दुनिया के 100 से अधिक देशों में लड़कियां अपनी त्वचा को आकर्षक बनाने के लिए Fairness या instant glow वाली क्रीम का प्रयोग करती है। अब तक हम समझते थे कि यदि क्रीम खराब हुई तो स्किन पर रिएक्शन दिखाई देगा लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। WHO और US FDA की स्टडी रिपोर्ट के अनुसार Fairness या instant glow वाली क्रीम में Mercury की अधिक मात्रा होने की संभावना होती है। Mercury की अधिकता के कारण सर दर्द, शॉर्ट मेमोरी लॉस और गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक की भ्रूण की मृत्यु भी हो सकती है।
Skin Lightening Products में Mercury की अधिकतम मात्रा कितनी होनी चाहिए
त्वचा को गोरा बनाने वाले किसी भी प्रोडक्ट में सामान्य तौर पर Mercury और Hydroquinone का उपयोग किया जाता है। इसके कारण त्वचा पर जादुई प्रभाव दिखाई देता है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और US FDA के अनुसार Mercury की अधिकतम सीमा: 1 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम (1 ppm), यानी किसी भी कॉस्मेटिक क्रीम में 1 ppm से ज़्यादा पारा नहीं होना चाहिए। भारत (Drugs and Cosmetics Rules, 1945) के अंतर्गत भी यही सीमा लागू है:
“Cosmetic products shall not contain mercury compounds exceeding 1 ppm, except for eye-area cosmetics where up to 70 ppm is permitted as a preservative.” (स्रोत: CDSCO, India)
Skin Lightening Products में Hydroquinone की अधिकतम मात्रा कितनी होनी चाहिए
यूरोपीय संघ (EU) में: केवल prescription cosmetic products में 2% तक, US FDA: OTC (बिना प्रिस्क्रिप्शन) उत्पादों में 2% तक की अनुमति और medical supervision के अंतर्गत केवल 4% तक की अनुमति है। भारत में Hydroquinone को Schedule E(1) के अंतर्गत नियंत्रित पदार्थ माना जाता है। OTC cosmetic products में इसकी अनुमति नहीं है; केवल डॉक्टर की सलाह पर prescribed creams (जैसे Melalite-XL, Demelan आदि) में 2–4% तक सीमित है।
यदि Mercury अधिक हो तो क्या नुकसान होगा
Mercury त्वचा से अवशोषित होकर शरीर में जमा होता है। इसका सबसे पहला असर किडनी पर दिखाई देता है। nephrotic syndrome, proteinuria, kidney failure तक हो सकता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में पारा मनुष्य के Nervous system को प्रभावित करता है। इसके कारण सबसे पहले हाथ पैर में झुनझुनी, सर दर्द अथवा शॉर्ट मेमोरी लॉस जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जो बाद में स्थाई हो जाते हैं। Mercury की अधिक मात्रा त्वचा को भी अपना शिकार बनती है। त्वचा का पतलापन, रैश, धब्बे एवं hyperpigmentation, पारा के कारण होते हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि, Mercury की अधिक मात्रा गर्भवती महिला के भ्रूण के मस्तिष्क पर असर करती है। यदि किसी शरीर में लगातार mercury की अधिक मात्रा जा रही है तो रक्त में mercury का जमा होना, जिससे शरीर-व्यापी विषाक्तता (mercurialism) हो सकती है।
यदि Hydroquinone अधिक हो क्या नुकसान होगा
सबसे पहले तो त्वचा का पतलापन (skin thinning) दिखाई देगा। इसके अलावा Contact dermatitis (एलर्जी, जलन, लालिमा) हो सकती है। Ochronosis – त्वचा में नीले-काले धब्बे (irreversible pigmentation) दिखाई दे सकते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि, Sun sensitivity – सूरज की किरणों से जलन और झुलसना बढ़ जाती है। कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि त्वचा का कैंसर भी हो सकता है, लेकिन अभी इस अध्ययन की वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा पुष्टि नहीं की गई है।
Fairness या instant glow वाली क्रीम में क्या होता है
इंडिया टुडे की पत्रकार Sonal Khetarpal की रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन बिकने वाले 8 ब्रांडों की क्रीमों का परीक्षण किया गया था, जिनमें 7 में पारा की मात्रा 7,331 ppm से लेकर 27,431 ppm तक पाई गई जबकि भारत में नियम के अनुसार 1 ppm से अधिक नहीं होनी चाहिए। इनमें से कुछ क्रीमों के डब्बे पर तो hydroquinone संबंधी चेतावनी भी लिखी हुई है। लेकिन विज्ञापन और बॉक्स पर फोटो ऐसा होता है कि कोई चेतावनी की तरफ ध्यान ही नहीं देता।
सुरक्षित उपयोग के लिए सुझाव
- केवल dermatologist-prescribed क्रीम ही इस्तेमाल करें।
- “Fairness” या “instant glow” जैसे प्रचार से बचें।
- लेबल पर mercury, mercurous chloride, calomel, ammoniated mercury, Hg, या hydroquinone जैसे शब्द दिखें तो सावधान रहें। ऐसे प्रोडक्ट खरीदने से इनकार कर दें।
- प्राकृतिक विकल्प (Vitamin C, Niacinamide, Kojic acid, Licorice extract) अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं। यदि आवश्यक है तो इनका उपयोग करें।
- सनस्क्रीन (SPF 30 या 50) का नियमित उपयोग करें, यह UV damage रोकने का वास्तविक तरीका है।
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