धर्मांतरण करवाने वाले सरकारी कर्मचारी की शिकायत कहां करें, क्या कार्रवाई होगी - Legal advice

यदि कोई कर्मचारी कोई गलती करता है अथवा भ्रष्टाचार करता है तो उसके खिलाफ उसके डिपार्टमेंट में शिकायत की जानी चाहिए परंतु जब कोई कर्मचारी अपराध करता है, लोग ऐसी स्थिति में भी उसके सीनियर अधिकारी से शिकायत करते हैं। यदि सीनियर अधिकारी को नियम और कानून का ज्ञान ना हो तो वह मनमानी कार्रवाई करता है और अपराध करने वाला कर्मचारी कोर्ट में केस जीत जाता है। इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी, लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रेरित करें, लोगों पर दबाव बनाए या फिर लालच दे, अथवा किसी देवता आदि का डर दिखाए तो उसके खिलाफ कहां पर शिकायत की जानी चाहिए और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी। 

Case Study: आपराधिक आरोप वाले कर्मचारी का ट्रांसफर करना उचित या अनुचित

हाल ही में बिल्कुल ऐसा ही मामला सामने आया। लोगों ने ब्लॉक लेवल के अधिकारी से शिकायत की। ब्लॉक लेवल के अधिकारी को नियम और कानून की जानकारी नहीं थी। उसने कर्मचारी का ट्रांसफर कर दिया। कर्मचारी ट्रांसफर के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की और हाईकोर्ट ने इस प्रकार की शिकायत के आधार पर किए गए ट्रांसफर को स्थगित कर दिया। अब वह कर्मचारी कोर्ट के स्टे ऑर्डर को अपनी जीत का प्रमाण पत्र बता रहा है। आईए जानते हैं कि इस प्रकार के कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है। 

अधिकारी से शिकायत करके विभागीय जांच की मांग करें

सामान्य तौर पर लोग ट्रांसफर को सजा और समस्या का निराकरण मान लेते हैं। इसलिए वह अपने आवेदन में भी ट्रांसफर की मांग करते हैं और मौखिक तौर पर भी ऐसा ही करते हैं। यही गलती करते हैं। संबंधित कर्मचारियों के अधिकारी से शिकायत जरूर करें परंतु ट्रांसफर की नहीं बल्कि विभागीय जांच की मांग करें। डिपार्मेंटल इंक्वारी के आदेश को इस प्रकार से चैलेंज नहीं किया जा सकेगा। यदि कर्मचारी, जांच में दोषी पाया जाता है तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है। उसकी सेवा समाप्त हो जाएगी। 

धर्मांतरण रोकथाम कानून के तहत FIR दर्ज करवाएं 

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक एवं ओडिशा राज्यों में धर्मांतरण को रोकने के लिए विशेष कानून है। ऐसे विशेष कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज करवाइए। 

यदि आपके राज्य में धर्मांतरण रोकथाम कानून नहीं है तो क्या करें

यदि आप दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, राजस्थान इत्यादि किसी राज्य में है जहां पर धर्मांतरण की रोकथाम के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। तब आप अपनी शिकायत में नीचे दी गई धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का निवेदन करें। 
BNS की धारा 194: यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह कोई सरकारी कर्मचारी ही क्यों ना हो, धर्म, जाति आदि के आधार पर वैमनस्य फैलाता है तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और जांच में अपराध प्रमाणित होने के बाद न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा। 
BNS की धारा 198(2): धर्मांतरण के दौरान अक्सर जो व्यक्ति धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रहा होता है, वह अक्सर किसी न किसी की धार्मिक भावना का अपमान जरूर करता है। यदि ऐसा होता है तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 198(2) के तहत मामला दर्ज करवाइए और जांच के दौरान पुलिस के समक्ष सभी प्रमाण प्रस्तुत करके कोर्ट से सजा दिलवाइए। 
BNS की धारा 351: यदि कोई सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी, किसी व्यक्ति की संपत्ति अथवा प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की धमकी देता है। तब ऐसे व्यक्ति अथवा सरकारी कर्मचारियों को Criminal Intimidation का अपराधी माना जाता है। 
BNS की धारा 354: यदि कोई व्यक्ति अथवा कर्मचारी किसी बीमार व्यक्ति को अपने धर्म के नाम पर दवाई देता है और फिर कहता है कि यदि उसने धर्मांतरण नहीं किया तो वह दैवीय अप्रसन्नता का पात्र बन जाएगा। इस प्रकार का विश्वास दिलाना धारा 354 के तहत अपराध है। 

याद रखिए यदि आपकी शिकायत सही होगी और शिकायत के साथ एविडेंस संलग्न किए जाएंगे तो फिर आपकी शिकायत पर सबको कार्रवाई करनी पड़ेगी। ट्रांसफर या निलंबन की तुलना में इस प्रकार की कार्रवाई थोड़ी देर से शुरू होती है परंतु यह एक ठोस व्यवस्था है। इससे समस्या का हमेशा के लिए निदान हो जाएगा।

✍️लेखक: उपदेश अवस्थी, पत्रकार एवं विधि सलाहकार। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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