भोपाल। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में सिरोंज जनपद पंचायत के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी शोभित त्रिपाठी के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी लग गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने चार जिलों में 7 ठिकानों पर छापेमारी की। इस ऑपरेशन में त्रिपाठी की संपत्ति के कागजात, डिजिटल डिवाइस और कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त हो गए। साथ ही, उनके और अन्य के नाम पर 21.7 लाख रुपये के बैंक अकाउंट व म्यूचुअल फंड फ्रीज कर दिए गए हैं।
भोपाल, विदिशा, कटनी और छतरपुर के सात ठिकानों पर सर्चिंग की गई
यह कार्रवाई 3 अक्टूबर को की गई, जब ED ने PMLA 2002 (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत भोपाल, विदिशा, कटनी और छतरपुर जिलों के सात अलग-अलग ठिकानों पर सर्च चलाई। मामला विदिशा जिले के सिरोंज जनपद पंचायत से जुड़ा है, जहां त्रिपाठी CEO थे। राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की FIR के आधार पर यह ऐक्शन लिया गया। EOW की जांच में सामने आया कि त्रिपाठी ने अप्रैल 2020 से जून 2021 के बीच लॉकडाउन के दौरान, जब सार्वजनिक विवाह पूरी तरह बंद थे, कन्यादान योजना के तहत 5,923 फर्जी विवाह स्वीकृत कर 30 करोड़ 18 लाख 39 हजार रुपये का पेमेंट जारी कर दिया।
ऐसा कैसा घोटाला: 7 साल की उम्र में लड़के को बाप बना दिया
हर लाभार्थी को 51-51 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई, लेकिन हकीकत में ज्यादातर केस फर्जी साबित हुए। जांच में पाया गया कि कई लोगों की शादी तो कोरोना से पहले ही हो चुकी थी, फिर भी उनके नाम पर पैसा निकाल लिया गया। कुछ तो ऐसे थे जिन्होंने आवेदन ही नहीं किया था, और कई के दस्तावेज भी गायब हैं। एक चौंकाने वाला केस 27 साल के एक युवक का है, जिसकी तीन बेटियों की शादी के नाम पर तीनों को अलग-अलग 51 हजार रुपये स्वीकृत कर लिए गए। थोड़ा कैलकुलेशन कीजिए आपको भी आश्चर्य होगा। यदि युवक की उम्र 27 वर्ष है और योजना के अनुसार उसकी पुत्री का विवाह हुआ है तो सबसे छोटी पुत्री की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। यानी सबसे बड़ी पुत्री की उम्र कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए। छोटा सा सवाल यह है कि क्या लड़का 7 साल की उम्र में पिता बन गया था, क्योंकि युवक की उम्र तो 27 साल है।
मामला भाजपा के विधायक ने उठाया था
यह घोटाला पहली बार विधानसभा में सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने उठाया था। विपक्ष के हमलों के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए, और मामले ने खूब सुर्खियां बटोरीं। सरकार को किरकिरी झेलनी पड़ी, और त्रिपाठी को तुरंत निलंबित कर दिया गया। EOW ने पाया कि सिरोंज जनपद पंचायत ने महामारी के डर से 3,500 से ज्यादा हितग्राहियों को बिना सत्यापन के ही राशि वितरित कर दी, जिसमें फर्जीवाड़ा साफ झलक रहा था।
ED की इस सर्च से घोटाले की परतें और उजागर होने की उम्मीद है। जांच जारी है, और आगे और खुलासे हो सकते हैं।