आचार्य कमलांश (ज्योतिष विशेषज्ञ)। दीपावली के ठीक पहले वाले गुरु पुष्य योग और रवि पुष्य योग को स्वर्णमय मुहूर्त कहा जाता है। इस योग में सोना, वाहन, संपत्ति, इलेक्ट्रॉनिक्स, नया व्यवसाय, शेयर या बांड खरीदना अत्यंत लाभदायक माना जाता है, लेकिन इस बार पुष्य नक्षत्र मंगलवार के दिन है। इसलिए गुरु पुष्य या रवि पुष्य योग नहीं बन रहा है। मैं आपको बताता हूं कि, साल 2025 का पुष्य नक्षत्र किस प्रकार से विशेष है और किस मूल्यवान वस्तु की खरीदारी करनी चाहिए एवं क्या दान करना चाहिए।
14 अक्टूबर 2025 के पुष्य नक्षत्र के विशेष योग
बृहज्जातक, अध्याय 7 पुस्तक में स्पष्ट उल्लेख है, “पुष्यं सर्वार्थसिद्ध्यर्थं शुभं नक्षत्रमुत्तमम्।” अर्थात — पुष्य नक्षत्र सर्व प्रकार के कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला उत्तम नक्षत्र है। आने वाला पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर 2025 सुबह 11:54 बजे से प्रारंभ होकर 15 अक्टूबर 2025 दोपहर 12:00 बजे तक रहेगा। मंगलवार को होने के कारण कोई विशेष स्थिति नहीं बनती है लेकिन, स्वगृही कर्क राशि में चंद्रमा प्रवेश करेंगे और धन और सौभाग्य के कारक, चंद्रमा के स्वामी बृहस्पति देव पहले से ही कर्क राशि में विराजमान है। दोनों ग्रहों का यह योग " सर्व कार्य सिद्धि योग" बनता है। इस कर्क राशि में बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति के कारण मानसिक स्थिरता, आर्थिक वृद्धि और नए कार्य की सफलता के योग बढ़ जाते हैं।
14 अक्टूबर पुष्य नक्षत्र के दिन किस राशि के अनुसार क्या खरीदें
बृहस्पति देव और चंद्रमा की विशेष सर्व कार्य सिद्धि योग के कारण 14 अक्टूबर पुष्य नक्षत्र के दिन इस योग के कारण सोना, चांदी, वाहन, जमीन, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स की खरीदारी करना, समस्त मानव जाति के लिए कल्याणकारी होगा। अब मैं सभी 12 राशियों के लिए गोचर के अनुसार खरीदारी के योग का उल्लेख करता हूं।
मेष राशि:
वाहन, मशीनरी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, खेल उपकरण, ऑफिस फर्नीचर खरीदें।
करियर ग्रोथ और बिज़नेस में लाभ होने का योग है।
मनोकामना का स्मरण करते हुए हनुमान जी को लाल फूल चढ़ाएँ।
वृषभ राशि:
सोना, चांदी, गहने, बैंक निवेश, प्लॉट या घर से जुड़ी वस्तुएँ खरीदें।
आर्थिक स्थिरता और परिवारिक सुख में वृद्धि होगी।
माँ लक्ष्मी को सफेद पुष्प अर्पित करें।
मिथुन राशि:
लैपटॉप, किताबें, संचार उपकरण, नेटवर्किंग सामग्री, शिक्षा संबंधी वस्तुएँ खरीदें।
ज्ञान वृद्धि और नई योजनाओं में सफलता का योग है।
गणेश जी की आराधना करें।
कर्क राशि:
सोना, घर की सजावट, रसोई उपकरण, वाहन या भूमि से जुड़ी वस्तुएँ खरीदें।
मान-सम्मान और स्थायी संपत्ति में वृद्धि होगी।
चंद्र देव को दूध अर्पित करें।
सिंह राशि:
कॉर्पोरेट आइटम, व्यापारिक टूल्स, शेयर बाजार में निवेश करें।
नेतृत्व क्षमता और पदोन्नति में वृद्धि होगी।
सूर्य देव को अर्घ्य दें।
कन्या राशि:
हेल्थ उपकरण, जड़ी-बूटियाँ, मेडिसिन, स्टेशनरी, अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर खरीदें।
कार्यकुशलता में वृद्धि और रोगों से मुक्ति का योग है।
विष्णु भगवान को तुलसी अर्पित करें।
तुला राशि:
वाहन, फैशन आइटम, गहने, परफ्यूम, आर्टवर्क खरीदें।
सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि, रिश्तों में मिठास आएगी।
देवी लक्ष्मी को इत्र चढ़ाएँ।
वृश्चिक राशि:
संपत्ति, शेयर मार्केट, बीमा पॉलिसी, स्टील या मेटल वस्तुएँ खरीदें।
लंबी अवधि का लाभ और स्थिरता प्राप्त होगी।
भैरव बाबा को नारियल अर्पित करें।
धनु राशि:
धार्मिक वस्तुएँ, यंत्र, पुस्तकें, यज्ञ सामग्री खरीदें।
अध्यात्म में उन्नति और नए अवसर प्राप्त होंगे।
गुरु बृहस्पति को पीले पुष्प अर्पित करें।
मकर राशि:
वाहन, घर, ऑफिस सेटअप, औद्योगिक उपकरण खरीदें।
कर्म क्षेत्र में प्रगति और सम्मान में वृद्धि का योग है।
शनि देव को तिल का तेल चढ़ाएँ।
कुंभ राशि:
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, रिसर्च टूल्स, इनोवेशन संबंधी चीजें खरीदें।
नए प्रोजेक्ट्स और तकनीकी लाभ की संभावना है।
गरीबों को काला कंबल दान करें।
मीन राशि:
आध्यात्मिक वस्तुएँ, मंदिर सामग्री, आभूषण, नया परिधान खरीदें।
मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और भक्ति में वृद्धि होगी।
विष्णु जी को केले का भोग लगाएँ।
पुष्य नक्षत्र के दिन कौन सी चीज नहीं खरीदनी चाहिए
पुष्य नक्षत्र जितना शुभ और सिद्धिदायक माना जाता है, उतना ही इसके निषेध (क्या नहीं करना चाहिए) का भी ध्यान रखना जरूरी है। नीचे दिए गए नियम शास्त्रीय मान्यताओं, पंचांगों और ज्योतिषाचार्यों की पारंपरिक राय पर आधारित हैं
1. लोहा, स्टील इत्यादि धातुओं की धारदार वस्तुएँ
लोहे, स्टील, कैंची, चाकू या किसी भी धारदार धातु की खरीद निषेध मानी गई है।
कारण: ये वस्तुएँ “क्रोध और विघ्न” का प्रतीक हैं।
शास्त्रों के अनुसार, “अयसं च पुष्ये निषिद्धं स्मृतं” पुष्य में लोहे की वस्तु नहीं लेनी चाहिए।
2. चिकित्सीय उपकरण
रोग और उपचार से संबंधित मेडिकल इक्विपमेंट जैसे थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मशीन आदि इस दिन नहीं खरीदनी चाहिए।
कारण: यह “रोग स्थायित्व” (disease permanence) का योग बनाता है।
3. काला कपड़ा या शोक-संकेत वस्तुएँ
काले रंग के कपड़े, जूते, बेल्ट, या शोक-संकेत देने वाली वस्तुएँ खरीदना अशुभ माना गया है।
कारण: यह शनि और राहु की नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
4. कर्ज या उधारी से वस्तु लेना
इस दिन किसी भी वस्तु को उधार, लोन या EMI पर खरीदना वर्जित है।
कारण: पुष्य नक्षत्र में लिया गया कर्ज जल्दी समाप्त नहीं होता और आर्थिक दबाव बढ़ाता है।
5. पुरानी या सेकेंड हैंड वस्तुएँ
सेकेंड हैंड वाहन, मोबाइल, गहने या फर्नीचर नहीं लेना चाहिए।
क्योंकि यह “पूर्व स्वामी की ऊर्जा” को साथ लाते हैं और नए सौभाग्य को बाधित करते हैं।
6. घर की मरम्मत या तोड़फोड़
इस दिन घर की छत, दीवार या फर्श तोड़ने या निर्माण कार्य शुरू करने से बचना चाहिए।
यदि निर्माण का कार्य करना हो, तो भूमिपूजन पहले के शुभ मुहूर्त में करें।
7. विवादित वस्तुएँ या तंत्र-मंत्र से जुड़ी चीजें
किसी अज्ञात या तांत्रिक वस्तु, यंत्र या अंगूठी खरीदना इस दिन वर्जित है, जब तक कि वह शुद्ध पूजन कार्य के लिए न हो।
8. रात्रि में कोई नई वस्तु न खरीदें
सूर्यास्त के बाद पुष्य नक्षत्र का प्रभाव घटता है। रात्रि में की गई खरीद का फल कम हो जाता है, इसलिए कोशिश करें कि दिन के शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें।
शुभ सुझाव: यदि किसी वर्जित वस्तु को खरीदना जीवन के लिए आवश्यक है। तब उसे खरीदने के बाद गंगाजल से इसका शुद्धिकरण करें और शुद्धिकरण के दौरान “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” का 11 बार जप करें। इसके बाद हाथ जोड़कर अपने इष्ट देव से प्रार्थना करें और आज्ञा प्राप्त करके उस वस्तु का उपयोग करें।
पुष्य नक्षत्र में पूजा विधि (Pusya Nakshatra Puja Vidhi)
पुष्य नक्षत्र को देवताओं का प्रिय नक्षत्र माना गया है। इस दिन की गई पूजा, दान, खरीदारी और शुभ कार्य दीर्घकालिक लाभ देने वाले होते हैं। लेकिन उचित विधि से पूजा करने पर ही इसका पूरा फल मिलता है। नीचे पारंपरिक पूजा-विधि दी गई है:
1. स्नान और संकल्प
प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश या आसन पर बैठें।
दीपक जलाएं और हाथ में जल लेकर संकल्प करें:
“आज पुष्य नक्षत्र के शुभ अवसर पर मैं श्री विष्णु/लक्ष्मी/शनि देव की पूजा कर रहा/रही हूँ, कृपया मेरी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।”
2. पूजा स्थल की तैयारी
पूजा स्थान को साफ कर पीले या लाल कपड़े से ढकें।
भगवान विष्णु, लक्ष्मी, शनि देव, या कुबेर जी की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई और जल रखें।
3. देव पूजन विधि
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें - "ॐ गं गणपतये नमः"।
फिर लक्ष्मी जी की पूजा करें - "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"।
कुबेर देवता को चांदी का सिक्का या रुपए का नोट चढ़ाएं।
4. विशेष पूजन के प्रकार
धन लाभ हेतु: लक्ष्मी-कुबेर पूजन करें, दक्षिण दिशा की ओर मुख रखें।
व्यवसाय वृद्धि हेतु: शनि देव या बृहस्पति की पूजा करें।
स्वास्थ्य के लिए: भगवान धन्वंतरि या सूर्य देव को अर्घ्य दें।
5. पुष्य नक्षत्र के दिन विशेष उपाय
- पीपल या तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं।
- काली वस्तुएं (जैसे काला तिल, काला कपड़ा) दान करें।
- हनुमान चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- लक्ष्मी जी को कमल का फूल और मिश्री का भोग लगाएं।
- व्यापारियों को तिजोरी की पूजा कर नई बही खोलनी चाहिए।
पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर के दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त
पुष्य नक्षत्र को नक्षत्र का राजा कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष में 27 नक्षत्रों (तारामंडलों) में से पुष्य आठवां नक्षत्र है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है पोषण करने वाला, ऊर्जा या शक्ति प्रदान करने वाला। विवाह छोड़कर किसी भी शुभ कार्य के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है। कुछ लोग खरीदारी में चौघड़िया को मान्यता देते हैं। 14 अक्टूबर को दिन की चौघड़िया के अनुसार दोपहर 3:00 बजे से शाम 5:50 बजे तक खरीदारी करना शुभ और मंगलकारी है। चौघड़िया के अनुसार दोपहर 2:59 बजे से 4:26 बजे तक लाभ एवं शाम 4:26 बजे से 5:52 बजे तक अमृत की घड़ी रहेगा।
यदि इस मुहूर्त में खरीदारी करना संभव नहीं है और आपके बाजार में चौघड़िया के अनुसार दुकान खोलने वाले व्यापारी मौजूद है तो सुबह 6:21 बजे से 7:48 बजे तक अमृत अथवा सुबह 9:14 बजे से 10:40 बजे तक शुभ बेला में खरीदारी करना मंगलकारी होगा।
डिस्क्लेमर: यह लेख एवं मार्गदर्शन, उत्तर भारत में प्रचलित ज्योतिष, पंचांग के निर्देश, शास्त्रों के उल्लेख और मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी आधुनिक एजेंसी द्वारा इनका वैज्ञानिक परीक्षण नहीं किया गया है।