मध्य प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के महंगाई भत्ता वृद्धि को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। शासन ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी का महंगाई भत्ता तो बढ़ाया लेकिन यह केवल ₹30 महीने के आसपास है। जबकि कर्मचारी नेताओं का कहना है कि, न्यूनतम 4500 रुपए प्रति महीना बढ़ना चाहिए।
हमने तो CPI INDEX के आधार पर महंगाई भत्ता बढ़ाया है: श्रम आयुक्त
मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त ने 1 अक्टूबर 2025 को नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया है कि 1 अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक के लिए नई दरें लागू होंगी। सरकार ने यह बढ़ोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI INDEX) के आधार पर की है। जनवरी से जून 2025 की औसत दर 414 रही, जबकि पिछली बार यह 413 थी। इसी 1 अंक के फर्क के कारण महंगाई भत्ते में 1 रुपए रोज का इजाफा किया गया है।
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के सदस्य ने कहा 4500 रुपए बढ़ना चाहिए
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रमोद प्रधान कहते हैं कि केवल एक रुपया बढ़ाना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि महंगाई बहुत बढ़ चुकी है। 1956 के भारतीय श्रम सम्मेलन के अनुसार, वेतन एक परिवार की ज़रूरतों पर आधारित होना चाहिए, जिसमें चार सदस्य माने जाते हैं। हर पांच वर्ष में वेतन का पुनरीक्षण अनिवार्य है। सातवें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन 18,000 ₹ प्रतिमाह तय किया था। मप्र में अप्रैल 2024 से लागू दरों को देखें तो महंगाई के अनुसार प्रतिदिन 150 ₹की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 1 रुपए प्रतिदिन बढ़ाया है।
श्रमिकों से अन्याय बर्दाश्त नहीं: मप्र कर्मचारी मंच
मप्र कर्मचारी मंच ने श्रम आयुक्त द्वारा दैनिक वेतन भोगियों के महंगाई भत्ते में किए गए इजाफे पर आक्रोश जाहिर किया है। कर्मचारियों के संगठन ने कहा कि रोजाना सिर्फ 1 रुपए का इजाफा किया गया। है। यह प्रदेश के सैकड़ों दैनिक वेतन भोगी एवं श्रमिकों के साथ छलावा है। नई दरों से अकुशल श्रमिक का वेतन 12125 से बढ़कर सिर्फ 12150 होगा। यही स्थिति अर्ध कुशल कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के वेतन की है। यह वेतन हमें स्वीकार नहीं है। हमारी यह मांग है कि 1 अप्रैल 2025 से दैनिक वेतन भोगी एवं श्रमिकों के वेतन में न्यूनतम 1000 रुपए की वृद्धि की जाए।