जबलपुर, 30 अक्टूबर 2025: वन विभाग, जेल विभाग की सयुंक्त परीक्षा-2023 में बिना किसी पूर्व सूचना के 87% पदों के विरुद्ध सिलेक्टेड/चयनित अभ्यार्थियो के फायनल रिजल्ट रोके जाने के संवंध में दो दर्जन अभ्यर्थियों द्वारा आर.पी.एस. लाँ एसोसिएट के माध्यम से, मई 2025 में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर, में याचिका क्रमांक WP/19946/25 तथा WP/20051/25 दायर की गई थी।
पहले हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया था
उक्त दोनों याचिकाओ की प्रारंभिक सुनवाई दिनांक 20/06/25 को मुख्य न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा तथा विनय सराफ की डिविजन बैंच ने अपनी आदेश पत्रिका (order sheet) दिनांक 20/06/2025 में सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग ओ.बी.सी. आरक्षण की याचिकाओं का उल्लेख करके उक्त दोनों याचिकाओं की सुनवाई करने से इनकार कर दिया गया था। तब 24 में से 11 अभ्यर्थियों ने न्याय की उम्मीद छोड़कर अपनी याचिका withdraw (बापिस) ले ली गई। शेष अभ्यर्थियों की ओर से ओ.बी.सी. एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएसन के माध्यम से हाईकोर्ट के उक्त आदेश दिनांक 20/06/25 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में SLP(c) 27360/25 दायर कर चुनोती दी गई।
24 में से 13 याचिकाकर्ताओ को नियुक्ति के लिए नोटिस
माननीय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्र तथा जस्टिस उज्जल भुयन द्वारा हाईकोर्ट को उक्त प्रकरणों की मेरिट पर सुनवाई किए जाने के निर्देश दिए गए तब हाईकोर्ट ने उक्त दोनों याचिकाओ को दिनांक 30/10/25 को सूचिबद्ध किया गया जिस पर मुख्य न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा तथा जस्टिस श्री विनय सराफ की खंडपीठ द्वारा सुनवाई करते हुए निर्देशित किया गया की जिन्होंने याचिका वापिस लेने आवेदन दाखिल किया है उसे स्वीकार किया जाकर याचिका में से उक्त 11 अभ्यर्थियों के नाम विलोपित (याचिका से प्रथक) किए जान के आदेश दिए गए तथा मध्य प्रदेश सरकार को निर्देशित किया गया की याचिका में शेष 13 याचिकाकर्ताओ को नियुक्ति पत्र जारी क्यों नही किए गए ?
आगामी सुनवाई दिनांक 18/11/25 को जबाब सहित संबंधितो का रिकार्ड पेश किया जाए। याचिका कर्ताओ की और से वरिष्ट अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं पुष्पेन्द्र शाह ने पक्ष रखा।
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