भोपाल, 23 अक्टूबर 2025: आज एक ऐसी घटना का खुलासा हुआ है, जो जीवन के प्रति नजरिया बदल सकता है। एक व्यक्ति की एक्सीडेंट में मौत हो गई। जिस परिवार के लिए वह दिन-रात काम करता था, उसने ध्यान नहीं दिया, पहले दीपावली मनाई। जिस मालिक के लिए वह कड़ी मेहनत किया करता था, उसने भी ध्यान नहीं दिया, पहले दीपावली मनाई। और पुलिस, जिसका कर्तव्य है कि वह एक्सीडेंट में मरने वाले के परिवार को तत्काल सूचित करें, उसने भी ध्यान नहीं दिया, पहले दीपावली मनाई। बिना कोई अपराध किए अपने मालिक के प्रति पूरी ईमानदारी के साथ परिवार की जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति की डेड बॉडी अस्पताल में सड़ गई।
घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई थी
जानकारी के मुताबिक राम बहादुर (55) पिता चमन बहादुर झील नगर थाना अयोध्या नगर क्षेत्र में रहते थे। वे रत्नागिरी में एक रेस्टोरेंट में बतौर शेफ जॉब करते थे। उनके भाई नीमकांत बहादुर ने बताया कि 19-20 अक्टूबर की दरमियानी रात रेस्टोरेंट के बंद होने के बाद स्कूटी पर सवार होकर रात करीब डेढ़ बजे घर आ रहे थे। तभी रत्नागिरी में उन्हें अन्य दो पहिया वाहन के चालक ने सामने से जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में घायल भाई की मौके पर ही मौत हो गई। हालांकि एम्बुलेंस से भाई को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने भी चेक करने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।
गाड़ी जब्त कर ली लेकिन किसी को बताया नहीं
सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर लिया था। इसी स्कूटी की डिक्की में मोबाइल, आधार कार्ड रखा था। चाबी भी पुलिस के पास थी, लेकिन पुलिस का तर्क है कि गाड़ी की डिक्की को चेक नहीं किया। तीन दिन बाद जब हमें राम बहादुर की मौत की सूचना दी, तब भी मोबाइल फोन ऑन था, गाड़ी थाना परिसर में खड़ी थी।
परिवार सहित अन्य कई लोगों के मिस्ड कॉल मोबाइल में मिले हैं, लेकिन पुलिस को इसकी रिंग सुनाई नहीं दी। जबकि मोबाइल रिंग पर था। गाड़ी के रजिस्ट्रेशन में हमारा एड्रेस है, लेकिन पुलिस ने कोई प्रयास नहीं किया कि हम तक समय पर सूचना पहुंचे। कम से कम समय पर सूचना मिलती तो पोस्ट मार्टम भी समय पर होता, लाश और अधिक खराब होने से तो बच जाती।
परिवार को पता ही नहीं चला, सब दीपावली मनाते रहे
मृतक के बेटे सतीश ने बताया कि पिता जिस रेस्टोरेंट में काम करते थे वह रात को देरी से बंद होता है। अकसर रात अधिक होने के कारण पिता वहीं सो जाया करते थे। 19 अक्टूबर को वे घर के लिए निकले जरूर, लेकिन आए नहीं। हमने कॉल किए तो उन्होंने नहीं उठाया, लेकिन हमें इत्मिनान था कि पिता रेस्टोरेंट में ही सो गए होंगे। अगले दिन दिवाली थी, त्योहार के कारण परिवार इसी में व्यस्त रहा। त्योहारों पर रेस्टोरेंट में अधिक ग्राहकी होती तो पिता अकसर घर नहीं आते थे। दिवाली के अगले दिन रात के समय पिता को कॉल किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। तब भी लगा पिता व्यस्त होंगे।
पुलिस भी दीपावली के बाद सूचना देने आई
जब कॉल बेक नहीं आया तो 22 अक्टूबर की दोपहर रेस्टोरेंट के मालिक को कॉल कर पिता से बात कराने को कहा। तब उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर को पिता घर जाने के लिए निकल गए थे। कई जगह तलाश किया, लेकिन पिता नहीं मिले। शाम के समय उनकी गुमशुदगी दर्ज कराने जा रहे थे, तभी पिता की मौत की सूचना पुलिस से मिली। पिपलानी पुलिस गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के आधार पर पता पूछते हुए हमारे घर आई। पुलिस चाहती तो पहले ही रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर घर आ सकती थी। मेरा सवाल है कि पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया, हमें समय से सूचना क्यों नहीं दी गई। एक तो पिता की मौत हो चुकी है, अब उनका शव भी चार दिन बाद हमें मिला है। जो खराब हालत में है।
टीआई बोले फोटो दिखाकर कराई शिनाख्त
टीआई चंद्रिका यादव के मुताबिक मृतक के पास से ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला था, जिससे उसकी शिनाख्त कराई जा सके। परिजनों ने तीन दिन तक उनकी गुमशुदगी भी दर्ज नहीं कराई। घटनास्थल और आस पास के क्षेत्रों में हमारी टीम ने फोटो दिखाकर मृतक की पहचान कराई, एक व्यक्ति ने राम बहादुर को पहचान कर उसका पता बताया, टीम तलाशते हुए रामबहादुर के घर तक पहुंची। शिनाख्त कराने के बाद गुरुवार की दोपहर को बॉडी का पीएम कराया।
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