ग्वालियर, 23 अक्टूबर 2025: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ शरारती तत्व अपने पॉलीटिकल एजेंडा में सफल होने के लिए पिछले 9 महीने से ग्वालियर चंबल संभाग को जातिवाद की आग में जलाने की कोशिश कर रहे हैं। 15 अक्टूबर का टेंशन सफलतापूर्वक कंट्रोल कर लिया गया था। दीपावली के बाद शांति और आनंद का वातावरण है लेकिन शरारती तत्वों ने शांत हो चुके शोलों में फिर से घी डाल दिया।
ग्वालियर में अब क्या हुआ है
आज भाई दूज के दिन, अर्थात दीपावली के त्यौहार के अंतिम दिवस, सोशल मीडिया में एक बार फिर मूर्ति विवाद की चर्चा शुरू की गई है। जबकि यह विवाद समाप्त हो चुका है। जिस स्थान पर एक पक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और दूसरा पक्ष बीएन राव की मूर्ति स्थापित करने की पॉलिटिक्स कर रहा था वहां पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को स्थापित करने का फैसला लिया जा चुका है। अब इसमें कोई डिबेट नहीं है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व से बड़ा और निर्विवाद है। लेकिन फिर भी मूर्ति विवाद की चर्च शुरू की गई है।
सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर टाइमलाइन जारी की जा रही है। कुछ इस तरीके से प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है मानो यह मामला देश भर के लिए टेंशन का कारण बन गया है। यहां तक कहा जा रहा है कि इस मामले के कारण भारत के 10 राज्यों में टेंशन फैल गया है। जबकि असलियत यह है कि ग्वालियर के 10 मोहल्ले में भी कोई तनाव नहीं है। ग्वालियर की जनता भारत के राष्ट्रीय ध्वज के नीचे स्वयं को सुरक्षित और प्रसन्न महसूस कर रही है।
इस प्रकार के शरारती तत्वों से निपटने के लिए सोशल मीडिया पर शांति की कामना करने वालों को सक्रिय होना जरूरी है। कृपया इस समाचार को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और अपनी प्रतिक्रियाओं में यह जरूर बताएं कि, ग्वालियर में तिरंगे की स्थापना को लेकर कोई तनाव नहीं है।
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