मध्य प्रदेश शासन के लोक निर्माण विभाग के सबसे बड़े इंजीनियर के पद पर रहे अधिकारी के घर पर आज मध्य प्रदेश शासन की विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त की टीम द्वारा छापामार कार्रवाई की गई है। गुरुवार की सुबह सूर्योदय के साथ ही छापे की कार्रवाई शुरू हो गई है।
JP MEHRA इंजीनियर के घर काली कमाई की तलाश
अधिकारी का नाम जेपी मेहरा बताया गया है। MANNIPURAM COLONY में रहते हैं। यहीं पर घर के बाहर पुलिस तैनात है। बताया जा रहा है कि, पीडब्ल्यूडी विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान जेपी मेहरा पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे, जिसपर अब लोकायुक्त टीम द्वारा छापामारी की गई है। वर्तमान में जीपी मेहरा मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉपोर्रेशन में कार्य कर रहे हैं। यहां पर सड़क, साइनज के टेंडर को लेकर गंभीर गड़बड़ियों के आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए पात्रता की मूल शर्तें पूरी न करने के बावजूद क्वालिफाई कर दिया। इससे टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए।
जेपी मेहरा कौन है, शिकायत और विवाद क्या है
जेपी मेहरा (जिन्हें जीपी मेहरा के नाम से भी जाना जाता है) मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) के पूर्व मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) रह चुके हैं। वे विभाग के भवन विकास निगम और सड़क विकास निगम में प्रमुख भूमिकाओं में कार्यरत रहे हैं। विभाग में उनकी लंबी सेवा के दौरान सड़क निर्माण, भवन विकास और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी संभाली गई। हालांकि, हाल के वर्षों में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे वे विवादों के केंद्र में आ गए हैं।
संबंधित शिकायतें और विवाद
मध्य प्रदेश PWD में भ्रष्टाचार के कई मामलों में जेपी मेहरा का नाम प्रमुखता से उभरा है। विभाग में सड़क निर्माण, डिजाइन में बदलाव और गुणवत्ता रहित कार्यों से जुड़ी शिकायतें वर्षों से लंबित हैं। विशेष रूप से:
भ्रष्टाचार के आरोप: मेहरा पर कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें सड़क और भवनों के निर्माण में अनियमितताएं, कमीशन खोरी और गुणवत्ता में कमी शामिल है। विभाग के 15 इंजीनियरों के खिलाफ चल रहे करप्शन केस में उनका नाम प्रमुख है, जहां जांच की धीमी गति का फायदा उठाकर मामले लटकाए जा रहे हैं।
विशिष्ट विवाद: PWD के रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन में उनकी भूमिका के दौरान डिजाइन में बदलाव और अनियमित भुगतान के आरोप लगे। इसके अलावा, विभाग में कुल 12-12 वर्ष पुरानी शिकायतें ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) और लोकायुक्त में लंबित हैं, जिनमें मेहरा जैसे वरिष्ठ अधिकारियों का नाम आता है। ये शिकायतें सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता, फर्जी बिलिंग और ठेकेदारों से मिलीभगत से जुड़ी हैं।
जांच की स्थिति
लोकायुक्त छापे: 13 अगस्त 2025 को भोपाल के मणिपुरम स्थित उनके आवास पर लोकायुक्त की टीम ने छापा मारा, जहां भ्रष्टाचार के सबूत तलाशे गए। हाल ही में, 9 अक्टूबर 2025 को फिर से छापेमारी हुई, जिसमें भारी मात्रा में नकदी (कैश) और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए। लोकायुक्त टीम अभी भी मौके पर मौजूद है और कार्रवाई जारी है।
ईओडब्ल्यू और अन्य जांच: विभाग के दागी अफसरों की जांच ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में अटकी हुई है। कई मामलों में प्रारंभिक जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, लेकिन कार्रवाई में देरी हो रही है। 2025 में PWD में फाइलों में दबी शिकायतों का खुलासा हुआ, जहां मेहरा जैसे अधिकारियों के खिलाफ सालों से अधूरी जांच चल रही है।