भोपाल, 30 नवंबर 2025: बाबा रामदेव सहित कई लोग अपने बयानों में शायद और संभवत जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं परंतु हम अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर बता रहे हैं कि डॉक्टर मोहन यादव, भारत के पहले और एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी संतान का विवाह, सामूहिक सम्मेलन में हुआ है। इससे पहले कई नेताओं ने अपनी संतान का विवाह सामूहिक सम्मेलन में करवाया है परंतु उनमें से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं था।
सामूहिक विवाह सम्मेलन में संतान की शादी करने वाले नेताओं के नाम
दिनांक 30 नवंबर 2025 से पहले किसी भारतीय मुख्यमंत्री ने अपने बेटे की शादी किसी सामूहिक विवाह सम्मेलन में नहीं करवाई थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज ही अपने छोटे बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव का विवाह उज्जैन के सामूहिक विवाह समारोह में डॉ. इशिता पटेल से संपन्न कराया, जो 21 अन्य जोड़ों के साथ एक ही मंडप में हुआ। यह पहली बार है जब किसी मौजूदा मुख्यमंत्री ने ऐसा कदम उठाया, जो सादगी और सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण बन गया। इससे पहले, कुछ राजनेताओं ने अपने बच्चों की शादियां सामूहिक रूप से कराईं, लेकिन वे मुख्यमंत्री पद पर नहीं थे। उदाहरण के लिए:-
- मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने करीब 10 साल पहले (2015 के आसपास) अपने बेटे अभिषेक और बेटी अवंतिका की शादी गढ़ाकोटा में एक सामूहिक विवाह समारोह में कराई थी।
- छत्तीसगढ़ के तत्कालीन डिप्टी सीएम टी.एस. सिंह देव ने 2023 में अपनी बेटी की शादी सामूहिक विवाह में कराई, लेकिन वे मुख्यमंत्री नहीं थे।
- पिछले साल राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बेटे की शादी में फिजूलखर्ची से बचने की अपील की थी, लेकिन शादी अलग से ही हुई थी।
- उत्तर प्रदेश में 2019 से चल रही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब तक लाखों जोड़े शादी कर चुके हैं, पर किसी मुख्यमंत्री ने खुद का परिवार इसमें शामिल नहीं किया था।
भोपाल समाचार की रिसर्च का सैंपल साइज
इस रिसर्च में हमने भारत के प्रमुख समाचार-आर्काइव और रिपोर्टों में व्यापक खोज की है। सरकारी प्रेस-रिलीज़, विकिपीडिया और गूगल सर्च के अलावा ChatGPT, Google AI एवं Grok का भी व्यापक पैमाने पर उपयोग किया है। अपनी रिसर्च के दौरान हमने 1995 से 2025 तक के रिकॉर्ड चेक किए।
डॉ. मोहन यादव ने सत्ता में सादगी और समानता आदित्य उदाहरण पेश किया
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इसे सामाजिक समरसता का बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. मोहन यादव ने साबित कर दिया कि सत्ता में रहते हुए भी सादगी और समानता को जिया जा सकता है। स्वामी रामदेव ने तो साफ कहा – “ये देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने बेटे की शादी आम लोगों के साथ एक ही पंडाल में करवाई। अमीरों-नेताओं की फिजूलखर्ची वाली शादियों के लिए ये बड़ा संदेश है।”
सादगी की अद्भुत मिसाल
- कथनी और करनी के अन्तर को समाप्त करने वाला दुर्लभ नेतृत्व।
- सत्ता, समाज और संस्कार के संगम का अनुपम उदाहरण।
- समाज को सही संस्कार की दिशा देने का सामर्थ्य बन रहा है, उज्जैन का सामूहिक विवाहोत्सव।
- अब भव्य की जगह दिव्य होंगे विवाह संस्कार।
- डेस्टिनेशन वेंडिग के चलन को बाहर करेगा आज का आयोजन।
- डिवाइन वेडिंग बनेगी गर्व और प्रतिष्ठा का नया मानक।
पंडाल में एक तरफ सीएम का बेटा डॉ. अभिमन्यू और बहू डॉ. इशिता तो दूसरी तरफ गरीब-मध्यम वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति के लड़के-लड़कियां – सब एक ही लाइन में खड़े होकर मंत्र बोल रहे थे। पंडित धीरेंद्र शास्त्री (बागेश्वर धाम वाले) ने कहा कि गीता का संदेश यही है, यहाँ भेदभाव मिटता दिख रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दोनों बड़े महंत – रवींद्र पुरी और हरि गिरि महाराज ने हर नवदंपति को एक-एक लाख रुपये देने का ऐलान कर मौके को और खास बना दिया।
कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर समेत कई बड़े नेता पहुंचे और सबने एक ही तरह का सादा भोजन किया। कोई अलग से VIP टेंट नहीं, कोई अलग से मेन्यू नहीं – बस सामूहिकता का पूरा रंग।
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