राजनीति में नेपोटिज्म भी बड़ी मजेदार चीज है। जिस नेपोटिज्म के कारण महाराज के पुत्र मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने, उसी नेपोटिज्म के कारण सरदार के पुत्र को मध्यप्रदेश लीग (सिंधिया क्लब) की गर्वनिंग बॉडी से, अपमानजनक तरीके से हटा दिया गया।
1. घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण
दिनांक 28 अक्टूबर को मध्य प्रदेश क्रिकेट लीग की ओर से दो सदस्यों की नियुक्ति की सूचना जारी की गई। रिपुदमन सिंह तोमर और धीरज पाराशर को मध्य प्रदेश लीग का की संचालन समिति का सदस्य बनाया गया। इनमें से रिपुदमन सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कृपा से मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर के सुपुत्र हैं और श्री धीरज पाराशर, श्री सिंधिया के स्टाफर का बेटा है। दोनों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर वंशवाद की बातचीत शुरू हो गई। चार दिन बाद दूसरा नियुक्ति पत्र जारी किया गया जिसमें रिपुदमन सिंह तोमर और धीरज पाराशर का नाम नहीं था।
2. वंशवाद के सबसे बड़े प्रमाण को वंशवाद से आपत्ति क्यों
अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि भारत में वंशवाद के सबसे बड़े जीवित प्रमाण, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को वंशवाद से क्या आपत्ति है। जब उनको लोकसभा का पहला टिकट मिला था, तब उन्हें यह भी नहीं पता था कि गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में विधानसभाओं की संख्या कितनी है। वंशवाद के कारण टिकट मिला और परिवारवाद के कारण पहली बार मंत्री बने। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने सुपुत्र महानार्यमन सिंधिया को भी वंशवाद का प्रतीक स्थापित करते हुए मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनवाया। अब, जबकि वंशवाद ही परंपरा बन गया है तो फिर रिपुदमन सिंह तोमर और धीरज पाराशर की नियुक्ति से क्या आपत्ति थी।
3. श्रीमंत महाराज साहब ने तोमर और पाराशर का ऐसा अपमान क्यों किया
इस घटनाक्रम ने एक खुलासा किया है और एक सवाल भी उपस्थित कर दिया है। खुलासा यह हुआ है कि श्रीमंत युवराज साहब, कोई भी डिसीजन लेने से पहले श्रीमंत महाराज साहब से अनुमति नहीं लेते। यहां तक की महत्वपूर्ण डिसीजन भी उनकी जानकारी में नहीं डालते। सवाल यह है कि जब कोई बात पब्लिक डोमेन में चली गई थी तो फिर मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर और अपने स्टाफ के सदस्य श्री पाराशर का इस प्रकार से अपमान करने की क्या आवश्यकता थी। दोनों को इशारा कर देते, दोनों के बच्चे श्रीमंत महाराज साहब के सम्मान में विनम्रता पूर्वक इस्तीफा दे रहे थे और फिर नई नियुक्ति कर लेते। अब तक केवल आरोप लगाया जा रहा था लेकिन अब ठप्पा लग गया है। रिपुदमन सिंह तोमर अयोग्य है। लेखक: उपदेश अवस्थी।
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