अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भोपाल के ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी का मामला सामने आया है। पुलिस ने नहीं बल्कि एक डॉक्टर ने इस मामले की इन्वेस्टीगेशन की और सबूत के साथ चोर को पकड़ लिया। इस समाचार में पढ़िए, भोपाल के एम्स हॉस्पिटल से प्लाज्मा की छोरी कौन कर रहा था, प्लाज्मा क्या होता है और यह कितना मूल्यवान है?
आउटसोर्स कर्मचारी ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी कर रहा था
बागसेवनिया थाने के सब इंस्पेक्टर हेमराज कुमरे के मुताबिक डॉक्टर ज्ञानेंद्र प्रसाद एम्स के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और ब्लड बैंक शाखा के प्रभारी हैं। उन्होंने पुलिस को आवेदन देते हुए बताया कि कुछ समय से ब्लड बैंक से खून और प्लाज्मा यूनिट के गायब होने की शिकायतें मिल रही थी। इसलिए सीसीटीवी कैमरों की मदद से हमने निगरानी रखना शुरू कर दी। इसी बीच 28 सितंबर की रात नौ बजे देखा कि ब्लड बैंक यूनिट में आउटसोर्स कर्मचारी लैब टैक्निशियन के पद पर पदस्थ कर्मचारी अंकित केलकर ने दो यूनिट प्लाज्मा बैंक से निकाला और एक अज्ञात व्यक्ति को दे दिया। यह पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था, इसलिए जब कर्मचारी से पूछताछ की तो वह अस्पताल से भाग गया।
गिरफ्तारी के बाद कहानी पता चलेगी
इसके बाद डॉक्टर ज्ञानेंद्र प्रसाद ने एम्स प्रबंधन को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। साथ ही पुलिस ने उनकी शिकायत पर गुरुवार को मामला भी दर्ज कर लिया। पुलिस का कहना है कि अभी आरोपी फरार हैं, और उनके पकड़े जाने के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा और प्लाज्मा चोरी करने की वजह का भी पता चल सकेगा। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
रक्त प्लाज्मा क्या होता है?
रक्त प्लाज्मा रक्त का तरल भाग होता है, जो कुल रक्त की मात्रा का लगभग 55% हिस्सा बनाता है। यह मुख्य रूप से पानी (लगभग 90%) से बना होता है, जिसमें प्रोटीन, लवण, एंजाइम, पोषक तत्व, हार्मोन, एंटीबॉडी और अपशिष्ट पदार्थ शामिल होते हैं। प्लाज्मा रक्त कोशिकाओं (जैसे लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ और प्लेटलेट्स) को ले जाने में मदद करता है, पोषक तत्वों का परिवहन करता है, संक्रमण से लड़ता है और रक्त के थक्के बनाने में भूमिका निभाता है। जब रक्त कोशिकाओं को अलग कर दिया जाता है, तो प्लाज्मा एक हल्के पीले रंग का तरल पदार्थ बन जाता है।
रक्त प्लाज्मा कितना मूल्यवान है?
रक्त प्लाज्मा चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत मूल्यवान है, क्योंकि इससे कई जीवनरक्षक दवाएँ और उत्पाद बनाए जाते हैं, जैसे एल्ब्यूमिन (रक्त की मात्रा बढ़ाने के लिए), एंटीथ्रोम्बिन III (रक्त के थक्के रोकने के लिए) और इम्यूनोग्लोबुलिन (प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए)। इन उत्पादों की कीमत काफी अधिक होती है; उदाहरण के लिए, एल्ब्यूमिन (10g/50ml) की कीमत लगभग 96 डॉलर (लगभग 8500 रुपए) और एंटीथ्रोम्बिन III (1000 IU) की कीमत 1,757 डॉलर (डेढ़ लाख रुपए से अधिक) तक हो सकती है।