Kerala Fest 2025, Bhopal: कलाकारों ने मध्य प्रदेश के लोगों का दिल जीत लिया

भोपाल, 15 नवंबर 2025
: केरला फेस्ट 2025 ने तीसरे दिन भी भोपाल को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। बिट्टन मार्केट दशहरा मैदान में सप्ताहांत की भारी भीड़ ने संगीत, नृत्य और कथावाचन के जीवंत प्रदर्शनों का भरपूर लुत्फ उठाया, जो केरल की समृद्ध विरासत के साथ मध्य प्रदेश की स्थानीय कला का अनोखा fusion पेश करते हुए भारत की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता रहा।

यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन (UMA) द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय महोत्सव के तीसरे दिन, 15 नवंबर 2025 को, दर्शकों की उत्साही मौजूदगी ने आयोजकों को गदगद कर दिया। UMA के अध्यक्ष ओडी जोसेफ ने अपनी संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा, “यह फेस्ट भोपाल के लोगों के अपार उत्साह का प्रतीक बन चुका है। हजारों परिवार केरल की कला, संगीत, नृत्य और स्वादिष्ट व्यंजनों में डूबे नजर आ रहे हैं। कथकली और थेय्याम जैसे पारंपरिक रूपों से लेकर लोक नृत्य और fusion beats तक, यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करता है तथा सामाजिक सद्भाव को प्रोत्साहित करता है। सभी कलाकारों और volunteers को हार्दिक बधाई, और मैं सभी को कल के अंतिम दिन के लिए आमंत्रित करता हूं।”

शाम की शुरुआत भोपाल की अनुभूति ट्रूप के सुमधुर गीतों से हुई, जिनमें हिंदी और मलयालम की धुनों का seamless blend दर्शकों को झूमने पर विवश कर गया। शास्त्रीय रागों से लेकर बॉलीवुड हिट्स और contemporary rhythms तक, यह परफॉर्मेंस उत्तर-दक्षिण की संगीतिक परंपराओं का मनोरम संवाद रचती रही।

कलांजली ग्रुप ने केरल की लोक-नृत्य परंपराओं को जीवंत कर दिया, जब उन्होंने मलयालम कवि चंगमपूझा कृष्ण पिल्लई की 'नर्तकी' और कडमनिट्टा रामकृष्णन की 'कुरात्ती' पर mesmerizing नृत्य प्रस्तुत किए। कलाकारों के intricate facial makeup, vibrant costumes और towering headgears ने माहौल को divine बना दिया, जबकि चेंडा, एला थालम और वीक्कन चेंडा की rhythmic beats ने हर पल को pulsating कर दिया। इन प्रदर्शनों के माध्यम से हिंदू पुराण, लोककथाएं और ancestral rituals की कहानियां उभरीं, जहां कलाकारों को divine energy से blessed मानकर दर्शक आशीर्वाद ग्रहण करते नजर आए। यूनेस्को की मान्यता प्राप्त यह कला केरल की folk devotion, nature worship और cultural continuity का प्रतीक बनी रही।

शाम का climax fusion music concert रहा, जहां केरल के renowned artists ने 70 प्रतिशत हिंदी और 30 प्रतिशत मलयालम folk tunes का मिश्रण रचा। classical ragas, लोक धुनें और modern beats के साथ traditional instruments जैसे चेंडा, मृदंगम और flute को guitar तथा keyboard के साथ blend करते हुए, यह परफॉर्मेंस high-energy और immersive experience साबित हुई, जो केरल की melodic diversity और cultural harmony को celebrate करती रही।

इसके अलावा, felicitation ceremony में distinguished guests, artists और contributors को उनके cultural exchange और community involvement के लिए सम्मानित किया गया। दर्शकों ने लोक नृत्यों का भी आनंद लिया, जहां synchronized steps, expressive gestures और colorful attires के जरिए भारत की grassroots cultural heritage झलक रही थी।

कथकली का प्रदर्शन कलामंडलम सुकरमण और उनके troupe द्वारा हुआ, जो dance, drama, music और storytelling का exquisite fusion है। महाभारत-रामायण की epic tales को mudras, facial expressions और chenda-maddalam की dramatic beats के माध्यम से जीवंत करते हुए, यह कला दर्शकों को emotionally connect करती रही।

महोत्सव का एक और आकर्षण केरला फूड फेस्टिवल और craft stalls रहे, जहां साद्या, traditional snacks, black brew coffee और sweets का स्वाद चखा गया। handicraft और handloom zones में coir products, jewelry, ayurvedic items तथा souvenir handicrafts सजे थे, जो दर्शकों को केरल की essence घर ले जाने का मौका देते रहे। shopping area में traditional crafts और modern creativity का harmonious blend नजर आया।

केरला फेस्ट 2025 का यह तीसरा दिन सांस्कृतिक समृद्धि, social unity और unforgettable moments का उत्सव साबित हुआ। महोत्सव कल, 16 नवंबर तक चलेगा, जहां और भी captivating performances, culinary delights तथा art exhibitions का इंतजार है। सभी सादर आमंत्रित।
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