिक जीवन सफल हो सकता है। ऐसी समस्या समुद्र मंथन से निकलने पर लक्ष्मीजी के सम्मुख उपस्थित हुई। इस हेतु स्वयंवर किया गया।

वरमाला हाथ में लेकर अपनी सखी सहेलियों के साथ इच्छानुकूल वर खोजने के लिए लक्ष्मीजी निकल पड़ती हैं। वहाँ स्वयंवर में उन्होंने कई विवाह योग्य वरों को देखा। वे सहेलियों से उनके गुण अवगुण का विश्लेषण करती जा रही थीं। दैत्यगण भी उनके सौन्दर्य को देखकर उन्हें अपनी जीवन संगिनी बनाना चाह रहे थे।

सर्वप्रथम उन्हें वहाँ ऋषि मुनि दिखलाई दिए। लक्ष्मीजी ने सोचा कि ये ज्ञानी हैं, तपस्वी हैं परन्तु अत्यधिक क्रोधी दिखलाई देते हैं। लक्ष्मीजी के अनुसार वर को क्रोधी नहीं होना चाहिए। ज्ञान के साथ ईश भक्ति भी होना चाहिए। भक्ति में मन रमाने से जीवन में शान्ति प्राप्त होती है। तप और भक्ति का साथ होने पर शक्ति बढ़ती है। वर में ज्ञान और भक्ति का समावेश होना चाहिए।

वर माला हाथ में लिये लक्ष्मीजी आगे बढ़ी। वहाँ सभी देवगण विराजमान थे। लक्ष्मीजी के अनुसार देवगण स्वभाव से क्रोधी नहीं होते हैं, परन्तु वे कामी होते हैं। वे सभी महान अवश्य हैं परन्तु वर के रूप में वे उपयुक्त नहीं हैं। लक्ष्मी जी के अनुसार वर को अधिक कामी भी नहंी होना चाहिए।

आगे बढ़ने पर उन्हें परशुरामजी दिखलाई दिए। वे कभी-कभी क्रोध करते हैं, कामी भी नहीं हैं परन्तु वे निष्ठुर हैं। उन्होंने उनके पिताजी के कहने पर माँ की हत्या कर दी थी। उन्होंने क्षत्रिय बालकों को कष्ट पहुँचाया, उन्हें दण्ड भी दिया। ये जितेन्द्रिय हैं पर निष्ठुर होने से वर के रूप में पसन्द नहीं हैं। लक्ष्मीजी के अनुसार वर को निष्ठुर नहीं होना चाहिए। उसके मन में दयाभाव होना चाहिए।

लक्ष्मीजी आगे बढ़ी तो उन्हें वहाँ मार्कण्डेय मुनि दिखलाई दिये। वे सुन्दर हैं, दीर्घ जीवी हैं परन्तु उन्हें सभा में बैठने का अनुभव नहीं है। वे आँख बन्द कर सभा में बैठे हैं। उन्होंने लक्ष्मीजी की ओर देखा भी नहीं। लक्ष्मीजी कहती हैं यदि मैं उन्हें वर के रूप में स्वीकार कर भी लूँ तो ये मेरी तरफ देखेंगे भी नहीं। मार्कण्डेयजी ने कहा कि तुमसे तो सुन्दर कन्हैया है। मुझे लक्ष्मी का मोह नहीं है। लक्ष्मीजी के अनुसार वर को विद्वत्सभा में बैठने का अनुभव होना आवश्यक है। उसे कन्या से अधिक सुन्दर और कोई दूसरा पात्र नहीं लगना चाहिए। तुकाराम ने भी यही बात कही थी कि जब मैं लक्ष्मी के पीछे भागता था तो वो मुझे प्राप्त नहीं हुई और अब मैं भगवद् भक्ति में लीन हूँ तो लक्ष्मी मेरी भक्ति में बाधा डाल रही है।

अब लक्ष्मीजी अपनी सखियों के साथ आगे बढ़ी तो वहाँ शंकरजी बैठे थे। लक्ष्मीजी के अनुसार शंकरजी क्रोधी भी नहीं थे। कामी भी नहीं हैं। शक्ल सूरत में भी अच्छे हैं परन्तु उनकी वेशभूषा अच्छी नहीं है। अत: लक्ष्मीजी ने उन्हें वर के रूप में स्वीकार नहीं किया। इस कथन से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि जीवन में वेशभूषा का अत्यधिक महत्व है। पहनावा हमेशा नयनाभिराम, मंगलकारी और स्वच्छ तथा समयानुकूल होना चाहिए तभी कन्याएँ किसी को वर के रूप में स्वीकार करेगी। शंकरजी के समीप ही विष्णुजी बैठे थे। वे धरती को निहार रहे थे। उनका व्यक्तित्व आकर्षक था। जब लक्ष्मीजी ने उन्हें वर माला पहना दी तो वे इधर-उधर देखने लगे। लक्ष्मीजी कहती हैं कि धन प्राप्त होने पर स्वार्थ की भावना आ जाती है। मैं और मेरा परिवार यही उसका प्रमुख लक्ष्य रहता है। परन्तु विष्णुजी में यह अवगुण नहीं है। उनका इधर-उधर देखना इस बात का द्योतक है कि मुझे सभी के कुशलक्षेम का ध्यान रखना है। लक्ष्मीजी कहती हैं ये अपने भक्तों का अवश्य ध्यान रखेंगे। मेरे लिए यही श्रेष्ठ वर है।

लक्ष्मीजी के उपर्युक्त कथनों से वर का चुनाव करने में अत्यधिक सावधानियाँ रखना चाहिए। वर्तमान समय में वकील, चिकित्सक, सी.ए., शिक्षक, प्रोफेसर, जिलाधीश अन्य विभागों में कार्यरत अधिकारी, सचिवालयीन कर्मचारीगण, सचिवालयीन कर्मचारी, मल्टी नेशनल कंपनियों में कार्यरत कर्मचारी, अधिकारीगण, पायलट, तीनों सेना में कार्यरत कर्मचारीगण में से किसी का भी वर के रूप में चयन समझदारी के साथ सोच समझकर, घर के सदस्यों की राय लेकर करना चाहिए, जिससे विवाहित जीवन अनुकूल जीवन साथी के प्राप्त होने पर निर्बाध गति से सुखपूर्वक व्यतीत किया जा सके।

डॉ. शारदा मेहता
सीनि. एमआईजी-१०३, व्यास नगर,
ऋषिनगर विस्तार, उज्जैन (म.प्र.)
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!