लावारिस शहर: छिंदवाड़ा में बच्चे मर रहे थे, कमल और नकुल क्या कर रहे थे, देखने तक नहीं गए

Bhopal Samachar
उपदेश अवस्थी
। छिंदवाड़ा का दुर्भाग्य देखिए, यहां जनता की जान की कोई कीमत नहीं है। सत्ता पक्ष तो हमेशा ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश करता है लेकिन छिंदवाड़ा का विपक्ष देखिए। दोनों में से किसी नेता को कोई परवाह नहीं थी। सवाल तो जरूरी है, जब छिंदवाड़ा में बच्चे मर रहे थे तो कमलनाथ और नकुलनाथ क्या कर रहे थे। पॉलिटिकल एंगल से इस घटना के लिए जितने जिम्मेदार डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और प्रभारी मंत्री राकेश सिंह हैं उतने ही जिम्मेदार कमलनाथ और नकुलनाथ भी हैं, क्योंकि कोई पद हो या ना हो, यह दोनों ही छिंदवाड़ा के सबसे बड़े विपक्ष के नेता हैं। 

कमलनाथ जनता के लिए नहीं लड़ते, सिर्फ सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हैं

मध्य प्रदेश में कमलनाथ, एक ऐसे विपक्ष के नेता हैं जो जनता के लिए कभी संघर्ष नहीं करते। महात्मा गांधी की Legacy का पूरा फायदा उठाते हैं लेकिन उनकी तरह जनता के हित में कोई प्रदर्शन, कोई उपवास नहीं करते। 1 अक्टूबर तक 6 बच्चों की मौत हो चुकी थी और कमलनाथ को पता था। कमलनाथ ने बयान भी जारी किया। यदि कमलनाथ छिंदवाड़ा आ जाते तो शायद बाकी के 10 बच्चे जिंदा होते। क्योंकि कमलनाथ के आते ही, सरकार जिम्मेदार हो जाती। सरकार को समझ में आ जाता की बात बढ़ गई है। स्वास्थ्य मंत्री ऐसे बयान नहीं देते जैसे उन्होंने दिए। प्रभारी मंत्री छिंदवाड़ा में होते और स्थिति पर नियंत्रण कर रहे होते। कमलनाथ का अपना प्रभाव है। यह मामला 1 अक्टूबर को ही नेशनल मीडिया की हेडलाइंस होता लेकिन कमलनाथ ने अपनी जनता के लिए कुछ नहीं किया। बस सोशल मीडिया पर बयान जारी करते रहे। आज भी कर रहे हैं। 

पब्लिक ने नकुलनाथ से मदद मांगी थी, नकुल ने रिप्लाई तक नहीं किया

26 सितंबर को जब नकुल नाथ ने इस मुद्दे को उठाया और विपक्ष के एक दमदार नेता की तरह सोशल मीडिया पर बयान जारी किया। लिखा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना होगा। सरकारी लापरवाही किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लोगों को लगा कि हमारा नेता जाग गया है। वह जरूर कुछ करेगा। शोभित जैन ने बड़ी विनम्रता पूर्वक कमेंट बॉक्स में लिखा कि "सर आप से अनुरोध है इनका इलाज आप करवा दें। जैसे कमलनाथ जी कराते थे"। 

नकुलनाथ की पॉकेट से पैसा नहीं लगने वाला था। सरकारी स्वास्थ्य योजना के तहत सब का इलाज हो जाने वाला था। केवल नेतृत्व करने की जरूरत थी लेकिन जनता के बीच जाकर उनको मदद करना तो दूर की बात, नकुलनाथ ने रिप्लाई तक नहीं किया। कलेक्टर से लेकर डॉक्टर तक किसी से बात नहीं की। बस बयान जारी करते रहे। आज भी बयान जारी किया है। 

कितनी बेबस और लावारिस है छिंदवाड़ा की जनता। बच्चों की मौत होती रही। ना तो उनके विधायक ने उनका साथ दिया, ना ही सांसद ने, छिंदवाड़ा के सबसे बड़े नेता और उनके बेटे को तो जनता की परवाह तक नहीं है। और 70 साल के परिपक्व लोकतंत्र की सबसे बड़ी बात, छिंदवाड़ा के लोगों को पता ही नहीं है कि ऐसे मौके पर उनके नेता को उनके साथ होना चाहिए। लोग उम्मीद ही नहीं करते, कोई आपदा आएगी तो कमलनाथ उनके बीच होंगे।
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