MP WEATHER: ज्वालामुखी की राख का बादल क्या मध्यप्रदेश भी आएगा, मौसम वैज्ञानिकों का पूर्वानुमान पढ़िए

भोपाल, 25 नवंबर 2025
: भारत से 4317 किलोमीटर दूर इथियोपिया में फटे हायली गुब्बी ज्वालामुखी के राख का बादल दिल्ली पहुंच गए हैं। यह गुबार लाल सागर और मध्य पूर्व से होकर उत्तर-पश्चिम भारत में आ गया है। इस बादल में सल्फर डाइऑक्साइड व अन्य कई प्रकार के सूक्ष्म कण मौजूद हैं। हवा की दिशा के आधार पर कहा जा रहा है कि यह बादल गुजरात, राजस्थान और दिल्ली-NCR को प्रभावित करेगा लेकिन क्या इस बादल का असर मध्य प्रदेश में भी दिखाई देगा।

गुजरात, राजस्थान, दिल्ली-NCR, हरियाणा और पंजाब के लिए अलर्ट

Hayli Gubbi volcano: इथियोपिया में हजारों साल बाद फटे हायली गुब्बी ज्वालामुखी से उठा राख का विशाल गुबार सोमवार रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंच गया। इस वजह से राजधानी के कई हिस्सों में आसमान में हल्की धुंध और परत जैसी स्थिति दिखाई दी। पिछले 24 घंटे के भीतर राख का बादल अफ्रीका से लाल सागर और मध्य पूर्व के ऊपर से गुजरते हुए उत्तर पश्चिम भारत में प्रवेश किया। राख के बादल को भारतीय मौसम विभाग लगातार ट्रैक कर रहा है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस बादल में सल्फर डाइऑक्साइड और चट्टानों के सूक्ष्म कण हैं। यह गुजरात, राजस्थान, दिल्ली-NCR, हरियाणा और पंजाब के ऊपर से गुजर सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गुबार की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि आम लोगों की जिंदगी पर इसका असर काफी कम होगा। हालांकि हल्की मात्रा में राख गिरने की आशंका है। हालांकि यह वैज्ञानिकों का केवल एक अनुमान है। भारत के पास इस प्रकार का कोई पुराना एक्सपीरियंस नहीं है।

क्या उत्तर भारत की AQI पर पड़ेगा असर?

भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक एम मोहापात्रा ने कहा कि ज्वालामुखी की राख का दिल्ली की AQI पर असर पड़ने की संभावना कम है, क्योंकि राख का बादल आसामान में बहुत ऊंचाई पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि इस समय राख का बादल गुजरात के ऊपर से गुजर रहा है। इसका असर मुख्य रूप से विमानन क्षेत्र में दिखेगा।

ज्वालामुखीय राख में सल्फर डाइऑक्साइड और कांच/चट्टान के महीन कण

इंडिया मेट स्काय के मौसम विश्लेषक अश्वार्य तिवारी ने कहा कि राख का बादल उत्तर भारत की ओर 100-120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रहा है। यह 15000 से 45000 फीट की ऊंचाई पर है। इसमें ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड और कांच/चट्टान के महीन कण शामिल हैं। इसके कारण विमानन क्षेत्र पर बुरा असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष:-  समाचार के लेकर जाने तक सेटेलाइट से मिली इमेज, हवा की दिशा और वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश सुरक्षित है। पूर्वी हवा इन बादलों को मध्य प्रदेश के आसमान तक आने नहीं देगी, लेकिन क्लाइमेट चेंज के कारण कुछ भी हो सकता है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। 

लेटेस्ट अपडेट: मैक्सिको में भी सैन पेड्रो बेनिटो जुआरेज प्यूब्ला में पोपोकाटेपेटल ज्वालामुखी की एक्टिविटी दर्ज की गई है। यह क्रेटर के सबसे पास के शहरों में से एक है।
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