कानपुर के कॉन्ट्रेक्टर राजीव रायजादा ने अवश्य कोई महान पुण्य किया होगा। उनके अंतिम समय में उनकी बेटी ने, एक बेटे की तरह सेवा की। सिर्फ इतना ही नहीं अपने पिता का अंतिम संस्कार कानपुर से नहीं बल्कि अपने घर (अपनी ससुराल) से किया और सेवा से लेकर संस्कार तक पूरा ससुराल उसके साथ खड़ा रहा।
अमृता अपने पिता को लिवर डोनेट करना चाहती थी
कानपुर (उत्तरप्रदेश) के रहने वाले राजीव रायजादा (60) मुंबई में कॉन्ट्रेक्टर थे। उनकी बड़ी बेटी अमृता सक्सेना पत्नी विपिन सक्सेना (ट्रांसपोर्टर) की ससुराल शिवपुरी में है, जबकि छोटी अविवाहित बेटी सौम्या रायजादा अपने पिता के साथ मुंबई में ही रहती थी। राजीव रायजादा के लीवर खराब होने की वजह से अपने पिता को लीवर ट्रांसप्लांट करवाने के लिए उनकी बड़ी बेटी अमृता ने अपने सभी टेस्ट करवा लिए थे। इसी बीच राजीव की तबियत अधिक बिगड़ गई, और उन्होंने बीते 30 अक्टूबर को मुंबई के कोकिला अस्पताल में दम तोड़ दिया।
राजीव रायजादा कानपुर के रहने वाले थे इसलिए उनके पार्थिव शरीर को कानपुर ले जाया जाना चाहिए था, परंतु उनका कोई पुत्र नहीं है। इसलिए उनकी विवाहित पुत्री अमृता अपने पिता के पार्थिव शरीर को अपने घर ले आई। इधर नाते रिश्तेदार और गांव के लोग भी कानपुर से शिवपुरी आ गए। बताया गया कि पुत्र नहीं है इसलिए पुत्र समान ताऊ जी का बेटा अंतिम संस्कार करेगा परंतु अमृता की इच्छा थी कि वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करे, लेकिन सामाजिक स्थिति देखकर उसने कुछ नहीं कहा। इसी दौरान अमृता के पति के बड़े भाई प्रवीण चित्रांश ने प्रस्ताव रखा कि जब अमृता ने एक पुत्र के समान अपने पिता की सेवा की है और एक पुत्र के समान ही अपने घर से अंतिम संस्कार कर रही है तो फिर मुखाग्नि का अवसर भी उसको ही मिलना चाहिए। इसके बाद अमृत ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया।
इस प्रकार एक दृष्टि में यह एक नई घटना है कि, लड़की के पिता को लड़की के घर में वही सम्मान मिला जो लड़के के पिता को मिलता है।

