मध्य प्रदेश अब अवकाश प्रदेश बन चुका है। साल में 365 दिन होते हैं। इसमें से 197 दिन सरकारी छुट्टियां होती है। सरकारी कर्मचारी केवल 168 दिन काम करते हैं। इसमें भी देर से आते हैं और कई बार जल्दी चले जाते हैं। कोरोनावायरस के कारण फाइव डे वर्किंग शुरू किया था लेकिन आज तक चल रहा है। सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों की समीक्षा करने वाली समिति अब इस बात पर काम कर रही है कि कैसे कार्य दिवस की संख्या छुट्टी की संख्या से अधिक की जाए।
सरकारी छुट्टियों में कटौती वाली कमेटी का काम शुरू
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को सातवां वेतनमान मिल रहा है। हर 6 महीने में महंगाई भत्ता में वृद्धि हो जाती है। कर्मचारी आठवां वेतनमान की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा कर्मचारी पॉलिटिक्स भी करते हैं। इनका पॉलीटिकल प्रेशर इतना अधिक है कि पिछले कुछ सालों में सरकारी छुट्टियों की संख्या बढ़कर 197 हो गई और कार्य दिवस घटकर 168 रह गए। कोरोनावायरस के कारण फाइव डे वर्किंग शुरू की गई थी। वायरस तो गायब हो गया लेकिन फाइव डे वर्किंग को फिर से सिक्स डे वर्किंग करने का आदेश जारी करने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया। अब सरकार समीक्षा कर रही है, सरकार ने इस पर समीक्षा के लिए गृह, वित्त, राजस्व और सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों की चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी ने काम शुरू कर दिया है।
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साथ ही धार्मिक आधार पर दी जाने वाली छुट्टियों को केवल संबंधित वर्ग तक सीमित करने का सुझाव भी सामने आया है। सामान्य प्रशासन विभाग के मुताबिक वर्तमान में कर्मचारियों को 30 दिन आपातकालीन अवकाश, 20 चिकित्सा अवकाश, 13 अनिवार्य छुट्टियां, 52 शनिवार, 52 रविवार, 27 सरकारी अवकाश, 3 वैकल्पिक और जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा घोषित 3 अतिरिक्त अवकाश मिलते हैं। महिला कर्मचारियों को 6 माह का मातृत्व अवकाश भी मिलता है। रिपोर्ट: शैलेंद्र पटेल।