इस तरह की शिकायत में पूरे भारत में मिलती है। कोई लोकल पुलिस अधिकारी अवैध धन कमाने के लिए लोगों को अपराध करने के लिए उकसाता है और यदि कोई अपराध नहीं करता तो उसे प्रताड़ित किया जाता है। खास तौर पर जुआ-सट्टा और शराब के अवैध कारोबार के मामले में इस तरह की शिकायत सबसे ज्यादा आती है। पुलिस अधिकारी कहता है कि अपराध करो और कमाई का एक हिस्सा पुलिस को दो। यदि अपराध करोगे तो कोई बात नहीं और यदि अपराध नहीं करोगे तो पुलिस तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करेगी।
नीचे से ऊपर तक सब मिले हुए हैं, आम आदमी क्या ही कर सकता है
इस तरह के मामले सामने आने के बाद सिर्फ एक बात कही जाती है। नीचे से ऊपर तक सब मिले हुए हैं, एक आम आदमी क्या ही कर सकता है। इंस्पेक्टर की शिकायत सुपरिटेंडेंट से करो तो वह भी कोई कार्रवाई नहीं करता, उल्टा इंस्पेक्टर को बता देता है और इंस्पेक्टर थाने बुलाकर मारपीट करता है। यह सब कुछ इसलिए हो पता है क्योंकि पब्लिक चाहती है कि कानून उनकी रक्षा करें लेकिन कानून की किताब नहीं पढ़ती। भारतीय न्याय संहिता की धारा 56 में इस तरह के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और जेल की सजा का प्रावधान है जो पब्लिक के किसी भी व्यक्ति को, किसी भी प्रकार का अपराध करने के लिए उकसाते हैं।
Abetment of offence punishable with imprisonment
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 56 'उकसाने' (Abetment) से संबंधित है। यह धारा कारावास से दंडनीय अपराध के लिए उकसाना (Abetment of offence punishable with imprisonment) शीर्षक के तहत आती है, जब वह अपराध वास्तव में किया न गया हो। BNS की धारा 56, Indian Penal Code (IPC) की धारा 116 के समरूप (corresponds) है।
BNS धारा 56 के तहत दंड के दो मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
इस धारा के तहत दंड तब लागू होता है जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध को करने के लिए उकसाता है जिसकी सज़ा कारावास (Imprisonment) है, लेकिन उकसाने के परिणामस्वरूप वह अपराध किया नहीं जाता है, और जब ऐसे उकसावे की सज़ा के लिए BNS के तहत कोई स्पष्ट प्रावधान (express provision) नहीं बनाया गया हो।
1. सामान्य स्थिति में दंड (General Punishment)
यदि अपराध उकसावे के परिणामस्वरूप नहीं किया जाता है, तो उकसाने वाले (abettor) को निम्नलिखित से दंडित किया जाएगा:
• कारावास: उस अपराध के लिए निर्धारित किसी भी प्रकार के कारावास (imprisonment of any description) से, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए निर्धारित सबसे लंबी अवधि के कारावास के एक-चौथाई (one-fourth part of the longest term) तक हो सकती है।
• जुर्माना (Fine): उस अपराध के लिए निर्धारित जुर्माने से।
• दोनों: कारावास और जुर्माना दोनों से।
2. लोक सेवक द्वारा या उसे उकसाने पर दंड - Abetment by or of a Public Servant
यदि उकसाने वाला व्यक्ति (abettor) या जिसे उकसाया गया है (the person abetted), वह एक लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी अथवा अधिकारी) है, जिसका कर्तव्य उस अपराध को होने से रोकना है, तो उकसाने वाले को अधिक कठोर दंड दिया जाएगा:
• कारावास: उस अपराध के लिए निर्धारित किसी भी प्रकार के कारावास से, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए निर्धारित सबसे लंबी अवधि के कारावास के एक-आधे (one-half of the longest term) तक हो सकती है।
• जुर्माना: उस अपराध के लिए निर्धारित जुर्माने से।
• दोनों: कारावास और जुर्माना दोनों से।
धारा 56 के उदाहरण - Illustrations of Section 56 of BNS
1. झूठी गवाही (False Evidence) का उदाहरण: ‘A’ व्यक्ति, ‘B’ को झूठी गवाही देने के लिए उकसाता है। यदि ‘B’ झूठी गवाही नहीं देता है, तब भी ‘A’ ने धारा 56 के तहत अपराध किया है और वह तदनुसार दंडनीय है।
2. लोक सेवक को उकसाने का उदाहरण: यदि 'B' किसी पुलिस अधिकारी 'A' (जिसका कर्तव्य अपराध को रोकना है) को डकैती के लिए उकसाता है। भले ही डकैती न हो, 'B' उस अपराध के लिए निर्धारित सबसे लंबी अवधि के कारावास के आधे हिस्से (one-half) और जुर्माने का भागी होगा।
3. लोक सेवक द्वारा उकसाने का उदाहरण: 'A', एक पुलिस अधिकारी है, जिसका कर्तव्य डकैती (robbery) को रोकना है, लेकिन वह अधिकारी, डकैती के लिए उकसाता है। भले ही डकैती न हो, 'A' उस अपराध के लिए निर्धारित सबसे लंबी अवधि के कारावास के आधे हिस्से (one-half) और जुर्माने का भागी होगा।
✍️लेखक: उपदेश अवस्थी, पत्रकार एवं विधि सलाहकार। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।